चरवाही

श्रृंखला 1

उच्च सुसमाचार

पाठ दो – मसीह मानव जीवन का अर्थ

कुल. 3:4- जब मसीह, जो हमारा जीवन है, प्रकट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा में प्रकट किये जाओगे।

यूहन्ना 5:24-मैं तुमसे सच सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, पर मृत्यु से पार होकर वह जीवन में प्रवेश कर चुका है।

परमेश्वर की जरूरत हम हैं और हमारी जरूरत मसीह है

परमेश्वर को मनुष्य की जरूरत है, और मनुष्य को मसीह की जरूरत है। मनुष्य के बिना परमेश्वर अपने उद्‌देश्य को पूरा नहीं कर सकते है। मनुष्य के बिना, परमेश्वर कुछ नहीं कर सकते। दूसरी ओर, हमें भी कहना होगा, “मसीह के बिना, मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ।” हमारे बिना, परमेश्वर कुछ नहीं कर सकते, और मसीह के बिना, हम कुछ नहीं कर सकते है। परमेश्वर को हमारी जरूरत है और हमें मसीह की जरूरत है। हम यहां परमेश्वर के लिए हैं, और मसीह यहां हमारे लिए है।

यदि हम परमेश्वर के लिए नहीं होते, और हमारे पास हमारे लिए मसीह नहीं होते, तो हम दु:खी और दयनीय होते। दुर्भाग्य से, यह आज के संसार की वास्तविक स्थिति है। संसार में लोग परमेश्वर के लिए नहीं हैं, और उनके पास उनके लिए मसीह नहीं है। वे सिर्फ स्वयं के साथ चलते हैं और खुद पर भरोसा रखते हैं। लेकिन हम मसीही लोग अलग हैं कि हम परमेश्वर के लिए हैं, और हमारे पास हमारे लिए मसीह है।

मसीह को अपने जीवन के रूप में लेना

मानवीय रूप से बोलें तो, हम कई चीजें करने में असमर्थ हो सकते हैं, लेकिन हम में से सभी साँस ले सकते हैं, खा और पी सकते हैं। यहां तक छोटे बच्चे भी जानते हैं कि इन चीजों को कैसे करें। किसी को भी उन्हें सिखाने की जरूरत नहीं है। उसी तरह, हम आत्मिक क्षेत्र में असमर्थ हैं, लेकिन हम मसीह को सांस ले सकते हैं (यूहन्ना 20:22), मसीह को पी सकते हैं (4:14; 7:37), और मसीह को अपने भोजन के रूप में अंदर ले सकते हैं (6:35, 51, 57)। मसीह हवा सांस है; मसीह जल है, पेय; और मसीह रोटी, भोजन है। इसलिए, हम सब मसीह को अंदर ले सकते हैं। परमेश्वर का ऐसा कोई इरादा नहीं है कि हम उसे स्वयं अभिव्यक्त करें और स्वयं के द्वारा उसके लिए कुछ भी करें। परमेश्वर का इरादा यह है कि हम मसीह को अपने जीवन के रूप में लेने के द्वारा उसे अभिव्यक्त करें और उसके लिए कार्य करें। (कुल. 3:4; यूहन्ना 6:57; 14:19) ।

दो बड़ी गलतियां हैं–एक संसारिक लोगों के द्वारा की गयी है और दूसरी मसीहियों के द्वारा। संसारिक लोगों की बड़ी गलती यह है कि वे परमेश्वर के लिए कुछ नहीं करते हैं। दूसरी ओर, मसीही लोग, स्वयं के द्वारा परमेश्वर के लिए कुछ करने की कोशिश करते हैं। यह भी बड़ी गलती है। हमारे लिए परमेश्वर के लिए कुछ करने का सही तरीका यह है कि हम स्वयं से कुछ न करें बल्कि मसीह को अपने जीवन के रूप में लेने के द्वारा कुछ करें। प्रभु यीशु ने कहा, “मुझ से अलग होकर तुम कुछ नहीं कर सकते” (15:5)। फिर भी प्रेरित पौलुस ने कहा, “जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ” (फिल. 4:13)। मसीह के बिना, हम कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन मसीह के साथ और मसीह में, हम सब कुछ करने में सक्षम हैं। यूहन्ना 14:20 में प्रभु ने चेलों से कहा, “उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता मैं हूँ, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।” इसलिए, हम मसीह के बिना नहीं हैं। हमारे पास मसीह है, और हम मसीह में हैं।

