चरवाही

श्रृंखला 5

सत्य को जानना

पाठ पंद्रह – बाइबल का जीवन-अध्ययन

यूहन्ना 5:39-40 तुम पवित्रशास्त्र में ढ़ूढ़ते हो क्योंकि समझते हो कि उस में अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है, फिर भी तुम जीवन पाने के लिए मेरे पास आना नहीं चाहते कि जीवन पाओ।

जीवन-अध्ययनों की

विशेषताएँ

केंद्रीय विषय और

उसके सभी पहलुओं को इशारा करना

बाइबल साहित्य का एक खास कार्य है। यद्यपि यह किसी विशेष विषय पर केंद्रित नहीं है, इसका एक केंद्रिय विषय है जो कि कई विषयों में विस्तारयुक्त और सम्मिलित है। युगों से, बाइबल पाठकों के लिए सबसे अधिक कठिनाई की बात बाइबल के केंद्र ज्योति और उस ज्योति की व्यापकता को देखने की रही है। इस प्रकार, उनकी बाइबल की समझ खण्डित और परिधीय हो गई है। उन्होंने एक बिंदु इधर और एक बिंदु उधर समझा होगा, परन्तु वे पूरी समझ प्राप्त करने मे समर्थ नहीं रहे। अगर हमें बाइबल की पूरी समझ चाहिए, हमें देखना होगा की बाइबल का एक ही केंद्र है, और कि यह केंद्र अनेक विषयों को सम्मिलित करता है, यह व्यापक है।

इस सिद्धांत के तहत, जीवन अध्ययन का एक केंद्र र्है। वे विविध विषयों की परिभाषाओं और स्पष्टीकरणों को भी वहन करते है, तो वे भी तफ़सीली है। इसलिए, जब हम जीवन-अध्ययन को पढ़ते है, हम हमेशा उनसे जीवन पोषण प्राप्त करने में सक्षम है, और सत्य के कुछ ज्ञान भी हम प्राप्त करने में सक्षम है।

केंद्रीय विषय और

इनके सभी पहलुओं को देखना

निर्गमन का जीवन-अध्ययन को उदाहरण के तौर पर लेते है—निर्गमन का केंद्रीय विषय है कि मसीह कैसे हमारे लिए सबकुछ बनता है। सबसे पहले, वह हमारा फसह का मेमना बना। फसह के मेमने का लहू मसीह के बहुमूल्य लहू को सूचित करता है जो हमारे पापों की क्षमा के लिए बहा था (मत्ती- 26:28;  यूहन्ना 19:34; 1 पत- 1:18-19)। मांस भी है जो हमारी आपूर्ति के रूप में मसीह के उत्पत्ति करने वाले जीवन को सूचित करता है (यूहन्ना 6:53, 55)। फिर अखमीरी रोटी है जो मसीह यीशु को सूचित करती है जो जीवन का हमारा पोषण है और जो हमारे सभी पापमय और दुष्ट चीजों को उठा लेता है (1 कुर-5:7-8)। अंत में, कड़वी जड़ी बूटी है जो सूचित करती है कि, पापमय चीजों की बात में कड़वापन अनुभव करने के लिए हमें पश्चाताप और मन फिराने की जरूरत है।

इन प्ररूपों को

अपने व्यवहारिक अनुभव के साथ

जांच करना और

अपने दैनिक जीवन में लागू करना

इन चीजों को एक साथ जोड़ने से, ये विस्तारयुक्त और एक पहलू तक सीमित नहीं हैं। इसके अलावा, ये हमारे मसीही अनुभव के साथ जांचा जा सकता है– अगर हम सिर्फ प्ररूपों के विषय में पढ़ेंगे और सिद्धांतों का अध्ययन करेंगे बिना अपने खुद के अनुभवों से तुलना किए, तो निर्गमन को समझना आसान नहीं होगा। फिर भी, अगर हम इन प्ररूपों को अपने अनुभवों से तुलना करें, ये समझने के लिए बहुत आसान है क्योंकि वे हमारे सामान्य मसीही जीवन का वर्णन हैं।

