चरवाही

श्रृंखला 1

उच्च सुसमाचार

पाठ आठ – मसीह जीवन है

कुल- 3:4-जब मसीह, जो हमारा जीवन है, प्रकट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा में प्रकट किए जाओगे।

वह जीवन जो आत्मा

न्यूमा मसीह ने

हमें दिया है

बाइबल कहती है ‘‘आत्मा ही है जो जीवन देता है’’(यूहन्ना 6:63)। लेकिन यह जीवन जो आत्मा देता है वह क्या है? हम जानते हैं कि जीवन के कई रूप हैं। इस संसार में पौधों का जीवन और जानवर का जीवन है। पौधों का जीवन नीचा है और जानवरों का जीवन ऊँचा है। मानव जीवन इन दो प्रकार के जीवन से भी ऊँचा है—जीवन के ये सभी रूप अद्भुत है, लेकिन एक चौथे प्रकार का जीवन है-दिव्य जीवन जो परमेश्वर का अरचित जीवन है।

उच्चतम जीवन

इस उच्चतम जीवन की विशेषता क्या है? पहला, परमेश्वर का यह जीवन दिव्य है। दिव्य होने का मतलब परमेश्वर से होना, परमेश्वर के स्वभाव का होना और अन्य सभी से सर्वोत्कृष्ट और अलग होना है। सिर्फ परमेश्वर दिव्य है इसलिए उसका जीवन दिव्य है। इसके अतिरिक्त, परमेश्वर का जीवन अनंत है। परमेश्वर का जीवन अरचित है_ इसकी शुरूआत नहीं है और अंत नहीं है। हम सभी का किसी समय पर और किसी दिन जन्म हुआ और हम सब यह एहसास करते हैं कि हमारा मानवीय जीवन का मृत्यु में निश्चित अंत होगा। फिर भी, परमेश्वर के जीवन की कोई शुरूआत नही है और नित्यता जारी रहेगी। सदियों से, मनुष्यों ने जीवन को बढ़ाने के लिए यंत्र बनाने का प्रयास किया पर कोई भी सफल नहीं हुआ। लेकिन परमेश्वर स्व-अस्तित्व और सदा-अस्तित्व है। उसका जीवन अचूक और स्थिर है। परमेश्वर का अनंत जीवन न केवल हमेशा रहता है, लेकिन बिना किसी कमी या खराबी के गुणवता में पूरी तरह से सिद्ध और संपूर्ण भी है।

परमेश्वर का अनंत जीवन

उसके पुत्र में होना

पहला यूहन्ना 5:11-12 कहता है ‘‘ वह साक्षी यह है कि परमेश्वर ने हमें अनंत जीवन दिया है, और यह जीवन उसके पुत्र में है। जिस के पास पुत्र है उसके पास जीवन है, जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं उसके पास वह जीवन भी नहीं।’’ यहाँ हमें बताया जाता है कि अनंतकाल का यह जीवन पुत्र में है। यह किसी अन्य जगह में नहीं पाया जाता है।

परमेश्वर का पुत्र मृत्यु और पुनरुत्थान से गुजर कर पवित्र आत्मा बनने के बाद, अब समय और जगह से सीमित नहीं है। अब हम उसे किसी भी समय और कही पर भी ग्रहण कर सकते हैं। अब तक, जिसने भी परमेश्वर के पुत्र को ग्रहण किया है उसने परमेश्वर को ग्रहण किया है। उसी तरह से, जिसने भी पवित्र आत्मा को ग्रहण करता है, पुत्र को ग्रहण करता हैं। पहला कुरिन्थियों 15:45 कहता है ‘‘अन्तिम आदम जीवनदायक आत्मा बना।’’ यह सभी को जिन्होंने मसीह को ग्रहण किया है एक नया जीवन प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। न केवल उनके पाप क्षमा किए जाते हैं, बल्कि वे विरासत में परमेश्वर से अनंत जीवन भी पाते हैं।

