चरवाही

श्रृंखला 2

उद्धार पाने के बाद

पाठ आठ – परमेश्वर का वचन प्रार्थना-पठन करना

इफ- 6:17-18-और उद्धार का टोप तथा आत्मा की तलवार, जो परमेश्वर का वचन है ले लो।

18 प्रत्येक विनती और निवेदन सहित पवित्र आत्मा में निरंतर प्रार्थना करते रहो। और यह ध्यान रखते हुए सर्तक रहो की यत्न सहित सब पवित्र लोगों के लिए लगातार प्रार्थना करो।

परमेश्वर से हमारी प्रार्थना के रूप में

बाइबल के वचनों का उपयोग करना

इफिसियों 6:17 सूचित करता है कि आत्मा परमेश्वर का वचन है। आत्मा और वचन दोनों मसीह हैं (2 कुर- 3:17; प्रक- 19:13)।

हमें परमेश्वर का वचन सभी प्रार्थना और विनती के माध्यम से ग्रहण करने की आवश्यकता है। इफिसियों 6:17 और 18 के अनुसार, हमें परमेश्वर के वचन को सभी प्रार्थना के माध्यम से लेना है। ये आयतें इशारा करती हैं कि हम प्रार्थना अध्ययन करने के द्वारा, अर्थात परमेश्वर से प्रार्थना के रूप में बाइबल के वचनों का उपयोग करते हुए, पवित्रशास्त्र के वचनों के साथ और उन पर प्रार्थना करने के द्वारा वचन को ले सकते हैं। बाइबल में प्रार्थना-अध्ययन का शब्द नहीं पाया जाता है। हालांकि प्रार्थना-अध्ययन का तथ्य पवित्रशास्त्र के अनुसार है।

प्रार्थना के साथ और प्रार्थना द्वारा

वचन को पढ़ना वचन पढ़ने का

सर्वोत्तम तरीका होना

प्रार्थना के साथ ओैर प्रार्थना द्वारा वचन पढ़ना, वचन को प्रार्थना-अध्ययन करना, वचन पढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है। सिर्फ पढ़ने के लिए हमारी आंखों और हमारी समझ, मानसिकता की आवश्यकता है। परंतु परमेश्वर के वचन को अपने अस्तित्व की गहाराई में प्राप्त करने के लिए हमें हमारी आत्मा की आवश्यकता है, और हमारी आत्मा का अभ्यास करने का प्रचलित तरीका प्रार्थना करना है। जब भी हम प्रार्थना करते हैं, हम स्वाभाविक रूप से अपनी आत्मा का अभ्यास करते हैं। तब जो हम अपनी आंखों से पढते हैं और अपनी मानसिकता में समझते हैं, वह हमारी प्रार्थना के माध्यम से हमारी आत्मा में जाएगा। बाइबल में हर वचन को हमारे प्रार्थना-अध्ययन की आवश्यकता है।

परमेश्वर के वचन को अपनी आत्मा के साथ

प्रार्थना-पठन करना

जो सभी हम देखते हैं और जो सब हम समझते हैं, उसे प्रार्थना में बदलते हुए, हमें प्रार्थना-अध्ययन करने की जरूरत है। जब हम प्रार्थना करते हैं, हम अपनी आत्मा का उपयोग करते हैं। पहले, हम प्रार्थना करने के लिए अपने दिमाग का उपयोग कर सकते हैं लेकिन तीन से पांच वाक्यों के बाद हमारी आत्मा जागेगी। यह एक निश्चित तथ्य है। इसलिए, यह कभी न भूलें कि परमेश्वर के वचन का सार परमेश्वर का साँस छोड़ना है। जब आप इसे पढ़ते हैं, तो आपको इसे साँस लेना है। परमेश्वर के पक्ष में, यह उनके सांस छोड़ने की बात है; हमारे पक्ष में, यह हमारे सांस लेने की बात है। आत्मिक साँस उससे बाहर आता है और हमारे अंदर प्रवेश करता है। आत्मिक साँस वह है जो उनसे बाहर आता है और हमारे अदंर प्रवेश करता है। परमेश्वर का वचन आत्मा और जीवन है। हमारा दिमाग आत्मा को नहीं छू सकता है_ केवल हमारी आत्मा ही आत्मा को छू सकती है। यदि हम आत्मा को नहीं छूते हैं, तो हमारे पास जीवन नहीं है। केवल आत्मा को छूने के द्वारा हमें जीवन मिल सकता है। अतंतः, यह जीवन मसीह है, और यह स्वयं परमेश्वर भी है।

