चरवाही
श्रृंखला 5
सत्य को जानना
पाठ चौदह – स्तुतिगान जानना
इफ- 5:19-और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने-अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो।
कुल- 3:16-मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओं और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
स्तुतिगान की विषय वस्तु के
महत्वपूर्ण बिंदु
स्तुतिगान जानने के लिए हमें स्तुतिगान की विषय वस्तु के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानना चाहिए। पहले, हमें त्रिएक परमेश्वर के आशीष और अनुभव पर कुछ गीत जानने चाहिएं। आशीष शब्द का इस्तेमाल यहाँ अच्छी चीजों का संदर्भ नहीं करता है जो त्रिएक परमेश्वर ने हमें दी हैं बल्कि उस स्तुति को, उस आशीष को जो हम उसे अपर्ण करते हैं। त्रिएक परमेश्वर की आशीष पर एक अच्छे गीत का एक उदाहरण गीत #7-‘‘महिमा, महिमा पिता की!’’ है-त्रिएक परमेश्वर के अनुभव पर एक अच्छा गीत का एक उदाहरण गीत रु608-‘‘क्या रहस्य, पिता, पुत्र और आत्मा।’’ हमें पिता की प्रशंसा की और प्रभु की प्रशंसा की श्रेणियों के गीत को जानने की भी जरूरत है।
आत्मा का भरना गीत के विषय वस्तु का एक और महत्वपूर्ण बिंदु है। कुछ ने आत्मा की पूर्णता शब्द का इस्तेमाल किया है—- बाइबल दिखाती है कि आत्मा के भराव के दो पहलू हैं-जीवन के लिए अंदरूनी भराव और सामर्थ के लिए बाहरी भराव। यूनानी शब्द प्लरो में अंदरूनी भरने और यूनानी शब्द प्लोतो बाहरी भरने का सूचित करता है।
मसीह के साथ तादात्मय प्राप्त करने के गीतों को भी हमें जानना चाहिए। मुझे लगता हँ कि जुड़ने से भी बेहतर शब्द तादात्मय है। हम न केवल मसीह के साथ जोड़ दिए गए हैं, किंतु हम वास्तव में मसीह के साथ एक हैं। हमारे गीतों के इस भाग में कई गीत क्रिस्टीयन और मिशनरी एलीयंस के संस्थापक ए-बी- सिम्पसन ने लिखे थे। सिम्पसन द्वारा लिखी गए इन गहरे और उत्कुष्ट भजनों में से कई क्रिस्टीयन और मिशनरी एलीयंस कलीसियाओं के आज के गीतों में नहीं पाया जाता है, लेकिन हमने इन्हें अपने गीतों में शामिल किया है।
गीत के विषय वस्तु में मसीह का अनुभव एक और महत्वपूर्ण बिंदु है। गीत #499-‘‘ओ क्या जीवन! ओ क्या शांति!’’ और 501-‘‘ओ महिमामय मसीह, मेरा उद्धारक’’ इस श्रणियों में उत्तम गीत है। हमें अंदरूनी जीवन, कलीसिया, उद्धार का आश्वासन, समपर्ण, पीड़ाओं में सांत्वना के महत्वपूर्ण बिंदुओं के गीतों को भी जानना चाहिए।
आत्मिक युद्ध, सुसमाचार, सभाओं, महिमा की आशा और अन्तिम प्रकटीकरण के महत्वपूर्ण बिन्दुओं के गीतों को भी जानने की जरूरत है।
गीतों में तीस श्रेणियाँ
गीतों के विषय-सूची में कुल समेत तीस श्रेणियाँ हैं: त्रिएकता की आशीष, पिता की आराधना, प्रभु की स्तुति, आत्मा की परिपूर्णता, उद्धार का आश्वासन और आनंद, चाह, समपर्ण, मसीह के साथ जुड़ना, मसीह का अनुभव, परमेश्वर का अनुभव, क्रूस में महिमा करना, क्रूस का मार्ग, पुनरुत्थान का जीवन, प्रोत्साहन, परीक्षा में सांत्वना, अंदरूनी जीवन के विभिन्न पहलू, दिव्य चंगाई, प्रार्थना, वचन का अध्ययन, कलीसिया, सभाएं, आत्मिक युद्ध, सेवा, सुसमाचार प्रचार करना, बपतिस्मा, प्रभु का दिन, राज्य, महिमा की आशा, अंतिम प्रकटीकरण और सुसमाचार।
गीतों की उत्तेजना
