चरवाही

श्रृंखला 4

आत्मा और जीवन

पाठ पांच – गीत गाना

इफ- 5:18-19-दाखरस पीकर मतवाले न बनो, क्योकि इस से लुचपन होता है, परन्तु आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ, और   आपस में भजन, स्तुति-गान व आत्मिक गीत गाया करो, और अपने-अपने मन में प्रभु के लिए गाते तथा कीर्तन करते रहो।

एक गीत की दिशा

परमेश्वर की ओर

अधिकांश गीत परमेश्वर की ओर निर्देशित हैं। इस कविता का लक्ष्य परमेश्वर है। भजन की पुस्तक में से जो अधिकांश भजन कविताएं हैं वे परमेश्वर की ओर निर्देशित हैं। भजन 51 परमेश्वर के प्रति प्रार्थना का एक प्रसिद्ध भजन है। स्तुति, धन्यवाद और प्रार्थना के सभी गीत परमेश्वर के लिए गाए जाते हैं।

मनुष्य की ओर

अन्य भजन मनुष्य की ओर निर्देशित हैं। भजन 37 और 133 ऐसे भजनों के उदाहरण हैं। इस प्रकार का गीत या तो मनुष्य से प्रचार करता है या मनुष्य को परमेश्वर के पास जाने के लिए प्रोत्साहित करता है। सुसमाचार के सभी गीत और चेतावनी के गीत मनुष्य के लिए गाए जाते हैं।

खुद की ओर

बाइबल में तीसरे प्रकार के गीत भी हैं-जो हम खुद के लिए गाते हैं। भजन की पुस्तक में कई अंशों में ऐसे वाक्यांश शामिल हैं ‘‘हे मेरे प्राण!’’ ये सभी गीत स्वयं की ओर निर्देशित हैं।

एक दूसरे की ओर

कुलुस्सियों 3:16 और इफिसियों 5:19 दोंनों परस्पर गायन की बात करते हैं। पारस्परिक गायन में, एक भाई के गाने के बाद, दूसरा भाई गाने के द्वारा प्रतिक्रिया करता है। पहला भाई फिर से गा सकता है और दूसरा भाई फिर से प्रतिक्रिया कर सकता है। या तो कई भाई गा सकते हैं और भाईयों का दूसरा समूह गाने में प्रतिक्रिया करते हैं।

पवित्र आत्मा के साथ

भरने के लिए गीत गाने के द्वारा

अपनी आत्मा का अभ्यास करना

आपको अपनी आत्मा का अभ्यास करने की जरूरत है। जब आप अपनी आत्मा का अभ्यास करते हैं और अपनी आत्मा का उपयोग करते हैं तो पवित्र आत्मा आपकी आत्मा को भर देगा। आत्मा का अभ्यास करने का श्रेष्ठ तरीका प्रार्थना और गीत गाना है।

भजन, स्तुतिगान और

आत्मिक गीतों में मसीह को बोलना

इफिसियों 5:18-19 में पौलुस कहता है, ‘‘दाखरस से मतवाले न बनो, क्योकि इससे लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने-अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो।’’ हमें हमारी आत्मा में सर्व-सम्मिलित, परिपूर्ण आत्मा के रूप में त्रिएक परमेश्वर के साथ भरा होना चाहिए। यह भरना हमारी सामान्य, संसारिक भाषा बोलने से नहीं बल्कि भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत में एक दूसरे से बात करने से होता है। हमारी गीत की पुस्तक में सत्य से भरे कई अच्छे गीत हैं। प्रत्येक गीत, विशेष रूप से हमारे द्वारा लिखा गया गीत मसीह के धन से भरा हुआ एक अच्छा संदेश है। उदाहरण के लिए, गीत 501 हमें वर्णित करता है कि कैसे अनंतकाल में मसीह असीमित परमेश्वर था जो परमेश्वर की चमकदार अभिव्यक्ति के रूप में समय में सीमित हो के एक सीमित मनुष्य बना। परमेश्वर की ही अभिव्यक्ति के रूप में, छुटकारे को पूरा करने के लिए वह शरीर में हमारे लिए मरा। फिर हमारे साथ एक होने के लिए वह जीवन दायक आत्मा बना। हमें गीत के साथ मसीह को बोलना सीखना चाहिए।

नये नियम के अनुसार, भजन, स्तुतिगीत और आत्मिक गीत न केवल गाने के लिए बल्कि बोलने के लिए भी अच्छे हैं। कभी कभी हम गानों से प्रेरित होते हैं। लेकिन अन्य अवसरों में न्यूमा से भरा बोलना गीत से भी अधिक प्रेरित कर सकता है। यदि हम निर्जीव हैं और हम में न्यूमा की कमी है तो हमारे बोलने की कोई प्रेरणा नहीं होगी। लेकिन अगर हम न्यूमा से भरे हैं, तो हमारा बोलना प्रभाव डालेगा और दूसरों को प्रेरित करेगा। यह वाकपटुता नहीं है बल्कि प्रभाव के साथ कथन है।

 

गीत 1141

1 गायेंगे प्रभु को आत्मा से
गायेंगे प्रभु को अन्दर से
गायेंगे हाल्लेलुईया यीशु को
जिससे हम सब एक हो गए।

2  कई साल हम धर्मो में थे
कई साल हम अपने मन में थे
कई साल अपनी भावनाओं में थे,
खोज किया, पर कुछ मिला नहीं।

3 सीखते हैं आत्मा की ओर मुड़ना
सीखते हैं मसीह को लेने को
सीखते हैं मसीह को खाने को
सब संघर्ष से पूरी आजादी।

4 हाल्लेलुईया आत्मा में है जीवन
हाल्लेलुईया नवीनता अन्दर
जब हम मुड़ते मन से आत्मा तक
पूरे धन का आनन्द लेते हैं।