चरवाही
श्रृंखला 6
कलीसिया जीवन
पाठ चार – हम क्या हैं?
यूहन्ना 1:22 तब उन्होंने उससे पूछा, फ्तो फिर तू है कौन कि हम अपने भेजने वाले को उत्तर दे सकें? तू अपने विषय में क्या कहता है? 2 पत- 1:12 यद्यपि तुम इन बातों को पहले से ही जानते हो तथा उस सत्य में जो तुम्हारा है स्थिर भी किये गये हो, तथापि मैं तुम्हें इनका स्मरण दिलाने के लिए सदैव तैयार रहूँगा।
वर्तमान सत्य में
स्थिर होना
हमारे यहां होने का कारण है कि परमेश्वर ने हमें एक विशेष बुलाहट दी है—-दूसरा पतरस 1:12 वर्तमान सत्य में स्थिर होना शब्दों का उल्लेख करता है। वर्तमान सत्य का अनुवाद ‘‘अद्यतन सत्य’’ भी किया जा सकता है—-हमें पूछने की आवश्यकता हैः परमेश्वर, वर्तमान सत्य क्या है?
सोलहवीं सदी के दौरान
प्राप्त हुआ सत्य
सोलहवीं शताब्दी से, परमेश्वर विभिन्न सत्यों को पुनःप्राप्त कर रहा है। सोलहवीं सदी सुधार का युग था। यह धर्म में भारी परिवर्तन का एक समय था। हमें चार समयावधियों के संबंध में सुधार के समय से इतिहास पर विचार करना होगा। पहली अवधि सुधार की अवधि है। दूसरी अवधि सुधार के तुरंत बाद का समय है, सोलहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी तक। तीसरी अवधि उन्नसवीं शताब्दी है, और अंतिम अवधि वर्तमान बीसवीं शताब्दी है।
सबसे पहले, हम लूथर के सुधार के बारे में विचार करें। उसके बारे में सबसे अच्छी बात विश्वास के द्वारा न्याय के सत्य की पुनःप्राप्ति थी। यह लूथर की विशेष पुनःप्राप्ति है।
सोलहवीं सदी से
अठारहवीं सदी तक
सत्य की पुनःप्राप्ति
इसके बाद हम सोलहवीं सदी से अठारहवीं सदी तक की अवधि पर आते हैं। 1524 में एनाबैप्टीस्ट्स, विश्वासियों का एक समूह जिन्होंने शिशु छिड़काव के बाद फिर से बपतिस्मा प्रस्तावित किया, जर्मनी में खड़ा किया गया था। वे ल्होटा से पूर्व भाईयों के अनुयायी थे जिसने विश्वासियों के बपतिस्मा के प्रचार किया। बारह साल के बाद, 1536 में परमेश्वर के द्वारा जॉन केल्विन को खड़ा किया गया। जहां भी वह गया, उसे सताव और कैद का सामना करना पड़ा। अंत में, स्कॉटलैंड में उन्होंने एक नयी शुरूआत की और स्कॉटिश प्रेस्बिटेरियन कलीसिया की स्थापना की।
इस समय जर्मनी में, परमेश्वर ने फिलिप जेकब स्पानर को खड़ा किया। वह 1670 में फ्रैंकफर्ट में लूथेरन नामिक संप्रदाय में एक पादरी बन गया। उस समय तक लूथरन संप्रदाय एक प्रकार के औपचारिक धर्म में गिर गया था। उसके बाइबल पढ़ने के द्वारा, स्पानर को पता चला कि उसके समय में कलीसिया मानव राय से भरी थी, जो परमेश्वर द्वारा वर्जित था। उसने देखा कि विश्वासियों को नए नियम की शिक्षा तक वापस लौटना था। इस कारण से उसने दूसरों को 1 कुरिंथियों 14 के अभ्यास में अगुवाई करना शुरू किया।
1732 तक संसार में पूर्व मिशनरी निकाय की कल्पना की गयी थी, तथाकथित मोरावियन ब्रदरन ये भाईयों का पहला समूह था जो सम्पूर्ण संसार में सुसमाचार प्रचार करने के लिए गए।
उसी समय पर कैथोलिक कलीसिया के भीतर एक नई खोज थी। आत्मिक लोगों का एक समूह प्रभु के द्वारा उठाया गया। मैडम गुयोंन 1648 में पैदा हुयी और 1717 में उनका निधन हो गया। उसे परमेश्वर की इच्छा के साथ संघ और स्वयं के इंकार की बातों में और अधिक जानकारी थी।
