चरवाही
श्रृंखला 3
भरोसा और आज्ञाकारिता
पाठ पांच – परमेश्वर परिस्थितियों को एक साथ विश्वासियों की भलाई के लिए काम करने का कारण बनता है
रो- 8:28- हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए वह सब बातों के द्वारा भलाई को उत्पन्न करता है, अर्थात उनके के लिए जो उसके अभिप्राय के अनुसार बुलाये गए है।
परमेश्वर उनके लिए
जो उससे प्रेम करते हैं सब बातों के द्वारा
भलाई उत्पन्न करने का कारण बनता है
रोमियों 8:28 कहता है हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए वह सब बातों के द्वारा भलाई को उत्पन्न करता है, अर्थात उन्हीं के लिए जो उसके अभिप्राय के अनुसार बुलाये गए है। पवित्र आत्मा हमारे अंदर कराह करता है, हमारे लिए मध्यस्थता करता है, और परमेश्वर पिता सभी बातों को मिलकर भलाई का कारण बनने के द्वारा इस मध्यस्थता का जवाब देता है। यूनानी में अनुवाद किया गया फ्सभी बातें शब्द का अर्थ है ‘‘सारे मामले, सभी व्यक्ति, सारी बातें, सब में सब कुछ।’’ परमेश्वर पिता संप्रभु है और वह सब कुछ व्यवस्थित करता है। वह जानता है कि आपको कितने बालों की जरूरत है (मत्ती- 10:30) और आपके पास कितने बच्चे होने चाहिएं। अपने बच्चों के बारे में शिकायत न करें, क्योंकि परमेश्वर जरूरत से ज्यादा या कम नहीं देगा। वह संप्रभु है। वह जानता है। वह जानता है कि आपको आज्ञाकारी बच्चों की या शरारती बच्चों की जरूरत है। वह जानता है कि आपको लड़कों की जरूरत है या लड़कियों की जरूरत है। मैं बार-बार कहता हूँ कि वह जानता है। वह सभी बातें, सभी मामले, और सभी व्यक्तियों को एक साथ मिलाकर भलाई करने का कारण बनता है। ऐसा लगता है कि परमेश्वर ने सब लोगों को आपके लिए बलिदान कर दिया है। पत्नी के लिए उसका पति एक बलिदान है, और पति के लिए पत्नी एक बलिदान है। बच्चों के लिए माता-पिता एक बलिदान हैं, और माता-पिता के लिए बच्चे एक बलिदान हैं। ऐसा कार्य कौन कर सकता है? केवल परमेश्वर। मैंने प्रभु से कहा, प्रभु, आपने सब को सिर्फ मेरे लिए क्यों बलिदान किया। मुझे अंदरूनी अनुभूति है कि जिन भाईयों के साथ में समन्वय करता हूँ और यहां तक कि सभी कलीसियाएं मेरे लिए बलिदान हैं। फिर भी, जब आप पीड़ित होते हैं, मैं अधिक पीड़ित होता हूँ। जब एक पत्नी नुकसान सहती है, तो पति अधिक कष्ट उठाता है। और जब बच्चे कष्ट उठाते हैं, माता-पिता ज्यादा कष्ट उठाते हैं। प्रभु की स्तुति हो कि प्रभु हर वस्तु, हर मामले, और सभी व्यक्तिों को एक साथ मिलाकर भलाई उत्पन्न करने का कारण बनता है उनके लिए जो उससे प्रेम करते हैं और लक्ष्य तक उसके द्वारा बुलाये गए हैं ताकि वह अपने उद्देश्य को पूरा कर सके।
परमेश्वर का लक्ष्य
अपने उद्देश्य को पूरा करना है
परमेश्वर ने हमारी मंजिल को पहले से ही निर्धारित किया है, और यह मंजिल कभी भी दिव्य व्यवस्था के बिना पूरी नहीं हो सकती है जो सभी बातों को हमारे लिए मिलाकर काम करने का कारण बनती है। हमारी मंजिल परमेश्वर के पहिलौठे पुत्र के स्वरूप में अनुरूप होना है। हम अभी तक परमेश्वर के पहिलौठे पुत्र के स्वरूप में नहीं हैं, लेकिन परमेश्वर पिता सभी बातों को एक साथ मिलाकर भलाई उत्पन्न करने के द्वारा योजना बना रहा है, ढलाई कर रहा है और कार्य कर रहा है। प्रभु की स्तुति हो! जब हम बढ़ रहे हैं, वह ढलाई कर रहा है।