मसीह को जीवन के रूप में

ग्रहण करना श्वास लेने जैसा सरल होना

एक व्यक्ति था जो प्रभु द्वारा बहुत ही इस्तेमाल किया गया वह एफ- बी- मेयर था। एक समय था जब उसने एहसास नहीं किया कि पवित्र आत्मा में मसीह हमारे लिए जीवन कैसे हो सकता है, ना ही उसने देखा कि इस जीवन को कैसे प्राप्त कर सकते हैं। एक दिन वह पर्वत पर प्रार्थना कर रहा था, यह आशा करते हुए कि वह परमेश्वर के पुत्र को जीवन के रूप में प्राप्त कर सके। अचानक उसे एहसास हुआ कि उसे बस विश्वास करने की जरूरत थी। उसने गहरी सांस ली और प्रार्थना की, ‘‘प्रभु, जिस तरह मैं इस हवा को साँस ले रहा हूँ उसी तरह आपको अंदर लेने के लिए मैं अपने विश्वास का अभ्यास कर रहा हूँ।’’ पर्वत से नीचे उतरने के बाद, यह कहकर उसने दूसरों को गवाही दिया कि, ‘‘जिस दिन से मैंने परमेश्वर के पुत्र को मेरे अंदर साँस लिया है, मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया।’’ परमेश्वर के पुत्र को जीवन के रूप में ग्रहण करना बहुत ही सरल बात है। यह हवा को आपके अंदर साँस लेने जैसा सरल है।

खाने और

पीने के द्वारा बढ़ना

जब दिव्य जीवन हमारे अंदर आता है, हम नया जन्म पाते हैं_ हमारे पास परमेश्वर का जीवन है और हम परमेश्वर के पुत्र बन जाते हैं—-हमारे मानवीय जीवन में पैदा होने के बाद, खाने और पीने के द्वारा हम बढ़ना जारी रखते हैं। उसी तरह, मसीह को आत्मिक भोजन के रूप में खाने के द्वारा और आत्मा को जीवन के जल के रूप में पीने से हमारा आत्मिक जीवन बढ़ेगा। दिन प्रतिदिन जैसे हम मसीह को खाते और पीते हैं हम दिव्य जीवन में बढ़ेंगे। इस तरह से हम ऐसे लोग बनेंगे जो परमेश्वर से भरे हुए हैं और आखिरकार अपने चालचलन में परमेश्वर को अभिव्यक्त करेंगे। यह मसीही जीवन का अर्थ है।

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LIFE OF GLORY— OH, WHAT GLORY!

Experience of Christ— As Life

  1. Life of glory—oh, what glory!
    Christ is glorious life to me;
    Perfect, righteous, pure, and holy,
    Life and light so rich is He!
    All the glory of God’s nature
    Dwells within Him hiddenly,
    But as life is He imparted,
    Me supplying inwardly.
  2. Life divine—oh, joy to know it!
    Christ is life divine to me;
    He’s the consummated Spirit
    Who has come to dwell in me.
    Touching, moving, shining, teaching,
    He’s th’anointing soothing me,
    Filling, drenching, and refreshing,
    Me supplying inwardly.
  3. Life of power—oh, what power!
    Christ’s the life of pow’r in me;
    Crucified with Christ the Savior,
    No more slave of sin I’ll be.
    With Him I’ve been resurrected,
    I in Him and He in me;
    Resurrection pow’r I’ve tasted,
    Me supplying inwardly.
  4. Life of vict’ry—oh, what vict’ry!
    Christ’s victorious life to me;
    On the cross He won the vict’ry;
    I’ll no more a captive be.
    Satan, demons, world, and passions—
    He has conquered all for me;
    Now His life of victory is
    Me supplying inwardly.
  5. Life of glory—power, vict’ry!
    Life divine is Christ to me!
    He gives vict’ry, power; gives me
    Growth unto maturity;
    To His image He transforms me,
    Makes me all transcendent, free;
    Till I’m raptured, glorified, He’s
    Me supplying inwardly.