चरवाही
श्रृंखला 3
भरोसा और आज्ञाकारिता
पाठ सात – मिट्टी के पात्रें में खजाना
2 कुर- 4:7-9-परन्तु हम मिट्टी के पात्रें में, यह धन इसलिए रखा हुआ है कि सामर्थ्य की असीम महानता हमारी ओर से नहीं वरन् परमेश्वर की ओर से ठहरे। हम चारों ओर से क्लेश सहते हैं, परन्तु मिटाए नहीं जाते निरुपाय तो हैं, परन्तु निराश नहीं होते; सताए तो जाते हैं, परन्तु त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, परन्तु नष्ट नहीं होते।
2 कुरिंथियों 4:7 में यह धन, अंतर निवासी मसीह, जो मिट्टी के पात्र, हमारे अंदर है, मसीही जीवन के लिए आपूर्ति का दिव्य स्रोत है। यह इस धन की उत्कृष्ट शक्ति के द्वारा है कि नयी वाचा के सेवक के रूप में प्रेरित क्रूसीकृत जीवन जीने में सक्षम थे कि मसीह के पुनरूत्थान का जीवन, जिसे वे बांटते थे, प्रकट हो सके। इस प्रकार, उन्होंने सुसमाचार को चमकने के लिए—सत्य को प्रकट किया। (2 कुर-4:7)
मिट्टी के पात्रें में
धन का प्रकट होना
कई लोगों के पास एक आदर्श मसीही की धारणा है। कृपया याद रखें कि यह आदर्श हमारे द्वारा बनाया गया था, परमेश्वर से नहीं। इस प्रकार के आदर्श मसीही मौजूद नहीं हैं, न ही परमेश्वर चाहता है कि हम ऐसेरों। यहां हम मिट्टी के पात्र से मिलते हैं, लेकिन इस मिट्टी के पात्र की विशेषता यह है कि इसमें एक धन रखा गया है। धन मिट्टी के पात्र से परे है और उसे फीका कर देता है और वह पात्र के भीतर से प्रकट होता है। यह मसीही होने का अर्थ है। पौलुस में, हम एक ऐसे मनुष्य को देखते हैं जो डरा हुआ था पर फिर भी मज़बूत था। वह अपने दिल में परेशान था फिर भी उम्मीद थी। वह दुश्मनों से घिरा हुआ था, फिर भी उसे पकड़ा नहीं गया था। हालांकि उसे सताव का सामना करना पड़ा, उसे अस्वीकृत या अलग किए जाने की भावना नहीं थी। उसे प्रकट रूप से नीचे तो गिराया था, लेकिन वह मरा नहीं। (2 कुर- 4:7-9) हम उसकी कमजोरियों को देखते हैं लेकिन जब वह निर्बल था, तभी वह बलवन्त था। (12:10) हम देखते हैं कि वह यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिया फिरता था लेकिन यीशु का जीवन उसकी देह से प्रकट हुआ (4:10)। हम यह देखते हैं कि उसे बदनाम किया गया था, लेकिन उसके पास एक अच्छा नाम था। ऐसा लगता था कि वह लोगों को भटकाने वाला था लेकिन वह ईमानदार था। ऐसा लगता था कि वह मरने वाला था लेकिन वह जीवित था। ऐसा लगता था कि वह दंडित किया गया था, लेकिन मरने के लिए नहीं। ऐसा लगता था कि वह उदास था लेकिन वह हमेशा आनंदित था। ऐसा लगता था कि वह गरीब था, लेकिन उसने कई लोगों को धनी बनाया। ऐसा लगता था कि उसके पास कुछ नहीं था लेकिन उसके पास सब कुछ था (6:8-10)। यह एक असली मसीही है।
मनुष्य की निर्बलता में
परमेश्वर का सामर्थ प्रकट होना
प्रेरित ने कहा कि उसके शरीर में एक कांटा था (12:7)। मैं नहीं जानता कि यह कांटा क्या था, लेकिन मैं जानता हूँ कि इस कांटे ने पौलुस को कमजोर बनाया। पौलुस ने उस कांटे के बारे में प्रभु से तीन बार प्रार्थना की, लेकिन प्रभु कुछ भी करने के लिए तैयार नहीं था। इसके बजाय, प्रभु ने कहा, ‘‘मेरा अनुग्रह तेरे लिए पर्याप्त है’’ (आ-9)। प्रभु ने कांटे की वजह से अपने अनुग्रह को बढ़ाया। प्रभु ने कमजोरी की वजह से अपने सामर्थ को बढ़ाया।