हम सभी को सांत्वना दी जानी चाहिए। यदि आपके पास एक अच्छी पत्नी है, तो अपनी अच्छी पत्नी के लिए प्रभु की स्तुति करो। यदि आपके पास एकजिद्दी पत्नी है, तो अपनी जिद्दी पत्नी के लिए और भी ज्यादा प्रभु की स्तुति करो। चाहे आपके पास एक अच्छी पत्नी है या एक जिद्दी पत्नी, अच्छा पति है याजिद्दी पति, आज्ञाकारी बच्चे या शरारती बच्चे जो कुछ भी आपके पास है आपको सांत्वना दी जानी चाहिए। आपको प्रभु से कहना चाहिए, प्रभु, में बहुत सी गलतियां कर सकता हूँ और मैंने बहुत सी गलतियां की हैं, लेकिन आप कभी गलत नहीं हो सकते है। मेरी गलतियां भी आपके हाथों में हैं। यदि आप मुझे गलती करने की अनुमति नहीं देते हैं, तो आप केवल अपनी छोटी उंगली को हिलाकर परिस्थिति को बदल दो और मैं गलती नहीं करूंगा। सब कुछ आपके हाथ में है।’’ इसलिए, हम सभी को सांत्वना दी जानी चाहिए।
पीड़ाओं के लिए प्रार्थना न करें
लेकिन पीड़ाओं को दूर रखने के लिए
पिता से प्रार्थना करें
हालांकि, इतने आत्मिक मत बनो कि आप एक चरम पर जाते हैं और पिता से आपको पीड़ा देने के लिए प्रार्थना करते हैं। पीड़ाओं के लिए प्रार्थना मत करो। इसके बजाय, आपको प्रार्थना करनी चाहिए, पिता, मुझे प्रलोभन से छुड़ाए। प्रभु मुझे हर प्रकार के कष्टों से छुड़ाओ। मुझे हर प्रकार की अंशाति से दूर रखो। यद्यपि आप इस प्रकार से प्रार्थना करते हैं, कुछ कठनाईयां और विपत्तियां आपको मिलेंगी। जब वे आती हैं, शिकायत मत करो और परेशान न हो, लेकिन कहो, पिता, इसके लिए धन्यवाद। पिता, अगर यह मुमकिन है, तो यह प्याला मुझ से दूर करें। फिर भी, पिता, मेरी नहीं बल्कि आपकी इच्छा पूरी हो। यह उचित रवैया है। कभी भी यह प्रार्थना न करें कि पीड़ाएं आएं, लेकिन पिता से प्रार्थना करें कि पीड़ाओं को आप से दूर रखें। हालांकि, जब पीड़ाएं आती हैं, निराश न हों; उन्हें स्वीकार करें और प्रार्थना जारी रखें, पिता, अगर मुमकिन है तो इसे दूर करो। मुझे सभी परेशानी और व्याकुलता से दूर अपनी उपस्थिति में रखो। एक ओर हमें इस तरीके से प्रार्थना करनी चाहिए; दूसरी ओर, जो भी पिता देता है, हमें उस सब के साथ खुश होना चाहिए, क्योंकि हम जानते हैं कि सब कुछ उसके हाथ में है और हमारे रास्ते में इसलिए आती है कि हम उसके पहिलौठे पुत्र के स्वरूप में अनुरूप हो सकें। यह अनुरूपीकरण हमारे महिमाकरण की तैयारी है।
मुसीबतें, अनुग्रह के देहधारण का
हम से मुलाकात करने आना
अगर हम कहते हैं कि हम अनुग्रह की कद्र करते हैं लेकिन मुसीबतों की नहीं, यह ऐसा कहने के समान है कि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं लेकिन यीशु से नहीं। हांलाकि, यीशु को इनकार करना परमेश्वर को इनकार करना है। उसी तरह, मुसीबतों को इनकार करना अनुग्रह को इनकार करना है। परमेश्वर देहधारित क्यों हुआ? क्योंकि वह हमारे पास आना चाहता था। परमेश्वर का देहधारण उसकी अनुग्रहपूर्ण मुलाकात थी। निश्चित रूप से हम सब परमेश्वर की ऐसे मुलाकात से प्रेम करते हैं। अगर हम उसकी मुलाकात से प्रेम करते हैं, तो हमें उनके देहधारण से भी प्रेम करना चाहिए। यह अनुग्रह और मुसीबत के साथ समान है। मुसीबत हमारे साथ मुलाकात करने वाले अनुग्रह का देहधारण है। यद्यपि हम परमेश्वर के अनुग्रह से प्रेम करते हैं, हमें मुसीबतों को भी चूमना चाहिए, जो अनुग्रह का देहधारण, अनुग्रह की मधुर मुलाकात है।
मैडम ग्योन ने कहा कि उसे दिये गए क्रूसों को उसने चूमा। बहुत से लोग क्रूस को नापसंद करते हैं क्योंकि यह एक पीड़ा, एक मुसीबत है। इसके वितरीत, मैडम ग्योन ने प्रत्येक क्रूस को चूमा, और ज्यादा आने का इंतजार किया, क्योंकि उसने अहसास किया कि क्रूस परमेश्वर को उसके पास लाता है। मैडम ग्योन ने कहा, परमेश्वर मुझे क्रूस देता है, और क्रूस परमेश्वर को मेरे पास लाता है।’’ उसने क्रूस का स्वागत किया, क्योंकि जब उसके पास क्रूस था, उसके पास परमेश्वर था। मुसीबतें एक क्रूस है, और अनुग्रह हमारे आनंद के लिए हमारे भाग के रूप में परमेश्वर है। यह अनुग्रह मुख्य तौर से मुसीबत के रूप में हमसे मुलाकात करता है।
