चरवाही

श्रृंखला 3

भरोसा और आज्ञाकारिता

पाठ एक – उसे बताओ

फिल- 4:6-7-किसी भी बात की चिन्ता न करो, परन्तु प्रत्येक बात में प्रार्थना और निवेदन के द्वारा तुम्हारी विनती   धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख प्रस्तुत की जाए। तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।

हमारा प्रभु सब के साथ

सहानुभूति रख सकता है

बाइबल कई घटनाओं को दर्ज करती है जिसमें प्रभु ने मनुष्य से बात की थी। परन्तु यह कई घटनाओं का अभिलेख नहीं करती जिसमें मनुष्य प्रभु से कुछ बोलने के लिए आते है। हमारे प्रभु एक ऐसे प्रभु है जिन से मनुष्य गुप्त बात भी कह सकता है। मनुष्य जो भी कहना चाहता है, वह आसानी से प्रभु को बता सकता है। कोई भी शब्द उन्हें बताया जा सकता है। मत्ती 14:1-2 और मरकूस 6:30-32 से, हम हमारे लिए प्रभु की सहानुभूति को देख सकते है। कई बार हम पीड़ाओं का सामना करते हैं। कई बार हमारे पास खुशी होती है। कई बार हमें अपने दुख या खुशी बांटने के लिए किसी की ज़रूरत होती है, लेकिन हम किसी को पाने में असक्षम हैं।

वह हमारी परवाह करता है

कई बार हमें लगता है कि परमेश्वर महान है। यद्यपि हमारा प्रभु महान है, वह छोटी बातों की उपेक्षा नहीं करता है। हम सोच सकते हैं कि जो हम उससे कहते हैं, वह भी बड़ी बात होनी चाहिए, वरना वह हमें नहीं सुनेगा। हम यह नहीं जानते कि प्रभु कभी भी छोटी बातों की उपेक्षा नहीं करता है। ऐसा कुछ नहीं है जो प्रभु के लिए सुनना छोटा है। वह सब कुछ सुनने के लिए इच्छुक है। वह हमारे बारे में सब कुछ सुनने के लिए तैयार है। वह अपने चेलों को सुनने में इच्छुक था और वह यूहन्ना के चेलों की बात सुनने के लिए इच्छुक थे। यूहन्ना के चेले लंबे समय तक अपने शिक्षक का पीछा करते थे। हम कल्पना कर सकते हैं कि उसके और यूहन्ना के बीच क्या स्नेह था। जब उनका शिक्षक मारा गया था, तो वे दुःखी कैसे नहीं हो सकते थे? बाइबल ऐसे नहीं कहती कि उन्होंने हेरोदेस से शिकायत की और न ही यह कहती है कि वे पूरे दिन रोते रहे। उन्होंने केवल यूहन्ना के शरीर को दफनाया और फिर यीशु से बोलने के लिए आए।

वह सबकुछ

सुनने के लिए इच्छुक है

हमें यह जानना चाहिए कि जब हम प्रभु के साथ विस्तृत बात करते हैं और अपने हृदय को उसके सामने उंडेलते हैं तो प्रभु के साथ हमारी घनिष्ठता एक कदम आगे बढ़ती है और हम उसे थोड़ा और जानते हैं। इस समय में उसके साथ घनिष्ठ संपर्क हमारी साधारण सहभागिता से सैकड़ों गुना बेहतर है। इन संपर्कों से हम जीवन में प्रगति करते हैं। हमें अपनी समस्याओं को प्रभु के पास लाना चाहिए और उसे उसके बारे में बताना चाहिए। वह हमें आराम दे सकता है और मदद कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने प्रभु के सामने आँसू नहीं बहाये हैं, अगर उसने अपनी खुशी या गम प्रभु के साथ कभी नहीं बांटे हैं और अगर उसने अपने निजि मामलों के बारे में प्रभु से बात नहीं की है तो उसके पास प्रभु के साथ कोई घनिष्ठ संगति नहीं है और उसके पास उसके साथ कोई गहरी जान पहचान नहीं है। हम ऐसा नहीं कह रहे हैं कि आप दूसरों को अपने लिए प्रार्थना करने या आपको मदद करने के लिए पूछ नहीं सकते। हम यह कह रहे हैं कि बस प्रभु को सबकुछ बताने से, हम उसके करीब खींचे जा सकते हैं।

जब यूहन्ना के चेलों ने अपने दुःखों को प्रभु से कहा, तो हर समस्या खत्म हुई। चाहे जो भी हम उसे बताए, वे सुनेंगे। कोई भी व्यक्ति हर किसी के साथ सहानुभूति नहीं रख सकता। लेकिन हमारा प्रभु सभी के साथ सहानुभूति रख सकता है। वह हमारी हर एक समस्या के प्रति सहानुभूति रखता है। वह हम सभी के मामलों की परवाह करता है। ऐसा लगता है कि उसके हृदय में हमारे सिवाय किसी और के मामले नहीं हैं। वह हमारे सभी दुःखों को उठा लेता है। चाहे हम कितने कमज़ोर हैं, वह हमारे साथ सहानुभूति रखेगा और हमारे लिए हमारे दुःख को उठाएगा।

उसकी उपस्थिति हमारे सामर्थ को

नवीकृत करती है

प्रभु ने अपने चेलों को सुनने के बाद क्या किया? उसने कहा, ‘‘आओ, अलग एकान्त में चलकर कुछ देर विश्राम करो’’(मरकुस 6:31)। प्रभु ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा ताकि उन्हें कुछ आराम मिले। कई बार हम निजी तौर से एक निर्जन स्थान पर जाते हैं क्योंकि हम दुःखी और उदास होते हैं। बिना कोई अन्य सहारा लिये, हम एक निर्जन स्थान पर अकेले आराम करने के लिए जाते हैं। लेकिन ऐसे अवसरों ने अक्सर हमें पहले से और अधिक व्याकुल बनाया है। प्रभु ने चेलों को केवल विश्राम करने के लिए निर्जन स्थान पर जाने के लिए नहीं कहा; उसने उन्हें अपने साथ जाने के लिए कहा। प्रभु की उपस्थिति ने उन्हें मधुर आराम दिया और उनके सामर्थ को नवीकृत किया।

 

गीत – 784

1 प्रार्थना से संगति करो
आत्मा में ढूंढ़ उसको
उपस्थिति में कह और सुन
गुप्त स्थान में प्रतीक्षा कर

प्रार्थना से संगति करो
आत्मा में ढूंढ़ उसको
उपस्थिति में कह और सुन
गुप्त स्थान में प्रतीक्षा कर

2 प्रार्थना से संगति करो
अपना हृदय पूरा खोल
देख उसको उघाड़े चेहरे से
जो सच्चा,शुद्ध, एक मात्र

3 प्रार्थना से संगति करो
विश्वास से ढूंढ़ उसको
आत्मा में छूना सीखो
देख उसको आदर से

4 प्रार्थना से संगति करो
दिखावे में कुछ न बोल
आत्मा के अनुसार ही माँग
प्रार्थना कर आन्तिरक भाव से

5 प्रार्थना से संगति करो
उत्सकुता से उसको सुन
उसकी मर्जी से प्रभावित हो
मान उसको अन्दर से

6 प्रार्थना से संगति करो
उसके मुख मंडल में स्नान
उसकी सुन्दरता से हो संतृप्त
उसके प्रताप को बिखेर।