चरवाही
श्रृंखला 6
कलीसिया जीवन
पाठ छः प्रभु की सेवा करना
इफ- 4:16 जिस से सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर, और एक साथ गठकर उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक भाग के परिमाण से उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है, कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए।
प्रभु की सेवा कैसे करें
अपने पूरे अस्तित्व से
सेवा करना
हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व तीन भाग का हैः आत्मा, प्राण, और देह। अपने पूरे अस्तित्व से प्रभु की सेवा करने का अर्थ है कि आत्मा, प्राण और देह सभी प्रभु की सेवा में भाग लेते हैं (रो- 12:1, 2, 11)। सबसे पहले, हमें अपनी देह को प्रभु के लिए प्रस्तुत करना चाहिए; दूसरा, हमारा मन, हमारे प्राण का मुख्य भाग, नवीकृत और रूपांतरित होना चाहिए; तीसरा, हमारी आत्मा जलती रहनी चाहिए। इस प्रकार, हमारे अस्तित्व के सभी तीन भाग प्रभु की सेवा में भाग लेते हैं।
प्रभु का अनुसरण करना
प्रभु की सेवा करने के लिए, हमें प्रभु का अनुसरण करना चाहिए (यूहन्ना 12:26)। वे जो प्रभु की सेवा करते हैं उन्हें उस मार्ग को अपनाना चाहिए जो उसने अपनाया। जहां भी वह जाता है, हमें प्रभु का अनुसरण करने की जरूरत है। जहाँ वह है, वहां हमें भी होना चाहिए। उसने क्रूस को चुना, और वह खुद के प्रति और सब कुछ के प्रति मरने को तैयार था और क्रूस का मार्ग लिया। हमें जो प्रभु का अनुसरण करते हैं, वैसे ही करना चाहिए। इस प्रकार, हम उसकी सेवा करने में सक्षम होंगे।
परमेश्वर की सलाह के अनुसार
प्रभु के लिए हमारी सेवा, दाऊद की तरह, परमेश्वर की सलाह के अनुसार और परमेश्वर की सलाह में होनी चाहिए (प्रे-13:36)।
सुनने के लिए
एक कान की जरूरत
पुराने नियम में, एक स्वामी उसका कान छेदता था जो सेवा करने के लिए इच्छुक था (निर्ग- 21:6), जो उसके कान के साथ निपटने को सूचित करता है कि वह आज्ञाकारी और अधीन हो। आज प्रभु की सेवा करने के लिए, हमें भी प्रभु के निपटारे की आवश्यकता है कि हमारे पास सुनने के लिए कान हो सकें और वह व्यक्ति हों जो प्रभु के लिए आज्ञाकारी और अधीन हैं।
प्रभु की सेवा
करने का लक्ष्य-
मसीह की देह का निर्माण
इफिसियों 4:16 हमें दिखाता है कि संतों के साथ हमारा सहयोग और सेवा मसीह की देह की वृद्धि और इसके प्रेम में निर्मित होने का कारण बनती है। पापियों को बचाने, संतों को सिद्ध बनाने और परमेश्वर की महिमा के अलावा (1 कुर- 10:30), प्रभु के लिए उसके दास के रूप में हमारी सेवा, इससे भी अधिक, मसीह की देह में वृद्धि और निर्माण का कारण बनती है।
प्रभु की सेवा
करने का इनाम
परमेश्वर पिता के द्वारा सम्मानित होना
यूहन्ना 12:26 कहता है, यदि कोई मेरी ¹प्रभु यीशु की सेवा करना चाहे—पिता ¹परमेश्वर उसका सम्मान करेगा। प्रभु के लिए हमारी सेवा के लिए, हम पिता के द्वारा सम्मानित किए जाएंगे। क्या इनाम है यह!
दावत में बैठने की अशीष पाना
और प्रभु की सेवा का आंनद लेना
जब प्रभु वापस आएगा, वे दास जो प्रभु की सेवा करने के लिए सर्तक रहे हैं, दावत में बैठने के लिए आशीषित होंगे और प्रभु की सेवा का आनंद लेंगे (लूका-12:37)। यह भी उनके लिए प्रभु की ओर से एक महान इनाम है, जो उसकी सेवा करते हैं।
प्रभु के साथ शासन करना
और प्रभु की खुशी का आनंद मनाना
प्रभु की सेवा करने वाला अच्छा और विश्वासयोग्य दास बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाए जाएगा और आने वाले राज्य के प्रकटीकरण में प्रभु की खुशी में प्रवेश करेगा (मत्ती- 25:21, 23)। यह जरूर एक बड़ा इनाम है, जिसके लिए हमें कद्र और चाह होनी चाहिए।
O HOW BLESSED IS THE PRIEST’S LIFE
Service—Enjoying Christ as Everything – 911
1. O how blessed is the priest’s life,
Christ to him is all in all:
All His clothing, food, and dwelling,
And His portion therewithal.
O how blessed is the priest’s life,
Christ to him is all in all:
All his clothing, food, and dwelling,
And his portion therewithal.
2 All the clothing of his service
Is the beauty of the Lord;
Glorious splendor do his garments,
Breast and shoulder-piece afford.
3 When in sacrifice he offers
Christ to God as God has willed,
Then as food he doth enjoy Him
And is with His riches filled.
4 Putting on the Lord as clothing,
Christ without he doth express;
Eating, drinking, with Him mingled,
Christ within doth him possess.
5 Holy, glorious is their dwelling,
’Tis the increase of the Lord;
Here the priests built up together
Unto God a house afford.
6 All his portion, all his living,
Everything the priests possess-
All is Christ and Christ forever,
In His all-inclusiveness.