चरवाही
श्रृंखला 1
उच्च सुसमाचार
पाठ चौदह – मन फिराना और अंगीकार करना
मत्ती- 3ः2-मन फिराओ_ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
1 यूहन्ना 1:9-यदि हम अपने पापों को मान लें तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अर्धम से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
मनुष्य का मन फिराना
मनुष्य का मन फिराना आत्मा के पवित्र करने वाले कार्य का फल है। जब आत्मा मनुष्य को प्रकाशित करने, ढूंढने, और मनुष्य को पाप, धार्मिकता और न्याय के बारे में अपराधी ठहराने के लिए आता है, तो वह मनुष्य का परमेश्वर की ओर मुड़ने और मन फिराने का कारण बनता है।
मन फिराव का अर्थ
मन फिराव के लिए यूनानी शब्द का अर्थ पछतावे में परिणाम होने के लिए मन का एक बदलाव और उद्देश्य में एक मोड़ होना है। इसलिए मन फिराना, जैसा बाइबल में सिखाया गया है, मन का एक बदलाव होना है। यह खुद को बेहतर बनाना या सुधारना नहीं है ना ही दुष्ट को त्यागकर भलाई की ओर मुड़ना है, जैसे लोग अक्सर विश्वास करते हैं। मनुष्य के पतन के समय से मनुष्य का मन परमेश्वर के विरूद्ध मुड़़ गया और परमेश्वर के अलावा अन्य व्यक्तियों, चीजों और मामलों की ओर मुड़ गया। इसके अलावा, मनुष्य अपने मन के द्वारा नियंत्रित है और विचारों की इच्छाओं का कार्य करता है (इफ- 2:3)। मनुष्य के विचारों की इच्छाएं, चाहे वो अच्छी हों या बुरी हो, वे हमेशा परमेश्वर के विपरीत होती हैं और परमेश्वर के अलावा अन्य व्यक्तियों, चीजों और मामलों की ओर हैं। इस कारण से, मनुष्य भी परमेश्वर के विपरीत एक तरीके से व्यवहार करता है और इसलिए परमेश्वर के अलावा व्यक्तियों, चीजों और मामलों की ओर मुड़ा हुआ है। इसलिए, मनुष्य को पश्चाताप करना चाहिए और अपने मन में बदलाव लाना चाहिए ताकि उसका आचरण और व्यवहार भी तदनुसार बदल सके।
मन फिराव परमेश्वर के
प्रकाशन की मांग करता है
मैं यह देखना चाहता हूं कि आप में से प्रत्येक परमेश्वर द्वारा पूरी तरह से प्रकाशित है– अगर आप बार-बार उनके पास जाते हैं, तो वह आप पर चमकेगा। वह आपको प्रकाशित करेगा। वह आपको प्रकाश में लाएगा। वह आपको पूरी तरह से बेनकाब करेंगा। तब आप पूरी तरह से मन फिराएंगे और प्रभु के सामने रोएंगे। आप प्रभु से बताओगे, ‘‘प्रभु, मैं बहुत गंदा और पापमय हूँ। मैं सड़ा हुआ और भ्रष्ट हूँ। स्वाभाविक रूप से आप पूर्णतया प्रभु से अंगीकार करेंगे। आप इस हद तक अंगीकार कर सकते हो कि आप खाना भूल जाते हैं। जब आप कार्यालय की ओर गाड़ी चला रहे हैं, आप अभी भी आँसू के साथ प्रभु की ओर मन फिराते हैं। मैं जानना चाहता हूँ कि हममें से कितने इस स्थिति से गुजरे हैं।
अंगीकार के दो पहलू
परमेश्वर से पाप का अंगीकार करना
पाप के साथ निपटने में कई चीजें शामिल हैं। पहला, हमें अपने पापों का परमेश्वर और मनुष्य दोनों से अंगीकार करना है। परमेश्वर से हमारे पापों को अंगीकार करना परमेश्वर के सम्मुख आना और वह सब कुछ अंगीकार करना है जो हमने किया है जिससे उसको ठेस पहुंची है। जो भी पाप हम करते हैं वे परमेश्वर को ठेस पहुंचाते हैं चाहे वह परमेश्वर के विरूद्ध हो या मनुष्य के विरूद्ध—-जब हम इस तरह से परमेश्वर की ओर अपने पापों को अंगीकार करते हैं तो हम सामान्य नहीं हो सकते, हम केवल सिद्धांत में अंगीकार नहीं कर सकते कि हमने अधिक पाप किये हैं। हमें विशिष्ट होना है और एक-एक करके अपने पापों को अंगीकार करना है। हम परमेश्वर के सामने पाप का एक थैला लाकर, उसके सामने फेंक कर, उसे भूल नहीं सकते। हमें परमेश्वर के सम्मुख उस थैले को खोलना है और हर पाप का उल्लेख करना है, हमें थैले को खोलना है और हर पाप को एक-एक करके पूर्णतया अंगीकार करना है।
मनुष्य से पाप का अंगीकार करना
