चरवाही
श्रृंखला 5
सत्य को जानना
पाठ छह – त्रिभागी मनुष्य को संतृप्त करने के लिए जीवन के रूप में त्रिएक परमेश्वर
1 थिस- 5:23-अब शान्ति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूर्णतः पवित्र करे। और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आगमन तक पूरी रीति से निर्दोष और सुरक्षित रहें।
कुल- 1:13-उसने तो हमें अन्धकार के साम्राज्य से छुड़ा कर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया है।
अरचित अनंत जीवन के रूप में
त्रिएक परमेश्वर
पहली आकृति आकृति 1—अनंत जीवन को सूचित करती है—–दिव्य जीवन त्रिएक परमेश्वर है और यह जीवन सदा बना रहने वाला अनंत अरचित और असीमित जीवन है जो शुरूआत और अंत के बिना है।
परमेश्वर के लिए
रचित पात्र के रूप में मनुष्य
आकृति 2 सूचित करती है कि त्रिएक परमेश्वर ने एक मनुष्य को रचा। परमेश्वर ने मनुष्य को रचा क्योंकि परमेश्वर मनुष्य के द्वारा खुद को प्रकट करने की चाह रखता है—-यह मनुष्य पहला आदम है (1 कुर- 15:45) जिसके पास शुरूआत और अंत के साथ रचित सीमित जीवन है। यह जीवन जैसे यह रचा गया था अच्छा, शुद्ध और पापरहित था।
आकृति 2 दिखाती है कि एक पात्र के रूप में परमेश्वर को समाने के लिए परमेश्वर द्वारा रचित मनुष्य के पास तीन भाग हैं-एक आत्मा एक प्राण और एक देह (1 थिस- 5:23)। आत्मा परमेश्वर जो आत्मा है को समाने और संपर्क करने के लिए आंतरिक अंतर्वस्तु है और देह भौतिक संसार को संपर्क करने के लिए बाहरी प्रकटन है। आंतरिक आत्मा और बाहरी देह के बीच माध्यम के रूप में प्राण है जो मनुष्य व्यक्तित्व है। इस त्रिभागी मनुष्य के साथ पाप नहीं था।
आकृति 3 के लिए थोड़ी व्याख्या जरूरी है—प्रत्येक भाग काला हो गया है_ यह पतित आदम है। मनुष्य परमेश्वर को समाने के लिए एक पात्र के रूप में बनाया गया था लेकिन परमेश्वर उनके अंदर आने से पहले कुछ और अंदर आया। वह शैतान था परमेश्वर का दुश्मन साक्षात पाप।
देहधारित क्रूसीकृत और
पुनरुत्थित परमेश्वर-मनुष्य
हमारा जीवन बनना
पहला आदम पहला मनुष्य था जो पतन की वजह से भ्रष्ट हो गया। दूसरा मनुष्य अंतिम आदम है जो मसीह है (1 कुर-15:45)। मसीह किस तरह का मनुष्य है मसीह एक परमेश्वर-मनुष्य है एक सच्चा मनुष्य फिर भी परमेश्वर का देह धारण।
यह परमेश्वर-मनुष्य जिस समय वहं क्रूस पर चढ़ा हुआ था पाप उठानेवाला बन गया। मसीह के क्रूसीकरण के बाद वह पुनरुत्थित हुआ और पुनरुत्थान में वह हमेशा जीवित है। उसके पुनरुत्थान में दिव्य स्वभाव के साथ अपने पूरे अस्तित्व में वह रूपांतरित हुआ।
इस देहधारी क्रूसीकृत और पुनरुत्थित जन में जीवन है—-और यह जीवन और कोई और नहीं लेकिन स्वयं मसीह है (कुल- 3:4)। पहला यूहन्ना 5:11 कहता है “”परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है और यह जीवन उनके पुत्र में है।”” यह पुत्र देहधारी क्रूसीकृत और पुनरुत्थित परमेश्वर-मनुष्य है जो हमारे लिए जीवन है।
क्रूस के द्वारा स्थानान्तरण
आकृति 4 सरल नहीं है। यहाँ दो क्षेत्र हैं एक तरफ आदम का क्षेत्र और दूसरी तरफ मसीह का क्षेत्र। आदम के क्षेत्र में पाप और मृत्य के अलावा और कुछ नहीं है और मसीह के क्षेत्र में अनंत जीवन है। इन दो क्षेत्र के बीच क्रूस है। अगर कोई क्रूस के बाई तरफ है तो वह पाप और मृत्यु के क्षेत्र में है: यदि कोई क्रूस के माध्यम से गुजरा है तो वह जीवन के क्षेत्र में है।
