चरवाही

श्रृंखला 6

कलीसिया जीवन

पाठ चौदह – भौतिक धन की भेंट

लूका 6:38-दो, तो तुम्हें भी दिया जाएगाः वे तुम्हारी गोद में पूरा-पूरा नाप, दबा-दबाकर, हिला-हिलाकर उभरता हुआ डालेंगे। क्योंकि जिस नाप से तुम दूसरों के लिए नापते हो, उसी नाप से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा।

उस समय से लेकर, जब मनुष्य ने, पतन के कारण परमेश्वर के साथ एक समस्या ” शुरू की और उस स्थान को छोड़ दिया जहाँ वह परमेश्वर को सब कुछ के रूप में लेता था, भौतिक धन पतित मनुष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण कार्य बन गया। परमेश्वर का ” शत्रु, ” शैतान, दुष्ट जन, ने मूर्तिपूजा करवाने के लिए मनुष्य के पास आकर धोका देने के लिए मनुष्य की पतित अवस्था का फायदा उठाया। इस कारण, प्रभु यीशु ने हमें बताया कि कोई भी ‘‘परमेश्वर और धन की सेवा नहीं कर सकता’’(मत्ती 6:24)।

परमेश्वर का देना

‘‘चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है’’ (1 तीम- 6:17)। यह वचन मनुष्य को भ्रम करने की शैतान की साजिश का खुलासा करता है और हमें दिखाता है कि ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे जीवन में सभी भौतिक चीजें और आनंद अनिश्चित धन से आते हैं, परन्तु वे वास्तव में परमेश्वर के देने से आते हैं। परमेश्वर के समृद्ध देने से ये हमारी आपूर्ति करते हैं। इसलिए हमें धोखाधड़ी और अनिश्चित भौतिक धन पर हमारी उम्मीद नहीं स्थापित करनी चाहिए, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे आनंद के लिए पूरी तरह से सब कुछ हमें देता है।

प्रभु की आज्ञा

‘‘अपने लिए पृथ्वी पर धन संचय मत करो—-परन्तु अपने लिए स्वर्ग में धन संचय करो’’ (मत्ती- 6:19-20)। भौतिक धनों को जमा करने के नजरिये से हमें प्रभु के इस वचन को देखने की जरूरत है। भौतिक धनों को रखना मनुष्य के लाभ में से बचे हए को इकठ्ठा करना है जब इसके जीवन की जरूरतें पूरी हो जाती हैं। यहां, प्रभु हमें आज्ञा देता है कि यह अतिरिक्त धनों को पृथ्वी पर न लगाए, पर स्वर्ग में उन्हें रखने के लिए, अर्थात, उन्हें स्वर्गीय पिता पर खर्च करने के लिए, ऐसा करना जैसे जरूरत वालों की मदद करना, ऐसे उनसे दोस्ती करना (लूका 16:9) और सुसमाचार को आगे बढ़ाना (फिल- 1:5)।

प्रभु का वादा

‘‘दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगाः लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा’’ (लूका 6:38) यह एक वादा है जो स्वयं प्रभु के मुँह से बोला गया है। अगर हम तैयार हैं कि अपनी भौतिक संपत्ति को परमेश्वर की खातिर जरूरतमंद को वितरण करें, वह जरूर हमारी गोद में जो कुछ अल्प और सीमित है नहीं देगा। यह क्या ही लाभदायक सौदा है!

‘‘जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी_ और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा’’ (2 कुर- 9:6)—-मनुष्य की आँखों में, भौतिक धन की भेंट करना अपने धन को दे देना है। हालांकि परमेश्वर की आँखों में ऐसी भेंट एक प्रकार की बुवाई है जिसका परिणाम कटाई है। वह जो कम भेंट करेगा, कम ही काटेगा और वह जो बहुत भेंट करेगा बहुत काटेगा। हमें इस नियम में प्रभु के वादे पर विश्वास करना चाहिए।