जैसे मैं बिस्तर पर लेटा था, मैनें प्रभु से मुझे और स्पष्ट रूप से दिखाने के लिए कहा कि यह सब क्या था। अंदर से, मुझे नदी में एक नाव का विचार आया। नौसंचालन के लिए दस फुट पानी की आवश्यकता थी। हालांकि, नदी में एक डूबी हुयी चट्टान नदी के निचले भाग से पांच फुट ऊंची थी। अगर परमेश्वर चाहता तो वह उस चट्टान को हटा कर नाव को जाने दे सकता था। लेकिन मेरे अंदर एक सवाल आयाः ‘‘चट्टान को निकालना मेरे लिए बेहतर होगा या पानी का स्तर पाँच फुट तक बढ़ाना?’’ परमेश्वर ने मुझसे पूछा कि क्या चट्टान को हटाना बेहतर होगा या पाँच फुट तक पानी का स्तर बढ़ाना बेहतर होगा। मैंने प्रभु से कहा कि पाँच फुट तक पानी का स्तर बढ़ाना बेहतर होगा।
विरोधाभासपूर्ण आत्मिक जीवन
एक बार कुछ भाइयों ने मुझसे कहा कि वे किसी परिवार के सदस्य के लिए, किसी बीमारी के लिए या किसी बात के लिए प्रार्थना कर रहे थे। मैंने उनसे पूछा कि यह कैसे चल रहा है। प्रत्येक ने मुझसे कहा कि वे विश्वास करते थे कि परमेश्वर उनकी बीमारियों को चंगा करेगा और उनके बेटे और पत्नियों को बचाएगा। वे सब बहुत आश्वस्त थे, इतना आश्वस्त थे कि उनके पास थोड़ा सा भी शक नहीं था। लेकिन हमें प्रतीक्षा करके देखनी चाहिए। बीमार लोग अभी भी बीमार हैं, बेटे और पत्नियां अभी भी पश्चाताप् रहित हैं और मुश्किल मामले अभी भी मौजूद हैं। इस तरह का विश्वास स्वर्गदूतों के लिए है, मिट्टी के पात्रें के लिए नहीं। उनका विश्वास बहुत सामान्य है; यह बहुत ही अच्छा है। दुनिया में किसी के पास ऐसा महान विश्वास नहीं है।
पतरस को बुरे इंसानों के हाथों से मुक्त करने के लिए आरंभिक कलीसिया की प्रार्थना के बारे में पढ़ना मुझे पसंद है। परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना सुन ली। जब पतरस घर लौटा और द्वार पर दस्तक दी, तो उन्होंने कहा कि यह उसका स्वर्गदूत होगा (प्रेरितों 12:12-15)। क्या हम देखते हैं कि यह विश्वास, वास्तविक विश्वास है? परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना सुनी लेकिन मानव निर्बलता उसमें थी। हम नहीं देखते कि वे अपनी निर्बलताओं को छिपाने के लिए कुछ कर रहे हैं। आज कुछ लोगों को मरियम और मरकूस के घर के लोगों से भी ज़्यादा विश्वास है। वे इतना निश्चित हैं कि परमेश्वर जेल के दरवाजों का ताला तोड़ने के लिए एक स्वर्गदूत भेजेगा। शायद वे उन लोगों की तरह है जिसका उदाहरण हमने प्रभु के दिन में दिया। यदि हवा चल रही है, तो वे कहते हैं कि पतरस दस्तक दे रहा है। यदि बारिश घर पर पड़ती है, तो वे कहते हैं कि पतरस दस्तक दे रहा है। इन लोगों का ऐसा महान विश्वास है, लेकिन जो वह विश्वास करते हैं वह नहीं होता है। मैं आपको स्पष्ट रूप से बताता हूँ: इस प्रकार के मसीही अपने आप ही कार्य करते हैं और भोले लोगों के समूह को धोखा देते हैं। जो लोग परमेश्वर को जानते हैं वे कहेंगे कि मसीहत में मिट्टी का एक पात्र है। मसीहत में धन मिट्टी के पात्रें में है। मानवीय संदेह वास्तव में घृणा के योग्य है, और यह पाप है। जो कुछ केवल मिट्टी के पात्र में से आता है, वह स्वीकार नहीं किया जा सकता है। महत्वपूर्ण बात मिट्टी का पात्र नहीं है, लेकिन यह तथ्य कि इसमें धन को रखा गया है। मिट्टी के पात्र को सुधारने या ठीक करने की जरूरत नहीं है। धन इस पात्र में रखा गया है।
कई मसीहियों के पास एक जीवन और चलन है जो बहुत बनावटी है; वे धन को प्रकट नहीं करते हैं। इन लोगों के पास केवल मानव प्रयास, कार्यप्रदर्शन और बाहरी व्यवहार हैं। एक सामान्य मसीही जीवन, हालांकि, एक वो है, जिसमें कोई अपने सबसे बड़े आश्वासन के क्षणों में भी संदेह कर सकता है। यह एक वो है, जिसमें अपनी सबसे बड़ी ताकत के क्षणों में भी अंदर से कमजोरी पाते हैं, परमेश्वर के सामने असली साहस के बीच में भी वे भयभीत हैं, और प्राणपोषक आनन्द के क्षणों में भी अंदर से संदेह करते हैं। इस प्रकार का विरोधाभास यह साबित करता है कि धन मिट्टी के पात्र में हैं।