आज के मानव समाज में व्यर्थता और दु:ख को छोड़कर कुछ भी नहीं है क्योंकि लोग गलत रास्ते पर हैं। उन्हें परमेश्वर से कुछ लेना देना नहीं है। हालांकि, मसीही लोग, खुद के द्वारा परमेश्वर के लिए कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं। अब, इस युग के अंत में, प्रभु मुख्यत: युवा पीढ़ी के माध्यम से कुछ पुन:प्राप्त करने जा रहे हैं। इसलिए, आप…सभी को सीखना होगा कि मसीह को अपने जीवन के रूप में लेने के द्वारा परमेश्वर के लिए कैसे होना है। अगर मैं आपसे पूछता हूँ कि आप यहां क्या कर रहे हैं, तो आपको यह नहीं कहना चाहिए कि आप यहां अध्ययन कर रहे हैं या काम कर रहे हैं। बल्कि, आपको कहना होगा, “मैं यहां…परमेश्वर के लिए हूँ!” युवा लोग यहां क्या कर रहे हैं? वे यहां पर परमेश्वर के लिए हैं! किस तरीके से? मसीह को अपने जीवन के रूप में लेने के द्वारा! इसका अर्थ यह है कि वे मसीह को सांस ले रहे हैं, मसीह को पी रहे हैं, मसीह को खा रहे हैं।

हमारे बिना, परमेश्वर कुछ नहीं कर सकता है, और मसीह के बिना,  हम कुछ नहीं कर सकते हैं। हम परमेश्वर के लिए पात्र हैं जिन्हें मसीह को अपने जीवन के रूप में लेने की जरूरत है। यह कितना अद्‌भुत है कि हम मसीह को अपने जीवन के रूप में लेने के लिए अच्छे हैं! जानवरों को मसीह को लेने के लिए नहीं सृजा गया था, लेकिन हमें सृजा गया। हम सभी मसीह को लेने के लिए योग्य हैं।

जीवन के रूप में मसीह हमारी आवश्यकता

कुछ भी करने के लिए, हमें उचित जीवन की आवश्यकता है। एक कुत्ता भौंकता है क्यो कि इसके पास कुत्ते का जीवन है, जो भौंकने वाला जीवन है। एक बिल्ली, बिल्ली में क्षमता की वजह से चूहों को पकड़ने में सक्षम है, लेकिन हमारे पास यह क्षमता नहीं है। इसी तरह, यदि हम परमेश्वर को अभिव्यक्त करना चाहते हैं और परमेश्वर के अधिकार का अभ्यास करना चाहते हैं, तो हमें इसे कर करने के लिए जीवन की आवश्यकता है। मानव जीवन न तो परमेश्वर को अभिव्यक्त करने के लिए और न ही परमेश्वर के अधिकार का अभ्यास करने के लिए अच्छा है। लेकिन मानव जीवन दूसरा जीवन ग्रहण करने के लिए अच्छा है जो परमेश्वर को अभिव्यक्त करने और परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम है। सभी पशु जीवन, जैसे की कुत्ते का जीवन, बिल्ली का जीवन या पक्षी का जीवन, एक अन्य जीवन प्राप्त करने के लिए अच्छा नहीं है। परमेश्वर ने उन्हें इस तरह से नहीं बनाया। लेकिन परमेश्वर ने हमें इस तरह से बनाया है कि हम दूसरा जीवन ग्रहण कर सकते हैं। यह जीवन स्वयं परमेश्वर का अनन्त जीवन है, जो मसीह है।

परमेश्वर ने हमें हमारे जीवन के रूप में स्वयं परमेश्वर को ग्रहण करने के लिए प्राप्त करने वाले अंग के रूप में मानवीय आत्मा के साथ बनाया। मानवीय जीवन परमेश्वर को अभिव्यक्त करने में सक्षम नहीं है और ना ही परमेश्वर के अधिकार का अभ्यास करने के लिए अच्छा है। लेकिन मानव जीवन एक बात के लिए अच्छा है अर्थात्‌‌ वह जीवन प्राप्त करने के लिए जो सक्षम है–अनन्त जीवन (1 यूह. 1:2) । “जिसके पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन जीवन भी नहीं है” (5:12) ।

