चरवाही

श्रृंखला 6

कलीसिया जीवन

पाठ नौ – प्रभु के भेडो़ं की चरवाही करना

यूहन्ना 21:15-अतः जब वे नाश्ता कर चुके, तो यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इनसे बढ़कर मुझसे प्रेम करता है? उसने उससे कहा, हाँ प्रभु, तू तो जानता है कि मैं तुझसे प्रीति करता हूँ। उसने उससे कहा, मेरे मेमनों को चरा।

प्रभु की पुनःप्राप्ति में

चरवाहों की जरूरत

हमें लोगों से संपर्क करने की एक आदत बनानी चाहिए। श्रेष्ठगीत 1:8 में, प्रभु ने अपनी अनुगामी से कहा ‘‘भेड़-बकरियों के खुरों के चिन्हों पर चल और चरवाहों के तम्बुओं के पास अपनी बकरियों के बच्चों को चरा।’’ यह आयत इंगित करती है कि हमें प्रभु के पीछे भागना चाहिए। जब हम भाग रहे हैं, हमें कुछ नौजवानों की भी देखभाल करनी है। हमें उन्हें तम्बुओं तक ले आना चाहिए जहाँ चरवाहे हैं और जहाँ परमेश्वर के लोग प्रधान चरवाहे के साथ मिलते हैं।

यूहन्ना का सुसमाचार, जो जीवन पर एक सुसमाचार है, चरवाही की आवश्यकता के बारे में भी बात करता है। बीसवें अध्याय के अंत में, यूहन्ना का सुसमाचार वास्तव में समाप्त हुआ है, लेकिन फिर भी परिशिष्ट के रूप में एक और अध्याय है, इक्कीसवां अध्याय। इस अध्याय में मुख्य चीज यह है कि प्रभु यीशु ने पतरस की चरवाही के लिए समय बिताया। पतरस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।

सिर्फ भेड़ों के झुंड नहीं,

बल्कि चरवाहों के झुंड

भी होना

जब प्रभु ने पतरस को बहाल किया, तो उसने झुंड प्राप्त करने की अपनी इच्छा उसको याद दिलायी। 1 पतरस 5:4 में पतरस ने प्रभु यीशु को ‘‘प्रधान चरवाहा’’ बुलाया। इब्रानियों 13:20 कहता है कि मसीह महान चरवाहा है और यूहन्ना 10:11 में स्वयं प्रभु ने हम से कहा कि वह अच्छा चरवाहा है। इसलिए, वह प्रधान चरवाहा, महान चरवाहा और अच्छा चरवाहा है। पहला पतरस 2:25 हमें बताता है कि यह प्रधान चरवाहा हमारे प्राणों का चरवाहा है। हमारा प्राण हमारा आंतरिक अस्तित्व, हमारा वास्तविक व्यक्ति है। हमारे प्रभु मुख्य रूप से हमारे आंतरिक अस्तित्व की कल्याण की परवाह करने से और हमारे वास्तविक व्यक्ति की परिस्थिति के ऊपर अपने निरीक्षण का अभ्यास करने से हमारी चरवाही करता है। परंतु क्या आपको लगता है कि प्रभु यीशु अपने आप से बहुत सारी भेडों के झुंड की चरवाही कर सकता है? प्रधान चरवाहा के रूप में, उसके तहत चरवाहों का एक झुंड़ होना चाहिए। हम केवल भेड़ के झुंड नहीं बल्कि चरवाहों के झुंड़ भी हैं।

जब प्रभु ने पतरस से यह पूछा कि क्या वह उससे प्रेम रखता है, उसने यह कहकर जवाब दिया, ‘‘हाँ प्रभु_ तू तो जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ’’ (यूहन्ना 21:15-16)। प्रभु द्वारा इस बात को तीसरी बार पूछे जाने के बाद, पतरस केवल यह कह सकता था, ‘‘हे प्रभु तू तो सब कुछ जानता है_ तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूँ’’ (आ-17)। पतरस के प्रत्येक जवाबों के बाद, प्रभु ने उससे कहा, ‘‘मेरे मेमनों को चरा—मेरी भेड़ों की रखवाली कर—मेरे भेड़ों को चरा’’(आ-15-17)। बिना संदेह के, इसने पतरस को एक मजबूत प्रभाव दिया जिसको वह कभी भूल न सका। यही कारण था कि उसके पहले पत्र में उसने चरवाही की बात को छुआ। उसने हम से कहा कि मसीह प्रधान चरवाहा था और वह प्रधान चरवाहे के तहत के कई चरवाहों में से एक था। उसने यह भी कहा कि प्रभु हमारे प्राण, हमारे वास्तविक व्यक्ति का चरवाहा है। यह यूहन्ना 21 में उसका अनुभव था जब प्रभु ने उसको बहाल किया।