मानवीय कमजोरी का
परमेश्वर की शक्ति को सीमित न करना
अंततः मैं यह कहना चाहूंगा कि मैं विशेष रूप से परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ क्योंकि कोई भी मानवीय कमजोरी परमेश्वर की शक्ति को सीमित नहीं कर सकती है। परमेश्वर चाहता है कि हम उस बिन्दु तक पहुंचे, जहां हम देखेंगे कि मनुष्य का सब कुछ, परमेश्वर का धन समाने के लिए सिर्फ एक मिट्टी का पात्र है। मनुष्य का कुछ भी परमेश्वर के धन को दफनाने में योग्य नहीं है। जब हम निराशा का सामना करते हैं तो हमें निराश होने की ज़रूरत नहीं है। यद्यपि हम इसे नहीं कर सकते, हमें कुछ सकारात्मक को हमारे अंदर आने देना चाहिए और जब ऐसा होता है, तो यह और बेहतर, अधिक चमकदार और अधिक महिमामय रूप से चमकती है। कई बार प्रार्थना करने के बाद हमें संदेह होता है, और हमें लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है। हालांकि, जब विश्वास आता है, संदेह की उपस्थिति होने के बावजूद, यह धन को बढ़ाता है। विश्वास धन को और अधिक महिमामय बनाता है। मैं एक आदर्श की बात नहीे कर रहा हूं, मुझे पता है कि मैं क्या कह रहा हूं। परमेश्वर का धन मिट्टी के पात्रें में प्रकट हो सकता है। यह एक आत्मिक विरोधाभास है_ यह हर मसीही के लिए बहुमूल्य है। इस आत्मिक विरोधाभास के प्रकरण में ही हम जीते हैं और हमारे परमेश्वर को जानना सीखते हैं।
जैसे हम इस राह पर चलते हैं, हम अपने अंदर मौजूद आत्मिक विरोधाभास की विशालता को देखेंगे। जैसे समय बीतता है, हम देखते हैं कि यह दरार, यह चौड़ा प़फ़ासला बढ़ता जाता है और हमारे अंदर का विरोधाभास और जोर देता है। साथ ही, धन भी स्पष्ट रूप से प्रकट हो जाता है। मिट््टी का पात्र एक मिट्टी का पात्र ही रहता है। यह तस्वीर कितनी अच्छी है! यह कम मायने रखता है कि हमारे पास किस तरह की मिट्टी का पात्र है_ धन हमेशा अंदर जा सकता है। मिट्टी का पात्र एक मिट्टी का पात्र ही रहेगा, लेकिन अब यह एक भरा हुआ पात्र है। सभी कमजोर लोग सोचते हैं कि वे बहुत मिट्टीमय हैं_ उनके पात्रें में मिट्टी बहुत भरी हुयी है और वे बिना किसी आशा के हैं। कृपया याद रखें कि हमारे पास निराश या परेशान होने का कोई कारण नहीं है। जो भी आत्मिक, मजबूत, शक्तिशाली और परमेश्वर से है, वह हमारे अंदर प्रकट हो सकता है और उज्जवल चमकेगा और मिट्टी के पात्र के माधयम से बढ़ाया जाएगा। चूंकि मामला यही है, हम धन का महत्व देख सकते हैं।
भाइयों और बहनों, सब कुछ धन पर निर्भर करता है। मुझे दोहराना होगा, सभी परिस्थितियां इस बात के चारों ओर घूमती हैं। हर परिणाम सकारात्मक है। जिनकी आंखे नकारात्मक चीजों पर हैं, वे मूर्ख हैं। परमेश्वर सभी के द्वारा खुद को प्रकट कर सकता हैं। जब हमारे पास धन है, तो कई लोग इसे जानेंगे।
गीत # 548
1 मैं मिट्टी का पात्र हूँ
मसीह मेरा खज़ाना है
मझे उसका पात्र होना है
वह मेरा अंतः सार है।
2 मुझे बना उसके स्वरूप, में
मसीह पूरा फैल जाने के लिए
इस तरह पूरे सार के साथ, खुदा
ने पात्र को बनाया।
3 रहता वह मेरी आत्मा में
उसके सामर्थ्य से थामता
आत्मा में मेरे साथ एक है
वह मेरी सच्चाई है।
4 कार्य करता मुझ में रोज़
पूर्ण रूप, से मिश्रित करता
सारे कदम नियंत्रण करता
सारे भाग वह सोखता है।
5 प्रकट करना है अंदर से
दूसरों को दिखाने के लिए
मुझे पारदर्शी होना है
मेरे द्वारा दिख जाए।
6 रूपांतरण मेरी जरूरत
और भी ज्यादा टूटना है
मिट्टी को बदल जाना है
निधि के समान होना है।