पहले, जो हम पढ़ते हैं हमें उसकी व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है, न ही हमें इसे समझने की आवश्यकता है; हमें केवल वचन को वस्तुतः प्रार्थना-अध्ययन करने की जरूरत है। जब हम प्रार्थना-अध्ययन करते हैं, हमारी आत्मा बाइबल की आत्मा को छूती है, और इस प्रकार हम जीवन प्राप्त करते हैं।

प्रभु के वचन को

प्रार्थना-पठन करने का अभ्यास

व्यक्तिगत प्रार्थना-पठन

हमें अब वचन के पास आने का उचित तरीका देखना चाहिए। यह क्या है? हमें इफिसियों 6:17-18 में उल्लिखित परमेश्वर के वचन को देखना चाहिए—-इस वाक्य के अनुसार हम किस प्रकार परमेश्वर के वचन को ले सकते हैं? यह सभी प्रार्थना और विनती के माध्यम से है। इसे ही हम प्रार्थना-अध्ययन कहते हैं! दोबारा, हमें दोहराना होगा परमेश्वर के वचन को सभी प्रार्थना के माध्यम से लिया जाना चाहिए।

बस वचन लें और कुछ आयतों को सुबह और शाम प्रार्थना-अध्ययन करें। आपको कुछ कथन का निचोड़ निकालने के लिए अपने दिमाग का अभ्यास करने की आवश्यकता नहीं है, और जो आपने पढ़ा है उसके बारे में सोचना अनावश्यक है। जो आपने पढ़ा है उसी वचन के साथ प्रार्थना करें। हर पृष्ठ पर और हर आयत में एक जीवित प्रार्थना है।

जब आप प्रार्थना-अध्ययन करते हैं तो अपनी आंखे बंद करने की आवश्यकता नहीं है। जैसे आप प्रार्थना करते हैं अपनी आंखें वचन पर रखें—-हमें एहसास करना होगा कि जब हम प्रार्थना करते हैं हमें अपनी आंखो को बंद करने की जरूरत नहीं है। हमारे लिए अपने दिमाग को बंद करना बेहतर है!

आपको कोई वाक्य बनाने या एक प्रार्थना तैयार करने की आवश्यकता नहीं है। बस वचन को प्रार्थना-अध्ययन करें। बाइबल के वचन को वैसे प्रार्थना करें जैसे वे हैं। अंत में, आप देखेंगे कि पूरी बाइबल एक प्रार्थना पुस्तक है! आप बाइबल के किसी भी पृष्ठ को खोल सकते हैं और वचन के किसी भी हिस्से से प्रार्थना करना शुरू कर सकते हैं। शायद आप रोमियों की पूरी किताब से काफी परिचित हैं। लेकिन आज भी, आपको इसकी एक या दो आयतों को प्रार्थना-अध्ययन करने की जरूरत है। यद्यपि हम भोजन के बारे में सब कुछ जान सकते हैं, फिर भी हमें रोजाना कुछ भोजन करना चाहिए। चाहे हम इसके बारे में कितना भी जानते हैं, हमें फिर भी इसे खाना चाहिए! जानना एक बात है लेकिन खाना दूसरी बात है—-हो सकता है कि आप कई सालों से एक मसीही हैं, लेकिन चाहे आप कितने भी समय से एक मसीही हैं और चाहे आपने कितनी ही बार इस पुस्तक को पढ़ा है, आपको इसे पढ़ना ही नहीं बल्कि प्रार्थना-अध्ययन करना चाहिए! आपको इसे खाना चाहिए, इसमें हिस्सा लेना चाहिए, और इसे दिन-प्रतिदिन आनंद करना चाहिए।

दूसरे मसीहियों के साथ

प्रार्थना-पठन करना

अधिक आनंद और पोषण के लिए और वचन को उचित और पर्याप्त रूप से पढ़ने के लिए, हमें देह अर्थात कलीसिया की आवश्यकता है। हम निजी तौर पर वचन को प्रार्थना-अध्ययन करने का आनंद ले सकते हैं, लेकिन यदि हम इसे अन्य मसीही समूहों के साथ करने की कोशिश करते हैं, तो हम तीसरे स्वर्ग में होंगे। व्याख्या यह है कि भोजन सम्पूर्ण देह के लिए है, केवल सदस्य के लिए ही नहीं—-इसलिए, प्रार्थना-अध्ययन करने का सबसे अच्छा तरीका देह के अन्य अंगों के साथ है। आपको अकेले प्रार्थना-अध्ययन करने से लाभ मिलेगा, लेकिन जब आप दूसरे भाई और बहनों के साथ आएंगे, तो आप फर्क देखेंगे।

