चरवाही

श्रृंखला 3

भरोसा और आज्ञाकारिता

पाठ दो – हमारी चिन्ता परमेश्वर पर डालना

1 पत- 5:7-अपनी समस्त चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि वह तुम्हारी चिन्ता करता है।

हमारी चिन्ता परमेश्वर पर डालना

पहला पतरस 5:7 कहता है, अपनी समस्त चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि वह तुम्हारी चिंता करता है। यहां डाल देना शब्द का अर्थ ‘‘फेंकना’’, अर्थात ‘‘दे देना, त्याग देना’’ है। यह क्रिया सभी के लिए एक बार के कार्य को दर्शाती है। अपनी समस्त चिंता शब्द इंगित करता है कि हमें जिंदगी भर की सारी चिंता, सभी चिंताओं के साथ अपनी पूरी जिंदगी को परमेश्वर पर डालना चाहिए। हमें यह सीखना चाहिए कि अपनी चिंताओं का बोझ परमेश्वर पर कैसे फेंकें। यह अभी हमारे कंधों पर हो सकता है, लेकिन हमें इसे अपने कंधे से परमेश्वर के कंधें पर डालना चाहिए।

यद्यपि डाल देना क्रिया सभी के लिए एक बार का कार्य को इंगित करता है, क्योंकि हम कमजोर हैं, हमें अपनी चिंताओं को बार बार प्रभु पर डालने की जरूरत हो सकती है। कभी-कभी हम अपनी चिंताओं को उस पर डालते हैं और कुछ देर बाद चुपके से उन्हें वापस ले लेते है। यह मेरा अनुभव रहा है। मैं अपनी समस्याओं को प्रभु पर डाल सकता हूँ। लेकिन कुछ दिनों के बाद, मैं अहसास कर सकता हूँ कि मैंने इस चिंता को अपने ऊपर फिर से ले लिया है, और इसलिए मुझे प्रार्थना करने की जरूरत है, हे प्रभु, मुझे माफ करें कि मैंने इस चिंता को आपसे वापस लिया है। एक बार फिर, मैं अपनी चिंताओं को आप पर डालता हूँ।

चिन्ता के लिए यूनानी शब्द का मतलब ‘‘परेशानी’’ या ‘‘परवाह’’ भी है। सताव में, विश्वासियों की पीड़ाएं उनके लिए चिंता और परेशानी का कारण बनती हैं। उन्हें अपने घमंड, अपने अंहकार से नीचे आने के लिए न केवल नम्रता की जरूरत है, बल्कि चिंता के साथ अपनी जिंदगी को परमेश्वर पर डाल देने की भी जरूरत है, क्योंकि वह न केवल शक्तिशाली और न्यायपूर्ण है, बल्कि उनके लिए प्रेमपूर्ण और विश्वासयोग्य भी है।

हमारे व्यस्त जीवन में शांति पाना

व्यस्त हवाई अड्डे पर हवाई जहाज का उतरना हमारे ऊपर चिंताओं के आने के एक उदाहरण के रूप में हम प्रयोग कर सकते हैं। अगर आप हवाई जहाज को भूमि पर आते देखते हैं, तो आप देखेंगे कि वे साधारण रीति से एक के बाद एक आते हैं। लेकिन कभी-कभी वे जोड़े में यहां तक कि परेड में भी आते हैं। चिंता हमारे चारों ओर, एक हवाई अड्डे पर उतरने की समय की प्रतीक्षा करते हुए चक्कर लगाते हवाई जहाज की तरह हो सकती है।

वे जो लोगों के साथ संबद्ध होते हैं, वे आमतौर पर उन लोगों की तुलना में अधिक चिंता करते हैं जो अकेले रहते हैं। उदाहरण के लिए, एक अविवाहित भाई को शायद कई बच्चों के साथ विवाहित भाई की तुलना में बहुत कम चिंता होगी। विवाहित भाई का अपने पत्नी और बच्चों के लिए फिक्र उसकी चिंता का कारण बन जाती है। पहले उसकी पत्नी चिंता का स्रोत बनती है। तब प्रत्येक बच्चे के पैदा होने के कारण, उसके लिए चिंता का एक और कारण है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, शादी करते हैं, और उनके अपने बच्चे होते हैं, तब पोती-पोते चिंता का एक स्रोत बन जाते हैं।

अनुभव से मैं यह गवाही दे सकता हूँ कि मेरे पास जितनी अधिक चीजें हैं, उतनी अधिक चिंता है, उतनी ज्यादा चिंता के हवाई जहाज मेरे सिर के ऊपर चक्कर मारते हैं।

हम सभी को अपनी चिंताओं को प्रभु पर डालना सीखना होगा। अगर हम अपनी चिंताओं को उस पर नहीं डालेंगे, तो हमारे पास शांति नहीं होगी। शायद चार साल से कम उम्र के बच्चों के पास कोई चिंता नहीं है। लेकिन हम जितना बडे़ होते हैं, हमारे पास उतनी अधिक चिंता होती है, क्याकि बहुत सारे चिंता के हवाई जहाज हमारे हवाई अड्डे पर उतरने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। फिर हम क्या करें? यद्यपि यह आसान नहीं हैं, हमें अपनी चिंता को प्रभु पर डालने की आवश्यकता है। अगर हमें लगता है कि हमने प्रभु को दी गयी चिन्ताओं को वापस ले लिया है, तो हमें इसे फिर से प्रभु को देने की आवश्यकता है।

‘‘वह तुम्हारी

चिंता करता है’’

पहला पतरस 5:7 कहता है कि हमें अपनी समस्त चिंता प्रभु पर इसलिए डालनी चाहिए क्योंकि फ्वह तुम्हारी चिंता करता है। वह तुम्हारी चिंता करता हैय् इसका अनुवाद फ्वह आपकी परवाह करता है भी किया जा सकता है। अनुशासित और न्याय करने वाले परमेश्वर के पास विश्वासियों, विशेष रूप से सताए हुए लोगों के लिए एक प्रेमपूर्ण परवाह है। वह उनके लिए विश्वसनीयता से परवाह करता है। हम अपनी चिंता को उनके ऊपर डाल सकते हैं, विशेष कर अपने सताव में।

 

COME,YEDISCONSOLATE,
WHERE’ER YE LANGUISH

Comfort in Trials— By the Lord’s Mercy-Seat – 684

  • 1. Come, ye disconsolate, where’er ye languish;
    Come to the mercy-seat, fervently kneel;
    Here bring your wounded hearts, here tell your anguish,
    Earth has no sorrow that heaven cannot heal.
  • 2. Joy of the comfortless, light of the straying,
    Hope of the penitent, fadeless and pure;
    Here speaks the Comforter, tenderly saying-
    Earth has no sorrow that heaven cannot cure.
  • 3. Here see the Bread of Life; see water flowing
    Forth from the throne of God, pure from above;
    Come to the feast of love; come, ever knowing
    Earth has no sorrow but heaven can remove.