‘‘सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे_ और सेनाओं का यहोवा यह कहता है कि ऐसा करके मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिए खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूँ कि नहीं’’ (मलाकी 3:10)। पुराने नियम में इस्राएलियों की फसल में से ‘‘दशमांश’’ भेंट की कानूनी राशी है जो परमेश्वर ने अपेक्षित की। यह शब्द प्रचुरतापूर्ण परमेश्वर के असीम समद्ध वादे को प्रदर्शित करता है। यद्यपि पुराने नियम में इस्राएलियों से बोला गया था, सिद्धांत में यह नये नियम के विश्वासियों के लिए भी लागू होता है। अगर हम पूरी तरह से परमेश्वर के लिए चढ़ाए जो उसका हो कि कलीसिया की बड़े पैमाने पर आपुर्ति की जा सके, परमेश्वर हमारे लिए स्वर्ग की खिड़कियां खोलेगा और हमारे लिए आशीषों को उंडेल देगा, जिसको समाने के लिए वहां पर्याप्त जगह नहीं होगी। यह सेना के प्रभु का गंभीर वादा है। उसको साबित करने के लिए उसके वादे के अनुसार हम उसको भेट दे सकते हैं।

मार्ग

‘‘परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बायाँ हाथ न जानने पाए। ताकि तेरा दान गुप्त रहे, और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा’’ (मत्ती- 6:3-4)। जो कुछ भी हम अपने भौतिक धनों को किसी प्रकार के इस्तेमाल के लिए भेंट करे, हमें जानबूझकर नहीं करना चाहिए कि दूसरे देखें ताकि हमें मनुष्यों द्वारा महिमा और सम्मान मिले_ अन्यथा, हमें पिता द्वारा जो स्वर्ग में है पुरस्कृत नहीं किया जाएगा।

भौतिक धन की भेंट का

महत्व और मूल्य

हमें इस तरह की भेंट के महत्व और मूल्य को देखना चाहिए। हमारे द्वारा जो परमेश्वर के हैं, परमेश्वर के उपयोग के लिए परमेश्वर के प्रति भेंट देने से, जो परमेश्वर ने ‘‘अर्धम का धन’’ के रूप में माना था (लूका 16:9), जो कि धन के धोखे के रूप में (मत्ती 13:22) और चंचल धन (1 तीम- 6:17) जो ‘‘जाता’’ है (लूका- 16:9) वास्तव में संतों के साथ हमारी ‘‘संगति’’, परमेश्वर के सामने मनुष्यों की ओर हमारी ‘‘धार्मिकता’’, परमेश्वर के लिए एक स्वीकार्य ‘‘बलिदान’’ और उसके लिए एक सुखी ‘‘सुगन्धित गंध’’ हो सकती है। धन जो मनुष्यों को धोखा देता है, मनुष्यों को भ्रष्ट करता है और मनुष्यों को नष्ट करता है, वास्तव में सर्वोत्कृष्ट आशीष बन जाता है जो हमारे पास परमेश्वर के सम्मुख है। यह सब हमारे भौतिक धनों को भेंट करने का नतीजा है।

 

समर्पण- सबकुछ प्रभु को देना

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1 यीशु को मैं सब कुछ देता,
सब कुछ छोड़कर तेरे लिए
प्रति दिन संगति उस से,
प्रेंम विश्वास से करता हूँ।

सब मैं देता हूँ
सब मैं देता हूँ।
तेरे लिए प्यारे यीशु
सब मैं देता हॅू।

2 यीशु को मैं सब कुछ देता,
झुकता तेरे चरणों पर,
छोड़ता हूँ संसारिक इच्छा
मुझे ले और अपना कर।

3 यीशु को मैं सब कुछ देता,
मुझे अपना, कर प्रभु
हो पवित्र आत्मा साक्षी,
तेरा हूँ और मेरा तू।

4 यीशु को मैं सब कुछ देता,
तुझ से मैं न रह हूँ दूर
मुझ में भर दे प्यार और शक्ति,
कर आशीषों से भरपूर।

5 यीशु को मैं सब कुछ देता,
आत्मिक आग अब दिल में है।
पूरी मुक्ति का है आनन्द!
उस के नाम की होवे जय!