सोलहवी शताब्दी के सुधार ने न केवल आत्मिक लेकिन राजनीतिक और सामाजिक रूप से संसार को प्रभावित किया। अठारहवी शताब्दी के उन सुधारों ने मुख्य रूप से आत्मिक पक्ष पर अपने प्रभाव का प्रयोग किया। अठारहवीं शताब्दी के सभी आंदोलनों में, सबसे विचारणीय फिलादेलफिया कलीसिया की गवाही थी। उन्होंने पिछले सभी मुख्य पुनःप्राप्तियों को अपनाया। उनके बीच, कोई सभी मुख्य सत्यों को पा सकता है।
उन्नीसवीं सदी में
परमेश्वर के सत्य की खोज
1827 में डबलिन, आयरलैंड में लोगों का एक समूह उठाया गया। उन्होंने देखा कि कलीसिया मे कई चीजें मृतक, बेजान, और औपचारिक थीं। उन्होंने प्रभु से उन्हें बाइबल संबंधी प्रकाशन के अनुसार कलीसिया दिखाने के लिए पूछना शुरू किया। उनकी प्रार्थना और सहभागिता के माध्यम से, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें 1 कुरिंथियों 14 के सिद्धांत के अनुसार खड़े होकर मिलना चाहिए। परिणामस्वरूप, उन्होंने एक भाई के घर में रोटी तोड़ना शुरू किया। कुछ ही समय बाद, एक पूर्व एंग्लिकन सेवक, जॉन नेल्सन डार्बी ने उनकी सभा में भाग लेना और उनके बीच बाइबल की व्याख्या करना शुरू किया। धीरे-धीरे से और अधिक व्याख्या करने वाले उनके बीच खड़े हो गए—-परमेश्वर की इच्छा में, कलीसिया मनुष्य के नियंत्रण के तहत नहीं होनी चाहिए_ इसे केवल पवित्र आत्मा के द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए। वे सब जो प्रभु के हैं, उन्हें सीखना चाहिए कि पवित्र आत्मा से कैसे अगुवाई प्राप्त करें और मनुष्य के निर्देशन का अनुसरण नहीं करना चाहिए। ये सब ब्रदरन द्वारा खोजे गए सत्य हैं।
बाद में परमेश्वर ने इंग्लैंड में जार्ज मुलर को खड़ा किया। उसने प्रार्थना और परमेश्वर के वचन में विश्वास के विषय में बहुत से उत्कृष्ट पाठ सीखे।
परमेश्वर ने एक और बहन को प्राप्त किया, श्रीमती जेसी पेन-लुईस। श्रीमती पेन-लुईस वह थी जिसने वास्तव में क्रूस सहा। उसके अनुभवों के माध्यम से, कई विश्वासी क्रूस से संबंधित सत्य का पीछा करने के लिए आकर्षित हुए। हम देख सकते हैं कि परमेश्वर के सत्य की खोज प्रगतिशील है_ जितना ज्यादा यह अग्रिम होती है, उतना ज्यादा यह पूरी होती जाती है। उन्नीसवीं सदी के अंत तक लगभग सभी सत्यों को पुनःप्राप्त किया गया था।
बीसवीं सदी में सत्य की प्रगति
1904 की महान वेल्श जागृति के दौरान, कई कस्बों ने पूरी आबादी को इस हद तक बचाया कि अब बचाने के लिए कोई प्राण नहीं थे। पिन्तेकुस्त की कई घटनाएं उनके बीच प्रकट हुई थीं।
उनमें से हम दो सत्यों को सीख चुके हैं पहला, पवित्र आत्मा के जागृत कार्य उन लोगों के समूह के माध्यम से लाये जाते हैं, जो झुके हुए और अधीन होते हैं। दूसरा, इस समय से, बहुतों ने बुरी आत्माओं के काम को समझना आरंभ किया।
परमेश्वर के आज के कार्य
और परमेश्वर के
संचित प्रकाशन
हम जानते हैं कि परमेश्वर के सत्य संचित हैं_ बाद के सत्य पहले वाले को नकारते नहीं हैं। आज के सत्य की नींव परमेश्वर के पिछले सभी सत्यों पर है। जो आज हम देखते हैं, वह परमेश्वर का संचित प्रकाशन है।
1926 से, हमनें उद्धार, कलीसिया, क्रूस से संबंधित कई संदेशों को बांटना शुरू किया, और हमनें इन बातों के बारे में बहुत कुछ बताया। 1927 तक हमने क्रूस के व्यक्तिपरक कार्य पर अपना ध्यान केंद्रित किया। आज जो हम बताते हैं वह जीवन के सिंद्धात के रूप में पुनरूत्थान है। यह सिर्फ एक सिद्धांत नहीं है बल्कि एक आत्मिक तथ्य है। इसके बाद, परमेश्वर ने हमें दिखाया कि मसीह की देह क्या है और देह की वास्तविकता कहाँ है। हमने महसूस करना शुरू किया कि जैसे मसीह का केवल एक जीवन है, केवल एक ही कलीसया है।