जीवन-अध्ययन संदेशों के लाभ

बाइबल के सत्य में

प्रवेश करना

कुछ लोग हमारी आलोचना करते हैं, यह कहते हुए कि हम जीवन-अध्ययन संदेश पढ़ते हैं और बाइबल नहीं। जो इस तरीके से बात करते हैं वे पूरी तरह से गलत जानकारी लिए हुए हैं। जीवन अध्ययन संदेशों का लक्ष्य है कि लोगों को बाइबल की सच्चाई तक लाना। भूतकाल में जब लोग बाइबल पढ़ते थे वे प्रवेश करने की राह नहीं ढूढ़ पाते थे, तो उनके पास समझने का कोई तरीका नहीं था। यह एक ऐसा घर होने के समान है जिसका प्रवेश द्वार, दरवाजा या खिड़खियाँ नहीं हैं ताकि लोग प्रवेश कर सके। जीवन-अध्ययन संदेश रास्ता तैयार करने का, दरवाजा बनाने का, खिड़की खोलने का कार्य करता है ताकि लोग घर में प्रवेश कर सकें और भीतर की सारी चीजों का आनंद ले सकें।

जीवन को छूने के लिए

लोगों की अगुवाई करना

जीवन अध्ययन संदेशों का एक और कार्य लोगों को जीवन में लाना है। जीवन अध्ययन संदेश बाइबल से अलग दार्शनिक या शास्त्रीय साहित्य का संग्रह नहीं हैं। जीवन अध्ययन संदेश सिर्फ बाइबल को समझाता और सत्य को प्रस्तुत नहीं करते; बल्कि ये लोगों को सत्य में लाते हैं ताकि वे समृद्धियों को आनंद और अनुभव करें—-जीवन अध्ययन संदेश हमें बाइबल की गहराई में लाते हैं कि हम इसके भीतर के जीवन को छू सकें और आनंद कर सकें (यूहन्ना 5:39-40)

समृद्ध सभाओं का कारण

समृद्ध सभा वो हैं जिनमें सार के रूप में जीवन-अध्ययन संदेश हैं। अगर हर प्रभु के दिन हम दो जीवन-अध्ययन संदेशों को अपनी संगति के सार की तरह लेंगे, सभा बहुत ही समृद्ध होगी।

सबसे गहरे और उॅचे सत्य को

बोलने के लिए

एक दूसरों को प्रोत्साहित करना

परमेश्वर का गृह प्रबंध, परमेश्वर की प्रदानता, सारात्मक आत्मा और व्यवस्था संबंधी आत्मा बेशक बहुत गहरे शब्द हैं, परंतु नए विश्वासियों के लिए विशेष रूप से नौजवानों के लिए यह बहुत समय तक गहरा प्रतीत नहीं होगा। यह नए लोग धीरे-धीरे से इन शब्दों से परिचित होंगे और फिर वे उन्हें साफ समझेंगे। हमें अपनी धारणाओं को बदलने के लिए तैयार होना है और नौजवानों को सबसे उच्चतम और सबसे गहरे सत्य को सीखने के लिए प्रोत्साहित करना है। मैं विश्वास करता हूँ कि अगर हम ऐसा करेंगे, भविष्य में जब संत एक दूसरे से बात करेंगे और तब भी जब वे सुसमाचार प्रचार करेंगे, उनकी बोली सबसे उच्चतम गुण की होगी।

 

Study of the Word— The Function of the Word – 801

1. O living Word of God, God’s image true,
Thou art the content of God’s written word:
God in Thee we have met, God’s fulness found.
And in the Scripture we Thyself have heard.

2. No man has e’er seen God, apart from Thee.
Without the Scripture Thee we’d hardly see;
Thou to the human race God hast declared,
And thru the Scripture Thou art shown to me.

3. Perfect embodiment Thou art of God,
A portrait full the Scripture gives of Thee;
In Thee we comprehend God’s image true,
And thru the Scripture Thou art real to me.

4. Life-giving Spirit Thou, as well as Word,
Now e’en the Spirit in the Word Thou art;
When thru the Spirit giv’n, I touch the Word,
Fulness divine to me Thou dost impart.

5. In Thee I may with God have fellowship,
And thru the Scripture I on Thee may feed;
Thru study of the Word with prayer to God
Thy glorious riches fully meet my need.

6. Teach me to exercise my spirit, Lord,
Thy Word to study, so to contact Thee,
That Thou, the living Word, with Scripture, too,
As one my daily manna e’er may be.