मसीह के लिए स्वयं को खोलना और उसे

अपने जीवन के रूप में ग्रहण करना

मसीह के बिना सब कुछ व्यर्थ है। बिना मसीह के सब कुछ व्यर्थ है। मनुष्य ब्रह्‌माण्ड का अर्थ है, और मसीह मानव जीवन का अर्थ है। यद्यपि मनुष्य ब्रहमाण्ड का अर्थ है, बिना मसीह के मनुष्य के पास कोई भी सार या वास्तविकता नहीं है। बिना मसीह के मनुष्य केवल एक खाली पात्र है। खाली पात्र के रूप में मनुष्य को सार के रूप में मसीह की आवश्यकता है। यही कारण है कि हमें स्वयं को मसीह के लिए खोलना चाहिए और उन्हें अपने जीवन के रूप में ग्रहण करना चाहिए।

आपको हर समय अपने आप को खोलने की और उसके नाम को पुकारने की जरूरत है। अपने मन में कुछ भी धार्मिक या आत्मिक ना रखें। तब आप देखेंगे कि वह तत्कालिक, वर्तमान, आद्यतन, पल-पल का मसीह है। वह इस पल का मसीह है। जिस पल लोग आपको अस्वीकार करते हैं और सताते हैं, वह मसीह है। अपने मन में इतने सारे सिद्धांत न रखें। सिद्धांत काम नहीं करते हैं। केवल मसीह काम करता है। यह मसीह जीवित मसीह है। वह सैद्धांतिक मसीह या शिक्षाओं में मसीह नहीं है, अपितु मसीह है जो जीवनदायक आत्मा के रूप में उपस्थित, वास्तविक, और व्यावहारिक है (1 कुर. 15:45) । बस उसे पुकारो।

वह जीवित आत्मा है जो हर समय हमारे साथ है। वह उपस्थित है, प्रचलित, उपलब्ध, और तत्कालिक है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां हैं, चाहे आप किसी भी परिस्थिति में हों, चाहे आप किसी से निपट रहे हैं या कोई आपसे निपट रहा है, अपने आप को और अपने विचारों के बारे में भूल जाइये; बस अपने आप को उसके लिए खोलें और पुकारें, “हे प्रभु यीशु।” बस उसे आनंद करें। वह आपका जीवन और आपका सार है। वह आपके मानव जीवन का अर्थ है।

तू मेरा सारा जीवन है प्रभु

कलीसिया-उसका भवन

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  • प्रभु मेरा जीवन
    मुझ में तू रहता
    परमेश्वर की पूर्णता
    मुझको तू देता
    पवित्र स्वभाव से
    मैं पवित्र हुआ
    तेरे पुनरूत्थान से
    विजय मैं होता
  • अब तेरा बहता जीवन
    देता है रोशनी
    संगति करने को
    आत्मा में लाता
    मेरी जरूरतों की
    पूर्ति तू करता
    मुझको पवित्र कर
    स्वयं में स्थिर करता
  • अभिषिक्त आत्मा तेरा
    मुझको भरता है
    प्राण और आत्मा को मेरे
    संतृप्त करता है
    बदलता है हर भाग
    अनुरूप होने
    जब तक तेरा जीवन
    परिपक्व न हो
  • तेरा प्रचुर जीवन
    बहता है भरपूर
    नित्य ताजा करता
    और सामर्थ देता
    मृत्यु निगली गई
    कमजोरी दूर हुई
    सारे बंधन टूटे
    शोक, गीत में बदले
  • खुद को पूरा देता
    तुझे ही प्रभु
    कि तेरी ही इच्छा
    मुझमें पूरी हो
    खुद को सुधारने की
    कोशिश न करूं
    कि बाधा न बनूं
    तेरे कार्यो में
  • खुद को मैं हूं रोकता
    व्यर्थ प्रयत्नों से
    कि जीवन बदले मुझे
    पूरी आजादी से
    दूसरो संग निर्मित कर
    कि हममें तू दिखे
    तेरी पूर्ण अभिव्यक्ति
    तेरी महिमा हो