पिता परमेश्वर का प्रेम और क्षमा करने वाला हृदय और

उद्धारकर्ता मसीह का चरवाही करने और

खोजने वाला आत्मा होना

लूका 15:1 कहता है, ‘‘सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें।’’ भले और धर्मी मनुष्य उसके साथ शामिल नहीं थे बल्कि चुंगी लेने वाले और पापी थे। इसलिए, फरीसियों फिर से कुड़कुड़ाये और शिकायत की। फिर प्रभु ने तीन दृष्टांत बताये। पहला वाला, चरवाहा के बारे में है जो एक, अनोखी खोई हुई भेड़ की खोज में है। सौ में से यह एक खोया हुया था, तो चरवाहा जान बूझकर उसी के लिए आया। प्रभु पापियों और चुंगी लेने वालों से भरे एक घर में क्यों गया? यह इसलिए था कि उनके बीच उनकी एक खोयी हुई भेड़ थी, जिसकी खोज मे वह आया। दूसरा दृष्टांत एक स्त्री के बारे में है जिसने एक दीया जलाकर, अपने खोए हुए सिक्के को ढूंढने के लिए घर की झाड़-बुहार की। तीसरा दृृष्टांत उड़ाऊ पुत्र के बारे में है। चरवाहा पुत्र है, स्त्री आत्मा है और उड़ाऊ पुत्र के दृष्टांत में पिता है। जैसे उड़ाऊ पुत्र लौट रहा था, वह विचार करके तैयारी कर रहा था कि वह अपने पिता से क्या कहे। उसने यह कहने की तैयारी की, ‘‘पिता जी, मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है। अब मैं इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊँ, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले’’ (आ-18-19)। जब वह इस तरह सोच के चल रहा था, पिता ने उसको देखा। आयत 20 कहती है, ‘‘तब वह उठकर, अपने पिता के पास चलाः वह अभी दूर ही था कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा।’’ यह इत्तप़फ़ाक नहीं था कि पिता ने पुत्र को दूर से ही देखा। जब से पुत्र घर छोडकर गया, पिता हर दिन देखने के लिए और उसके लौटने के इंतजार में बाहर गया होगा। हम यह नहीं जानते कि उसने कितने दिन तक देखा और इंतजार किया। जब पिता ने उसे देखा, वह उसके पास दौड़कर गया। यह पिता का हृदय है। जब पुत्र तैयार किया गया शब्द बोल रहा था, पिता ने उसे रोक दिया। पुत्र चाहता था कि वह अपने तैयार किए गए शब्द को बोले परंतु पिता ने अपने दासों से कहा कि वस्त्र, अँगूठी और जूते लाओ और मोटा बछड़ा तैयार करो। भाईयों के बीच एक शिक्षक ने एक बार मुझसे कहा था कि संपूर्ण बाइबल में केवल एक बार, हम परमेश्वर को दौड़ते हुए देखते हैं, वह लूका 15 में है जब पिता लौटते हुए उड़ाऊ पुत्र को देखता है। वह दौड़ा_ वह इंतजार नहीं कर सकता था। यह पिता का हृदय है।

प्रेम सभी को ढँपता है

हमें इस तरह के प्रेम की जरूरत है और निष्क्रिय लोगों के पास जाकर उनसे कहना है कि कलीसिया किसी की भी निंदा नहीं करती है। बल्कि, कलीसिया सभी निष्क्रिय लोगों को लौटते हुए देखना चाहती है। यदि वे सब लौट के आते हैं तो मैं प्रभु के समाने धन्यवाद के आँसूओं के साथ रोऊंगा। प्रभु मेरे लिए गवाही देगा कि मैं किसी की निंदा नहीं करता हूँ। किसी की निंदा करने के लिए हमारी कोई योग्यता नहीं है। प्रभु की दया के बिना, हम निष्क्रिय लोगों के समान होंगे। इसलिए, हमें उनसे प्रेम करना है। यह सब प्रेम के ऊपर निर्भर है जैसे कि बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा, ‘‘प्रेम से सब अपराध ढंप जाते हैं’’(नीति-10:12)। हम लोगों से प्रेम करते हैं। हम विरोधियों को प्रेम करते हैं और हम सबसे बडे़ विद्रोहियों को प्रेम करते हैं। सच में, मेरे कहने का मतलब यही है। हम उनसे प्रेम करते हैं और उनसे नफरत नहीं करते हैं। मै कौन हूँ? मैं निंदा या नफरत करने के योग्य नहीं हूँ। क्या मैं उत्तम हूँ? यहाँ तक कि जब उसने प्रभु को देखा, भविष्यद्वक्ता यशायाह ने कहा, ‘‘‘हाय! हाय! मैं नष्ट हुआ_ क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूँ_ और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूँ’’ (यश- 6:5)। आज शुद्ध कौन है? यदि हम लोंगों में दोष निकालते हैं और उनके बारे में कुछ बुरा कहते हैं तो हम शुद्ध नहीं हैं।

 

HOW SWEET, HOW HEAV’NLY IS THE SIGHT

The Church—Her Fellowship 857

1 How sweet, how heav’nly is the sight,
When those who love the Lord
In one another’s peace delight,
And so fulfill His Word:

2 When each can feel his brother’s sigh,
And with him bear a part;
When sorrow flows from eye to eye,
And joy from heart to heart;

3 When, free from envy, scorn and pride,
Our wishes all above,
Each can his brother’s failings hide,
And show a brother’s love;

4 When love, in one delightful stream,
Through every bosom flows;
When union sweet, and dear esteem,
In every action glows.

5 Love is the golden chain that binds;
The saints Thy grace thus prove.
And he is glory’s heir that finds
His bosom glow with love.