चरवाही
श्रृंखला 1
उच्च सुसमाचार
पाठ एक – मानव जीवन का रहस्य
रो. 9:23-उसने यह इसलिए किया कि वह अपनी महिमा का धन दया के उन पात्रों पर प्रकट करे, जिन्हें उसने पहले से ही महिमा के लिए तैयार किया था।
10:9-कि यदि तू अपने मुख से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन में विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जीवित किया तो तू उद्धार पाएगा।
परमेश्वर की योजना
परमेश्वर की एक योजना है। यह योजना पूरी तरह से मनुष्य से संबंधित है (इफ. 1:5) । बाइबल में, इस योजना को परमेश्वर का गृह प्रबंध कहा गया है (3:9-11) । परमेश्वर का गृह प्रबंध मनुष्य के लिए बस परमेश्वर की सम्पूर्ण योजना है। यह मनुष्य की उत्पत्ति और नियति के साथ साथ मानव अस्तित्व के अर्थ को भी बताती है।
मनुष्य पात्र के रूप में सृजा गया
आप को केवल अपने पेट में भोजन समाहित करने के लिए या अपने मन में ज्ञान समाहित करने के लिए नहीं बनाया गया, लेकिन इसलिए कि आप अपनी आत्मा में परमेश्वर को समाहित करें (रो. 9:23-24; इफ. 5:18)।
पाप ने मनुष्य के भीतर प्रवेश किया
और मनुष्य के पतन का कारण बना
पाप ने मनुष्य की आत्मा को मृतक बना दिया, (इफ.2:1), पाप ने मनुष्य के मन को विद्रोही बनाया, (कुलु. 1:21) पाप मनुष्य के शरीर के लिए पाप… (रो. 6:12)। इतिहास के दौरान, मनुष्य ने पाप से बचने का हर संभव तरीके से प्रयास किया, [लेकिन मनुष्य खुद को नहीं बचा सकता]।
छुटकारे के कार्य को पूरा करने के लिए
मसीह का क्रूस पर चढ़ाया जाना
परमेश्वर के मेमने के रूप में, वह मनुष्यों के पाप उठाने के लिए मरा…(यूहन्ना 1:29);…कांसे के सांप के रूप में वह पुराने सांप–शैतान को कुचलने के लिए मरा…(यूहन्ना 3:14); और गेंहू के दाने के रूप में, वह दिव्य जीवन मुक्त करने के लिए मरा (यूहन्ना 12:24)।
मनुष्य के नये जन्म के लिए
परमेश्वर की प्रदानता
परमेश्वर शरीर बना, एक मनुष्य के रूप में जन्मा जो यीशु कहलाया…“वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच में डेरा किया।” (यूहन्ना 1:14)। मृतकों में से अपने पुनरूत्थान में प्रभु आत्मा बना जिसे जीवन-दायक आत्मा कहा जाता है। “अंतिम आदम जीवन दायक आत्मा बना।” (1 कुर. 15:45) । चूंकि यह आत्मा जीवन देने वाला आत्मा है, वह अपने विश्वासियों में अपने जीवन के साथ परमेश्वर को प्रदान करता है।
अब आपको क्या करना है?
1.अपने हृदय परमेश्वर की ओर मोड़ें-पश्चाताप् करें
पश्चाताप् अपने मन में बदलाव लाना है।
“मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है” (मत्ती. 4:17)।
2.विश्वास करना-ग्रहण करना
विश्वास करना बस ग्रहण करना है।
“परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास करते हैं” (यूहन्ना 1:12) ।
3.अंगीकार करना-पुकारना
एक मसीही होना एक खुला मामला है। परमेश्वर मांग करता है कि आप हृदय से विश्वास करे और कि आप मुख से अंगीकार करे।
“यदि तू अपने मुख से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने मन में विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जीवित किया तो तू उद्धार पाएगा” (रो. 10:9) ।
बपतिस्मा ले-गवाही दें
बपतिस्मा मनुष्यों के सम्मुख एक गवाही है। प्रत्येक विश्वासी को बचाये जाने के लिए न केवल परमेश्वर के सम्मुख बल्कि मनुष्य के सम्मुख भी बपतिस्मा लेना चाहिए….बपतिस्मे के द्वारा, परमेश्वर हमें शैतान के राज्य से परमेश्वर के राज्य में स्थानांतरित करता है। इस कारण से, प्रभु यीशु ने कहा: “मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ, जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे, वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता” (यूहन्ना 3:5)।
अब कृपया प्रार्थना करें:
“प्रभु यीशु! मैं पापी हूँ। मुझे आपकी जरूरत है। मेरी आत्मा में आइए। मेरे पाप को दूर कीजिए। मुझे भरे ताकि मैं परमेश्वर का जीवन रख सकूं। ठीक अभी मैं आपको अपना उद्धारकर्ता और जीवन के रूप में ग्रहण करता हूँ। मैं अपने आप को आप को देता हूँ। मैं यह आपके नाम में मांगता हूँ। आमीन!”
सन्दर्भ: मानव जीवन का रहस्य
God Made Man a Vessel
Gospel-The Meaning Of Human Life
1404
- God made man a vessel he
With a spirit, soul, body.
God to man his content be
That through man His glory see. - Man does have God’s image true,
Noble in his status, too.
But God’s life man also needs
Divine nature to receive. - 3.Christ in death as God expressed
Man redeemed, His blood was shedd’st.
In His resurrection He
Enters us our life to be. - Man without Christ will perceive
That all things are vanity.
Human life is meaningless
Without hope or purpose. - But when man takes Christ as life,
He’s in spirit born anew.
When he daily lives by Christ,
Vanity is turned to song.