अगर हम गीतों को महसूस करना सीखेंगे हम उनके मानक को जानेंगे। गीत की सोच से उत्तेजना आएगी। जब हम सभा के लिए गीत को चुनते हैं, हमें अपनी उत्तेजना के अनुसार गीत की सोच के आधार पर करना चाहिए। गीत की उत्तेजना उसके स्वाद का जिक्र करती है। कुछ खाने के पदार्थ स्वादिष्ट हैं या नहीं, उनके स्वाद द्वारा निर्धारित किया जाता है। हम गीतों को केवल वस्तुपरक रूप से नहीं जानना चाहते हैं बल्कि हमें उनका स्वाद चखने के द्वारा व्यक्तिपरक तरीके से भी गीतों को जानना चाहते हैं।
गीतों की धुन
हमारे गीतों को जानने में एक महत्वपूर्ण पहलू गीतों की धुन है। बहुत सारे अच्छे गीत तुच्छ राग से मारे जा सकते हैं। जब हमने अपने गीतों को संकलित किया, हमने गीतों के लिए उचित और उठाये गए राग के महत्वपूर्ण बिंदु को चुना। हमने चुनी हुई धुनों को सुना, यह देखने के लिए कि क्या हमारी चुनी हुयी धुन मेल किये गये गीत की सोच और महसूस के अनुसार जुड़ रही है या नहीं। हमारे द्वारा लिखे गए सब नए गीत पुरानी धुन के साथ बने थे। हमने कोई नई धुन नहीं बनाई। ‘‘ओ, क्या जीवन! ओ, क्या शांति’’ चार्लस वेस्ली के प्रसिद्ध गीत-‘‘और क्या यह हो कि मैं प्राप्त करू’’ की धुन में लिखा था। गीत #499 के लिए यह धुन लोगों की इच्छा और अनुभूति को जगाती है। पिछली शताब्दी में और इस शताब्दी की शुरूआत में बनायी गयी धुनों को मैं बहुमूल्य समझता हूँ। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जो भी धुन आई उन पिछली पावन धुन से मेल नहीं खाती है। उदाहरण के लिए, ‘‘युगों की चट्टान’’(रु1058) और ‘‘यीशु, मेरे प्राण का प्रेमी’’(#1057) की धुन बहुत मजबूत है। गीत बनाने में हमें इस प्रकार की धुन का उपयोग करने की कोशिश करनी है।
हमारी सभाओं में
गीतों को बोलना सीखना
निष्कर्ष में, अगर हम वचन के अनुसार सभाएं चाहते हैं तो, हमें गीत को जानना है। हमें गीतों के सार के महत्वपूर्ण बिंदु, गीतों के मानक, गीतों की अनुभूति, गीतों के शब्दों और गीतों के राग को जानना चाहिए। और हमें याद रखना है कि गीत केवल गाने के लिए नहीं, बल्कि वे इससे भी ज्यादा सभाओं में बोलने के लिए हैं। हमारा एक दूसरे से उचित गीत का बोलना और हमारा प्रभु की ओर उसे गाना सभाओं को समृद्ध, सजीव, उत्थापक, ताजा और मजबूत करेगा।
हमारी सभाओं में हमें गीतों को बोलना सीखने की जरूरत है। केंद्र के रूप में मसीह के साथ यह अभ्यास ताजा, पौष्टिक, सुदृढ़ और निर्माण करना है। प्रभु की पुनःप्राप्ति में यदि सभी संतों ने सभाओं में गीतों को बोलने का अभ्यास किया, तो सभाएं जीवित, ताजा और धनी होंगी। इससे सभी संतों को दूसरों के साथ अपने आनंद को बाँटने का एक तरीका मिल जाएगा। गीत को बोलने और हमारे इलाके में इसे करने का प्रयास का बोझ हमें लेना है।
Assurance and Joy of Salvation—Satisfied with Christ – 8255
1. Many weary years I vainly sought a spring,
One that never would run dry;
Unavailing all that earth to me could bring,
Nothing seemed to satisfy.
Drinking at the Fountain that never runs dry,
Drinking at the Fountain of life am I;
Finding joy and pleasure
In abounding measure,
I am drinking at the Fountain of life.
2. Through the desert land of sin I roam no more,
For I find a living Spring,
And my cup of gladness now is running o’er,
Jesus is my Lord and King.
3. Here is sweet contentment as the days go by,
Here is holy peace and rest;
Here is consolation as the moments fly,
Here my heart is always blest.
4. Here I find a never ending, sure supply,
While the endless ages roll;
To this healing Fountain I would ever fly,
There to bathe my weary soul.