चरवाही
श्रृंखला 6
कलीसिया जीवन
पाठ तेरह – भविष्यद्वाणी की सभा
1 कुर- 14:23-24, 31-यदि सारी कलीसिया एक स्थान पर एकत्रित हो और सब अन्य भाषाओं में बोलें तथा अनजान या अविश्वासी मनुष्य भीतर आ जाएं, तो क्या वे यह न कहेंगे कि तुम पागल हो? परन्तु यदि सब नबूवत करें तथा कोई अविश्वासी या अनजान व्यक्ति प्रवेश करें तो सबके द्वारा वह कायल किया जाएगा और परखा जाएगा–क्योंकि तुम सब एक-एक करके नबूवत कर सकते हो, जिस से सब सीखें और सब को शान्ति मिले।
1 कुरिन्थियों 14 के तरीके में भविष्यद्वाणी करना
1 कुरिन्थियों 14 के अनुसार भविष्यद्वाणी करना कलीसिया की सभाओं में पूरा किया जा सकता है (आ- 23-24)। आयत 23 कहती है, ‘‘सो यदि कलीसिया एक जगह इकठ्ठी हो, और सब के सब अन्य भाषा बोलें और अनपढ़ या अविश्वासी लोग भीतर आ जाएं तो क्या वे तुम्हें पागल न कहेंगे?’’ यह एक कलीसिया की सभा को संदर्भित करता है, न एक घर की सभा को, या एक छोटे समूह की सभा को। इसके अलावा, 1 कुरिन्थियों 14 के रूप में भविष्यद्वाणी कलीसिया के निर्माण के लिए है (आ- 4-5)। हमारे अनुभव और अवलोकन के अनुसार, कलीसिया का निर्माण करने का सबसे अच्छा तरीका भविष्यद्वाणी करना है, अर्थात मसीह के लिए बोलना और मसीह को बोलना, मसीह को लोगों के अंदर सेवा और वितरण करना। एक मनुष्य का बोलना जब अन्य सभी लोग सुनते हैं भविष्यद्वाणी का एक रूप है, लेकिन यह एक गलत तरीके से पूरा किया जाता है। कलीसिया की सभाओं में उचित भविष्यद्वाणी भाग लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा की जानी चाहिए।
एक खोजने वाले को
कलीसिया के निर्माण के लिए
श्रेष्ठ बनाना
1 कुरिन्थियों 14 के मुताबिक भविष्यद्वाणी करना एक खोजी को कलीसिया के निर्माण के लिए श्रेष्ठ बनाता है। आयत 12 कहती है, ‘‘इसलिए तुम भी जब आत्मिक वरदानों की धुन में हो, तो ऐसा प्रयत्न करो, कि तुम्हारे वरदानों की उन्नति से कलीसिया की उन्नति हो’’ (अक्षरशः)। अन्य भाषा में बोलना अच्छा है लेकिन वह श्रेष्ठ नहीं है। फिर भी एक जन को भ्विष्यद्वाणी के रूप में छोटा संदेश देना श्रेष्ठ है। भविष्यद्वाणी करना सर्वोच वरदान है, जो वक्ता को श्रेष्ठ बनाता है। हमें बोलना सीखना है न केवल श्रेष्ठ होने के लिए बल्कि इसलिए भी कि कलीसिया निर्मित हो सके।
सभी संतो के पास भविष्यद्वाणी करने की क्षमता होना,
कर्तव्य और उत्सुक इच्छा होना
पहला कुरिन्थियों 14:31 कहता है, ‘‘क्योंकि तुम सब एक एक करके भविष्यद्वाणी कर सकते हो।’’ यह आयत संपूर्ण बाइबल में स्पष्ट आयतों में से एक है। यह कहती है कि सभी विश्वासियों के पास भविष्यद्वाणी करने की क्षमता है। क्षमता जन्म से योग्यता को दर्शाती है। कुत्तों में मानव भाषा बोलने की क्षमता नहीं है_ उनकी क्षमता केवल भौंकने की है। मनुष्य, हालांकि बोलने की क्षमता रखते हैं। हम, मसीह की देह के अंग, सभी एक एक करके भविष्यद्वाणी कर सकते हैं। रोमियों 12:6-8 में भविष्यद्वाणी सहित सात वरदानों का जिक्र करता है और कहता है कि ये वरदान प्रत्येक अंग को दिए गए अनुग्रह के अनुसार अलग-अलग हैं। हालांकि, ये आयतें, सभाओं के बाहर वरदानों का प्रयोग करने का उल्लेख करती हैं। मसीह की देह में, हमारे पास सभाओं के बाहर विभिन्न वरदान और कार्य हैं। रोमियों 12 के वरदान सभाओं में अभ्यास किए जाने वाले वरदान नहीं हैं। सभाओं में सभी अंग भविष्यद्वाणी कर सकते हैं (1 कुर-14:24,31)।
हमारे बीच में कई संतो को ऐसा लग सकता है कि सभा में उनके अलावा सभी भविष्यद्वाणी कर सकते हैं। हालांकि, इसमें कोई छूट नहीं है। हम सुवक्ता तो नहीं हो सकते पर हम फिर भी भविष्यद्वाणी कर सकते हैं। आयत 31 नहीं कहती, ‘‘तुम सब वाकपटुता से भविष्यद्वाणी कर सकते हो।’’ इस आयत में ऐसा कोई क्रिया विशेषण नहीं है। यह बस कहता है, ‘‘तुम सब भविष्यद्वाणी कर सकते हो।’’ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कैसे बोलते हैं_ सिर्फ बोलना पर्याप्त है। प्रभु चाहता है कि हम सब बोलें।
सभाएं- मसीह को प्रदर्शित करना
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1 हम जब मिले, मसीह बांटे
उसकी प्रचुरता की बढ़ती
चढ़ाकर खुदा को भोजन
प्रदर्शित हो मसीह
हो प्रदर्शित मसीह
हो प्रदर्शित मसीह
लाए कलीसिया में बढ़ती
हो प्रदर्शित मसीह
2 मसीह में जीएं युद्ध करें
मसीह में दिन रात श्रम करें
उसकी बढ़ती से जुड़ेंगे
हो प्रदर्शित मसीह
3 हमारा जीवन, हम जो भी हैं
सारा तत्व स्वयं मसीह है
जब भी हम फिर मिलते हैं तो
हो प्रदर्शित मसीह
4 सभाओं में हम मसीह ही को
बॉटेंगे एक दूसरों के साथ
आनंद करें परमेश्वर को
हो प्रदर्शित मसीह
5 जी उठा, आरोहित मसीह
को लाएंगे और चढ़ाएंगे
परमेश्वर को संतुष्ट करके
हो प्रदर्शित मसीह
6 केंद्र, वास्तविकता की
वातावरण, सेवकाई की
हमारे सारे सभाओं में
हो प्रदर्शित मसीह
7 गवाही और प्रार्थना का
संगति जिसमें हम भागी
वरदानों की अभ्यास, जो भी
हो प्रदर्शित मसीह
8 पिता को हम महिमा करें
और ऊँचा करें पुत्र को
सभा का लक्ष्य पूरा करके
हो प्रदर्शित मसीह