प्रार्थना-पठन की चार कुंजियां:

तुरंत, लघु, सच्ची, ताजा

जब हम दूसरे भाईयों और बहनों के साथ प्रार्थना करने के लिए इकट्ठे होते हैं, तो हमें चार शब्द याद रखने चाहिएः तुरंत, लघु, सच्ची, और ताजा। पहले, हमें झिझक के बिना, तुरंत प्रार्थना करने की आवश्यकता है। जब हम तुरंत प्रार्थना करते हैं, तो हमारे पास दिमाग का उपयोग करने और विचार करने के लिए कोई समय नहीं है। फिर हमारी प्रार्थना छोटी होनी चाहिए, क्योंकि लम्बी प्रार्थना के लिए कुछ रचना की आवश्यकता होती है। हमें लम्बी प्रार्थना बनाने के बारे में भूलना चाहिए और सिर्फ एक वाक्य या वाक्याशं बोलना चाहिए। इसे तुरंत और छोटे तरीके से करें। और हमें मिथ्य नहीं बल्कि सच्चा होने की जरूरत है। सच्चे तरीके से कुछ कहें। अंत में, हमारी प्रार्थना ताजी होनी चाहिए, पुरानी नहीं। ताजा होने का सबसे अच्छा तरीका हमारे अपने शब्दों से नहीं बल्कि बाइबल के वचनों के साथ प्रार्थना करना है। इस पुस्तक का हर भाग और हर पंक्ति का इस्तेमाल प्रार्थना के रूप में किया जा सकता है, और यह सबसे ताजा प्रार्थना होगी!

हजारों ने साबित किया है कि ये परमेश्वर के वचन के पास आने का सही तरीका है। यह उनके जीवन में क्रांति लाया है। शुरूआत में यह अजीब लग सकता है, लेकिन अभ्यास और एक ईमानदार हृदय से, आप जीवित आत्मा को छूएंगे। यदि आप इसका निजी और सामूहिक रूप से प्रयास करेंगे, तो आप मसीह की समृद्धि के बारे में बताने में सक्षम होंगे जो परमेश्वर के वचन को पढ़ने के द्वारा आप में प्रदान की गयी है। आप अपने आत्मिक जीवन में आशीष और विकास देखेंगे। एक महान बदलाव होगा। मसीह का आनंद लेने के लिए और उसके द्वारा पोषित होने के लिए वचन को इस प्रकार से संपर्क करने के द्वारा, आप परिपक्वता में बढ़ने वाले व्यक्ति होंगे, जीवन से परिपूर्ण और जीवित जन के साथ संतृप्त होंगे।

वचन का अध्ययन-

वचन को खाना

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1  मेरा दिल भूखा, और आत्मा प्यासी,
मैं आता हूॅं प्रभु पाऊँ पूर्ति

कुछ नहीं, पर तू है सब कुछ मेरा
तू भूख और प्यास को संतुष्ट करे

खिला प्रभु, पीने को दे
भर मेरी भूख को, प्यास बुझा दे
आनन्द से भर, बने जीवन का बल
भर दे भूख को, और प्यास बुझा दे

2 तू मेरा खाना और जीवन का जल
आत्मा को सचेत और ऊँचा करे
मैं तुझे खाना और पीना चाहता
प्रार्थना, पठन से करें आनन्द

3 तू ही वचन खुदा की पूर्णता से,
तू आत्मा भी, कि खुदा जीवन हो
वचन में भोजन का आनन्द करूँ
आत्मा के समान जल मेरे लिए।

4 तू स्वर्ग से उतरा, भोजन के रूप,
पिलाने के लिए मारा गया
भोजन जैसा तू असमाप्त पूर्ति
झरना और जल बना मेरे लिए।
आत्मा तू जीये मेरी आत्मा में
तेरे आत्मा में, मैं पी सकूँ

6 वचन के पास आकर, आनन्द करते
तुझें खाने से भूख मिट जाती हैं
अपनी आत्मा में मुड़ता तेरी ओर
पीता हूँ जब तक, प्यास ना बुझ जाए।

7 खाते और पीते प्रभु यीशु को
पढ़ना-खाना, और पीना-प्रार्थना है
पढ़ना, प्रार्थना से, मैं खाता पीता,
पढ़ना-प्रार्थना प्रभु हैं आहार।

8 हे मेरे प्रभु, तुझे भोज करूँ
आत्मा और वचन से मुझें भरो
प्रभु मेरे लिए एक भोज बनो
जैसा मनुष्य ने ना आनन्द किया