हमारे कई पाप दूसरों को ठेस पहुँचाते हैं, इसलिए हमें न केवल परमेश्वर से बल्कि मनुष्य से भी अपने पाप का अंगीकार करना है। हम परमेश्वर से अपने पापों को अंगीकार करते हैं क्योंकि हर पाप जो हम करते हैं वे उसे ठेस पहुँचाते हैं। हालांकि, जो पाप हम करते हैं, वह न केवल परमेश्वर को बल्कि मनुष्य को भी ठेस पहुंचाता है। अगर हमने परमेश्वर को ठेस पहुँचायी है वह हमें तुरन्त माफ कर देता है जब हम अपने पापों का अंगीकार करते हैं। लेकिन परमेेश्वर की क्षमा उन लोगों का ख्याल नहीं रख सकती है जिन्हें हमने ठेस पहुँचायी है।
मन फिराव का परिणाम
पापों की क्षमा प्राप्त करना
प्रभु का सुसमाचार मनुष्य को मन फिराने और पापों की क्षमा प्राप्त करने का कारण बनता हैं (लूका 24:47; 3:3; प्रे- 2:38)। मनुष्य को अनुग्रह की क्षमा देने के लिए परमेश्वर को पहले उसे मन फिराव का हृदय देना चाहिए (प्रे- 5:31)। जब तक एक मनुष्य परमेश्वर के खिलाफ होने के पाप से पश्चाताप नहीं करता और अपने हृदय से परमेश्वर की ओर नहीं मुड़ता, तो वह न ही प्रभु यीशु में विश्वास करेगा और न ही परमेश्वर की क्षमा करने वाले अनुग्रह को प्राप्त करने के योग्य होगा। अगर एक मनुष्य चाहता है कि उसे क्षमा किया जाए तो उससे मन फिराना चाहिए। उसे अपने मरे हुए कार्यों से मन फिराना होगा और वापस परमेश्वर की ओर मुड़ना होगा।
जीवन प्राप्त करना
प्रभु के सुसमाचार में मनुष्य को उसके पापों से क्षमा मिलने का उदेश्य यह है कि मनुष्य उनका जीवन पाए (कुल- 2:13)। इसलिए, अगर एक मनुष्य प्रभु के जीवन को प्राप्त करने की इच्छा रखता है, उसे मन फिराना होगा (प्रे- 11:18)। मनुष्य को यह देखना होगा कि उसका जीवन भ्रष्ट है और उसका चालचलन जो परमेश्वर के बाहर है, दुष्ट है। यह देखकर, वह अपराधी ठहरता है और स्वयं से घृणा करता है। जैसे ही वह मन फिराता है और परमेश्वर की ओर मुड़ता है उसके पापों की क्षमा हो जाती है और इस प्रकार परमेश्वर के जीवन को प्राप्त करता है।
पवित्र आत्मा का वरदान
और दिव्य विरासत को
प्राप्त करना
प्रभु के सुसमाचार में मनुष्य का पापों की क्षमा पाने का उद्देश्य यह भी है कि वे (2:38) पवित्र आत्मा का वरदान और दिव्य विरासत (26:18) को प्राप्त कर सके। जब मनुष्य मन फिराते हैं और परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं कि उनके पापों को क्षमा किया जाए, वे पवित्र आत्मा का वरदान और दिव्य विरासत प्राप्त करते हैं। पवित्र आत्मा, प्रक्रिया से गुजरा त्रिएक परमेश्वर है जो सर्व-सम्मिलित आत्मा बना है, परमेश्वर के पूर्ण सुसमाचार का सर्व-सम्मिलित आशीष बनने के लिए मनुष्यों को उनके मन फिराने के समय में दिया गया (गल- 3:14) ताकि वे त्रिएक परमेश्वर की समृद्धियों को आनन्द कर सकें। दिव्य विरासत, जो कुछ परमेश्वर के पास है, जो कुछ उसने किया है और जो कुछ वह अपने छुड़ाए गए लोगों के लिए करेगा सहित स्वयं त्रिएक परमेश्वर है। यह त्रिएक परमेश्वर संतो का भाग बनने के लिए (कुल- 1:12) सर्व-सम्मिलित मसीह में देहरूप है (कुल- 2:9)। पवित्र आत्मा जो संतों को दिया गया है, वह दिव्य विरासत का पूर्व स्वाद, प्रतिज्ञा और निश्चियता है (इफ. 1:14) जिसे हम बाटते हैं और आज परमेश्वर के नए नियम के गृह प्रबंध में पूर्व स्वाद के रूप में आनंद करते हैं, और आने वाले युग और अनन्तता में बाँटेंगे और अत्यधिक आनंद करेंगे (1 पत 1ः4)।
सुसमाचार-प्रभु के पास आना
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ध्वनि तेरी सुनता हूं जो पास बुलाता है
धोने को तेरे लहू से जो क्रूस से बहता है
मैं आता प्रभु आता तेरे पास धो और
शुद्ध कर लहू से जो क्रूस से बहता है।
मैं आता हूं
कमजोर तेरी शक्ति पर आ
भ्रष्टता को कर साफ
जब तक न हो बेदाग।
ये यीशु जो करता
आशीषित कार्य
अंदर डालकर अनुग्रह से
हमें जहां कभी पाप था।
वह आप गवाह देता
मुक्त सच्चे हृदय को
कि सब वचन पूर्ण होंगे
विश्वास से कर याचना।
सब स्तुति लहू का जीवन देय
अनुग्रह का प्रभु
मसीह के दान की सामर्थ,
धार्मिकता की।