1928 के फरवरी तक, हमनें परमेश्वर के अन्नत उद्देश्य के बारे में उल्लेख करना शुरू किया—-1934 तक था कि हमें एहसास हुआ कि परमेश्वर से संबंधित सभी चीजों की केंद्रीयता मसीह है। मसीह परमेश्वर की केंद्रीयता और परमेश्वर की सार्वभौकिता है।
परमेश्वर के जयवंत उन लोगों का समूह हैं जो पूरी मंडली की खातिर मृत्यु के स्थान पर खड़े होने के लिए नेतृत्व लेते हैं। कलीसिया के साथ उनका संबंध यरूशलेम के साथ सियोन के संबंध का है। परमेश्वर की सभी मांग सियोन पर आती हैं। जब सियोन प्राप्त होता है, यरूशलेम प्राप्त होता है। जब सियोन और यरूशलेम दोनों सुरक्षित हैं, तो परमेश्वर का उद्देश्य पूरा होता है।
बुलाहट की आवाज देना
हमारा कार्य परमेश्वर की संतानों को परमेश्वर के केंद्रीय उद्देश्य पर लौटने, सभी चीजों के केंद्र के रूप में मसीह को लेने, और उसकी मृत्यु, पुरूत्थान, और सभी चीजों के आधार के रूप में उसके आरोहण को लेने की बुलाहट की आवाज देना है। यह कुलुस्सियों 1 और 3 का संदेश है। हम नये नियम में कलीसिया की स्थिति जानते हैं। हम एहसास करते हैं कि यह स्थिति ऊँची और आत्मिक है। पश्चिमी मिशनरियों से हमें प्रदान की गयी सहायता के लिए हम परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं। फिर भी परमेश्वर आज हमें दिखा रहा है कि हमें सभी चीजों को परमेश्वर के अनन्त उद्देश्य में वापस लाना चाहिए। आज हमारा कार्य कलीसिया के बाइबल संबंधी आधार पर लौटना है।
परमेश्वर के सभी सत्य शुरूआती बिंदु के रूप में कलीसिया रखते हैं। पहले पौलुस को अन्ताकिया की कलीसिया में रखा गया था। बाद में उसें अन्ताकिया में कलीसिया से बाहर भेजा गया। सभी सत्य जिसका आज हम प्रचार करते हैं शुरूआती बिंदु के रूप में कलीसिया रखते हैं। यह हमारा कार्य है और यह हमारी गवाही है।
आज की चार जिम्मेदारियाँ
आज हमारे पास चार जिम्मेदारियाँ हैं (1) पापियों के बारे में, हमें सुसमाचार का प्रचार करना होगा। (2) शैतान के बारे में, हमें एहसास करना होगा की यह एक आत्मिक युद्ध है। (3) कलीसिया के बारे मे आज जो हम देखते हैं, उसे थामे रखना होगा। (4) मसीह के बारे में, हमें सब बातों में उनके सर्व प्राथमिकता के तथ्य की गवाही देनी चाहिए।
WE ARE FOR THE LORD’S RECOVERY
The Church—The Lord’s Recovery 1255
1.We are for the Lord’s recovery
Of the local church;
We are for the Lord’s recovery
Of the city and the earth.
Standing on the ground of oneness,
Oneness in the Lord,
We are building up the temple
Of our glorious Lord.
2.We are for the Lord’s,
We are for the Lord’s,
We are for the Lord’s recovery!
We are for the Lord’s,
We are for the Lord’s,
We are for the Lord’s recovery!
3.We are for the Lord’s recovery,
To our hearts so dear;
When we exercise our spirit,
Our vision is so clear.
Babylon the Great is fallen,
Satan is cast down,
And the local church is builded
On the local ground.