हमारी मानवीय आत्मा में
नया जन्म पाना
हमारी मानवीय आत्मा में हम ने अब नया जन्म पाया है (आकृति 5)। उसी समय जब हमने प्रभु यीशु को हमारे उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण किया था वह आत्मा के रूप में हमारी आत्मा के अंदर आया और हमें जीवन दिया। पहला यूहन्ना 5:12 कहता है “”जिस के पास पुत्र है उसके पास जीवन है_ जिस के पास परमेश्वर का पुत्र नहीं उसके पास जीवन भी नहीं है।”” प्रभु की स्तुति हो! अगर हमारे पास पुत्र है हमारे पास जीवन है क्योंकि पुत्र जीवन है! हालांकि नया जन्म पाने के समय हमने केवल छोटी मात्रा में जीवन को प्राप्त किया। हमने दिव्य जीवन को हमारे अस्तित्व के केवल एक सीमित भाग में प्राप्त किया।
अंधकार से महिमा तक
रूपांतरण होना
नया जन्म पाने के बाद हमें अंधकार से महिमा में रूपांतरण होने की आवश्यकता है (आकृति 6)। इसके लिए हमें दिव्य जीवन को हमारे संपूर्ण अस्तित्व में फैलने के लिए एक खुला रास्ता देना चहिए। जितना अधिक दिव्य जीवन फैलता है उतना अधिक हम महिमा से महिमा तक रूपांतरित होते हैं (2 कुर- 3:18)।
कभी कभी हमारी देह में दिव्य जीवन को एहसास करने के द्वारा हम अपनी शारीरिक दुर्बलताओं पर जय पाते हैं जैसे की रोमियों 8:11 में बताया गया है। फिर जब प्रभु वापस लौटेंगे हमारा पूरा शरीर रूपांतरित हो जाएगाए महिमा का शरीर होने के लिए पुरानी सृष्टि से नए सृष्टि में रूपांतरित होता है। उस समय हम उसकी तरह होंगे (आकृति 7)। हम पूरी तरह से देहधारी क्रूसीकृत और पुनरुत्थित मसीह के समान होंगे (1 युहन्ना 3:1-2)। हमारे अस्तित्व का प्रत्येक भाग-आत्मा प्राण और देह-दिव्य जीवन के साथ भरा संतृप्त व्याप्त और मिश्रित हो जाएगा। यही परमेश्वर के पुत्र की अभिव्यक्ति अर्थात प्रकटीकरण होगा (रो- 8:19)। हम आत्मा प्राण और देह में पूरी तरह से संपूर्ण रूप में प्रभु मसीह के समान होंगे। यह अद्भुत है!
आत्मा हमें प्रभावित करे ताकि हम जान सकें कि हम कहां हैं हम कौन हैं और हमारी जरूरत क्या है।
क्या चमत्कार! क्या रहस्य!
परम प्रकटीकरण- परमेश्वर का अनन्त उद्देश्य
1 क्या चमत्कार क्या रहस्य
परमेश्वर और मनुष्य जुड़ गये
मनुष्य को खुदा बनाने के लिए खुदा
मनुष्य बना यह हैं व्यवस्था
उसकी सुइच्छा और चाह के द्वारा
अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।
2 पहला खुदा-मनुष्य शरीर बन गया
उसकी खुशी में मैं खुदा बन जाऊँ
जीवन, स्वभाव में हम उसके वर्ग
परमेश्वरत्व सिर्फ उसके लिए
उसके सद्गुण मेरी उत्तमता
वह मेरे द्वारा चमक जाए।
3 अब मैं जीवित नही रहा
मसीह मेरे साथ जीवित हैं
त्रिएक परमेश्वर और संतो के साथ
होंगे उसके सार्व-भौमिक भवन
सामूहिक प्रकटीकरण के लिए
हम उसकी जैविक देह को गायें।
4 यरूशलेम है परम पूर्णता
दर्शनों का समग्रता
त्रिएक परमेश्वर और त्रिभागीय मनुष्य
एक प्रेमी जोड़ा अनन्तकालीन
मनुष्य परमेश्वर का एक साथ होना
पारस्परिक निवास स्थान बना
खुदा की महिमा मानवता में
वैभव में चमकता रहा है।