खरा चरित्र
एक पारित विशेषता है
जो परीक्षण और मुसीबतों की
सहनशक्ति का परिणाम है
सहनशक्ति खरा चरित्र उत्पन्न करती है (रो- 5:4)। खरा चरित्र एक पारित विशेषता है जो मुसीबत और परीक्षण की सहनशक्ति के परिणाम से आता है। इस प्रकार, खरा चरित्र एक विशेषता या गुण है जो स्वीकृत किया जा सकता है। कभी कभी, जवान भाईयों को दूसरों से मंजूरी मिलना आसन नहीं है। उन्हें सहनशक्ति की आवश्यकता है जो एक विशेषता को उत्पन्न करती है जिसके साथ असानी से दूसरे सहमत हो सकते हैं। मुसीबत का सहनशक्ति में परिणाम होता है और सहनशक्ति खरे चरित्र की विशेषता को लाती है। कुछ संस्करणों में यहां यूनानी शब्द का अनुवाद अनुभवय् होता है। यह सही है, क्योंकि खरे चरित्र में अनुभव शामिल है। हालांकि, यह मुख्यतः अनुभव ही नहीं है, लेकिन गुण या सद्गुण है जो पीड़ा के अनुभवों के माध्यम से हासिल किया गया है। आप जितना ज्यादा पीड़ित होते हैं, आपके पास उतनी ज्यादा सहनशक्ति होगी और खरे चरित्र की विशेषता उतनी ज्यादा उत्पन्न होगी। खरा चरित्र एक ऐसा गुण नहीं है जो हमारे पास स्वभाविक जन्म से होता है।
कच्चे सोने के उदाहरण पर विचार करो। यद्यपि यह असली सोना है, यह कच्चा है और आकर्षित नहीं है। इसे शुद्ध करने वाली आग की आवश्यकता है। जितना ज्यादा सोना आग की जलन को सहेगा, उतनी ज्यादा एक पारित विशेषता उत्पन्न होगी। परीक्षण और जलाने के बाद, सोने को एक ऐसी विशेषता प्राप्त होती है जो आसानी से सब लोग स्वीकृत करते हैं। शायद, बहुत से जवान लोग कच्चे सोने की तरह हैं। उन्हें चमकाने और रंग लगाने की जरूरत नहीं है, उन्हें जलाये जाने की जरूरत है। कुछ संतों के पास जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं, जीवन और ज्योति की कुछ मात्र है। क्योंकि उनके पास ये चीजे हैं, तो वे सोचते हैं कि वे प्रभु के लिए काम करने के लिए उपयुक्त हैं। हालांकि, उनके पास खरे चरित्र की कमी है। एक ओर, वे जहां भी जाते हैं वे उपयोगी हो सकते हैं; दूसरी ओर, वे कच्चे हैं और उनमें उस सद्गुण की कमी है जो लोगों को खुश, मीठा और सहज बनाता है। उनके पास खरा चरित्र का उल्टा है, जिसे हम अस्वीकृृति कहते हैं। ऐसा क्यों था कि शुरूआत में आपकी परिस्थिति इतनी अच्छी थी, लेकिन कुछ समय के बाद बहुत खराब? शुरूआत में यह आपके वरदान और ज्योति की वजह से अच्छा था। यह अच्छी तरह से जारी नहीं रहा क्योंकि आप बहुत कच्चे थे अर्थात आपके पास स्वीकृत होने के सद्गुण की कमी थी। यदि हमारे पास स्वीकृति का सद्गुण है, तो हम दूसरों के लिए समस्या नहीं बनेंगे। हम सभी को प्रार्थना करनी चाहिए, हे प्रभु, मुझे खरा चरित्र दे।
DOWN IN THE VALLEY WITH MY SAVIOR I WOULD GO
Consecration—Following the Lord – 461
1. Down in the valley with my Savior I would go,
Where the flowers are blooming and the sweet waters flow;
Everywhere He leads me I would follow, follow on,
Walking in His footsteps till the crown be won.
Follow! Follow! I would follow Jesus!
Anywhere, everywhere, I would follow on!
Follow! Follow! I would follow Jesus!
Everywhere He leads me I would follow on!
2. Down in the valley with my Savior I would go,
Where the storms are sweeping and the dark waters flow;
With His hand to lead me I will never, never fear,
Dangers cannot fright me if my Lord is near.
3. Down in the valley, or upon the mountain steep,
Close beside my Savior would my heart ever keep;
He will lead me safely in the path that He has trod,
Up to where they gather in the rest of God.