चरवाही
श्रृंखला 4
आत्मा और जीवन
पाठ आठ – जीवन की संगति
1 यूहन्ना- 1:2-3 वह जीवन प्रकट हुआ; हमने उसे देखा है और उसकी साक्षी देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार सुनाते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रकट हुआ-जिसे हमने देखा और सुना, उसी का समाचार हम तुम्हें भी सुनाते हैं, कि तुम भी हमारी यह सहभागिता रखो; वास्तव में हमारी यह सहभागिता पिता के और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।
जीवन की
संगति का स्रोत
जीवन की सहभागिता कहाँ से आती है? इसका क्या कारण है? और यह कहाँ से उत्पन्न हुई? 1 यूहन्ना- 1:2-3 कहता है, हमने (प्रेरितों) आप (विश्वासियों) को अनन्त जीवन दिखाया है—कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। ये आयते दर्शाती हैं कि प्रेरितों ने हमें अनन्त जीवन का प्रचार किया है ताकि हम ‘‘सहभागिता’’ रख सकें।
जीवन की संगति के प्रति
विश्वासियों की जिम्मेदारियां
यदि हम प्रभु के जीवन की सहभागिता में लगातार रहना चाहते हैं, तो हमें अभिषेक की शिक्षा के अनुसार प्रभु में बने रहना चाहिए (2:27)। अभिषेक की शिक्षा हमारे अंदर पवित्र आत्मा का कार्य करना है। हमें हमारे भीतर पवित्र आत्मा के कार्य का पालन करना चाहिए और इस कार्य के अनुसार प्रभु में बने रहना चाहिए। इस तरह से हम बिना अंतराल के प्रभु के जीवन की सहभागिता में रहना जारी रख सकते हैं। जैसे ही हम पवित्र आत्मा के कार्य की आज्ञा नहीं मानते, हालांकि, प्रभु के साथ हमारी सहभागिता टूट जाती है।
यदि हम प्रभु के जीवन की सहभागिता में जीते हैं, तो वास्तव में हम जीवन की ज्योति में हैं। यह जीवन की ज्योति हमें हमारे पापों को दिखाती है। जब हम अपने पापों को देखते हैं, अर्थात जब हमें प्रभु के जीवन की सहभागिता में इनका एहसास होता है, हमें परमेश्वर से हमारे पापों का अंगीकार करना है। यदि हम अपने पापों को परमेश्वर से अंगीकार करने के लिए तैयार हैं, तो हम परमेश्वर के द्वारा क्षमा और शुद्ध किए जाएंगे। तब हमें प्रभु के जीवन की सहभागिता में अधिक गहराई से लाया जाएगा। यदि हम अपने पापों को अंगीकार नहीं करते हैं, तो वे हमारे साथ रहेंगे और प्रभु के साथ हमारी सहभागिता टूटने की वह वजह होंगे (1:7, 9)।
जीवन की संगति के परिणाम
परमेश्वर की ज्योति प्राप्त करना
परमेश्वर ज्योति है। यदि हम उसके साथ सहभागिता रखेंगे तो हमारे पास उसकी ज्योति होगी। इसलिए, जीवन की सहभागिता हमें परमेश्वर की ज्योति में लाती है ताकि हमारे पास उसकी ज्योति हो सके—जीवन की सहभागिता और परमेश्वर की ज्योति को अलग नहीं किया जा सकता है। यदि हम जीवन की सहभागिता में हैं, तो हम परमेश्वर की ज्योति में हैं। यदि हम परमेश्वर की ज्योति में नहीं हैं, तो हम ने जीवन की सहभागिता को खो दिया है।
लहू का शुद्धीकरण प्राप्त करना
जीवन की सहभागिता में, अगर हम अपने पापों को देखने और उन्हें परमेश्वर के प्रति अंगीकार करने के लिए प्रभु की ज्योति द्वारा प्रबुद्ध होते हैं, तो प्रभु का लहू हमें हमारे पापों से शुद्ध करता है (आ- 7)।
प्रभु का हम में बने रहना
यदि हम प्रभु के जीवन की सहभागिता में जीते हैं, तो हम प्रभु में बने रहते हैं, और जब हम प्रभु में बने रहते हैं, तो प्रभु हम में बने रहते हैं (यूहन्ना 15:4-5)। जब प्रभु हम में बने रहते हैं, तो वह हमारा जीवन, शक्ति, खुशी, शांति बन जाते हैं ताकि हम उनको और उनके जीवन के सभी धनों को हमारे व्यवहारिक अनुभव में आनंद कर सकें।
परमेश्वर की महिमा के लिए
अधिक फल लाना
जब एक डाली अपने और दाखलता के बीच बिना किसी बाधा के दाखलता में बनी रहती है, तो वह समृद्ध सार से आपूर्ति प्राप्त करती है और अधिक फल लाती है। इसी तरह, जब हम प्रभु मे बनें रहते हैं और उसके साथ सहभागिता रखते हैं, तो हम उसके जीवन की आपूर्ति को प्राप्त करते हैं और बहुत अधिक फल लाते हैं (आ- 4-5)।
LIFE ETERNAL BRINGS US
Various Aspects of the Inner Life— The Fellowship of Life – 737
1. Life eternal brings us
Fellowship of life,
Fellowship in Spirit,
Saving us from strife.
2. Life eternal give us
Fellowship divine;
Thus the Lord as Spirit
May with us combine.
3. It is life in Spirit
Brings this fellowship;
Fellowship in Spirit
Doth with grace equip.
4. We, by life’s enabling,
Fellowship aright;
Fellowship in Spirit
Brings us into light.
5. By the outward cleansing,
Fellowship we keep;
Inwardly anointed,
Fellowship we reap.
6. Fellowship is deepened
Thru the cross of death;
Fellowship is lifted
By the Spirit’s breath.
7. Fellowship will free us
From our sinful self;
Fellowship will bring us
Into God Himself.