चरवाही
श्रृंखला 2
उद्धार पाने के बाद
पाठ छः – आत्मा में भरना
प्रे- 2:2-एकाएक आकाश से प्रचण्ड आँधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उससे सारा घर जहाँ वे बैठे हुए थे, गूँज गया।
इफ- 5:18-दाखरस पीकर मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, परन्तु आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।
आत्मा से भरने का अर्थ
मानवीय आत्मा मानवीय शरीर से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसलिए इफिसियों- 5:18 कहता है, दाखरस पीकर मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, परन्तु आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ। हमें परमेश्वर की परिपूर्णता तक मसीह के साथ भरने की आवश्यकता है (1:23_ 3:19)। आज मसीह की सारी समृद्धि जीवन दायक आत्मा में शामिल है (1 कुर- 15:45; 2 कुर- 3:17)। हमारी आत्मा में भरना सारात्मक आत्मा से भरना है। सारात्मक आत्मा जीवन दायक आत्मा है, और जीवन दायक आत्मा मसीह की अनुभूति के रूप में वास्तविकता का आत्मा है, जिसका उल्लेख यूहन्ना 14:17 में किया गया है।
इफिसियों 3:17 कहता है कि मसीह हमारे हृदय में अपना घर बनाना चाहता है। जब हम अपनी आत्मा में सारात्मक आत्मा के साथ पूरी तरह से भर जाते हैं, तो मसीह त्रिएक परमेश्वर के देहधारण के रूप में हमारे हृदय पर कब्जा करेगा और हमारे हृदय में अपना घर बनाएगा। जब हम अनुभवात्मक रूप से सारात्मक आत्मा अर्थात त्रिएक परमेश्वर की अंतिम परिपूर्णता के साथ अपनी आत्मा में भर जाते हैं और जब मसीह त्रिएक परमेश्वर के देहधारण के रूप में पूरी तरह से हमारे हृदय पर कब्जा करता है, अधिकार करता है, और हमारे हृदय में अपना घर बनाता है, तो परिणाम यह होगा कि हम त्रिएक परमेश्वर से भरे हुए हैं और हम पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। यह आत्मा से भरने का महत्व है।
आत्मा में भरने का तरीका
संपूर्ण रूप से प्रार्थना और
अंगीकार करने के माध्यम से
हम त्रिएक परमेश्वर से कैसे भर सकते हैं? हम संपूर्ण रूप से प्रार्थना और अंगीकार करने के माध्यम से त्रिएक परमेश्वर से भर सकते हैं—-आपके समर्पण का नवीकरण अच्छा है, लेकिन आपको अपने व्यस्त समय-सारणी में से कुछ समय स्वयं प्रभु के सामने घुटने टेकने और संपूर्ण रूप से प्रार्थना करने और अंगीकार करने के लिए निकालना होगा। यह सबसे कीमती है। इस समय की शुरूआत में, आप प्रभु से कह सकते हैं, हे प्रभु, मुझे माफ करें। यद्यपि आपने मुझे मेरे सारे पापों से क्षमा किया है, मैंने कभी भी पूर्ण अंगीकार और एक पूर्ण निपटारा नहीं किया था। आज मैं आपके सामने अपने सभी पापों को पूरी तरह से अंगीकार करना चाहूंगा। कृप्या मुझ पर रोशनी डालें!
जब आप इस तरीके से प्रार्थना करते हैं, तो अनुभूति को न खोजें। आपको विश्वास करना होगा की प्रभु का आत्मा आपके साथ है। आपको एक अनुक्रम के अनुसार भी अंगीकार करने की आवश्यकता नहीं है। बस आपको अपने भीतर की चेतना के अनुसार और जो आपको याद है उसके अनुसार अंगीकार करना है। प्रभु से अपने पापों को एक-एक करके अंगीकार करें जब तक अपनी भीतरी चेतना और स्मृति के अनुसार और अंगीकार करने के लिए आपके पास कुछ न रहे। एक बार जब आप ऐसा करते हैं, तो आपको बस यह विश्वास करना चाहिए कि आप त्रिएक परमेश्वर की अंतिम परिपूर्णता से भर गए हैं।
दिन भर
प्रभु को बोलने और
प्रभु को पुकारने के द्वारा
आत्मा से भरने का अभ्यास करना
जब हम सुबह उठते हैं, हमारे करने के लिए श्रेष्ठ बात यह है कि हम अन्य चीजों के बारे में न सोचें, लेकिन केवल प्रभु यीशु के बारे में सोचें। इस बारे में बात करना आसान है, लेकिन अभ्यास करना सरल नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम सभी के पास बहुत सी बाते हैं जो हमारे हृदयों में भरी हैं। इसके बाबजूद, हमें अभी भी अभ्यास करने की आवश्यकता है—-आपको सुबह प्रभु को इस तरह से पुकारने की जरूरत है। फिर पूरे दिन के दौरान आपको प्रभु को बोलने का अभ्यास करने की जरूरत है। जब आपके साथ कोई नहीं है, तो आपको प्रभु यीशु को पुकारना चाहिए; जब आप के साथ अन्य लोग हैं, तो आपको उनसे प्रभु यीशु को बोलना चाहिए। अंततः जो आप साँस लेते है वह प्रभु यीशु है, और जो आप बोलते हैं वह भी प्रभु यीशु है। तब आप निश्चित रूप से त्रिएक परमेश्वर से भर जाएंगे, जो आत्मा है—-यह एक बहुत सामान्य बात है। यह हमारा सामान्य दैनिक जीवन होना चाहिए।
पवित्र आत्मा से भरने को
बनाये रखने का रहस्य
आत्मा को न बुझाना
हमारे पवित्र आत्मा से भरने के बाद, हमें भरने को बनाये रखने के लिए कुछ चीजें अभी भी करनी पड़ेगी। सबसे पहले, हमें आत्मा को बुझाना नहीं चाहिए (1 थिस- 5:19)। आत्मा हमारे लिए आत्मा में उत्साहित होने का कारण बनती है (रो- 12:11) और उस उपहार को जो हमारे भीतर है, प्रज्जवलित करने का कारण भी बनता है (तीम-1:6)। इसलिए, हमें आत्मा को नहीं बुझाना चाहिए।
पवित्र आत्मा को दुःखी न करना
दूसरा हमें पवित्र आत्मा को दुःखी नहीं करना चाहिए। (इफ- 4:30)। उसे नाखुश करना और हमारे दैनिक जीवन में उसके अनुसार नहीं चलना पवित्र आत्मा को दुःखी करना है (रो- 8:4)। जब पवित्र आत्मा दुःखी होता है तो हम कैसे जानते हैं? हम अपने जीने के द्वारा जान सकते हैं। यदि हम अपने मसीही जीवन में आनंदित नहीं हैं, तो यह संकेत है कि पवित्र आत्मा हमारे अंदर दुःखी है। यह इसलिए है कि पवित्र आत्मा हमारे लिए दुःखी है कि हम आनंदित नहीं हैं। यदि हम आनंदित हैं, तो यह सूचित करता है कि हमारे अंदर पवित्र आत्मा भी आनंदित है। एक बहन ने गवाही दी कि उसने एक बार इस हद तक प्रार्थना की कि वह पूरी तरह से ताजा, प्रसन्नचित, और खुशी से भर गयी थी। यह सबूत है कि उसमें पवित्र आत्मा आंनदित था। इसलिए पवित्र आत्मा को दुःखी न करना अपने आप को दुःखी न करने देना है।
पवित्र आत्मा का पालन करना
तीसरा, सकारात्मक पक्ष पर, हमें पवित्र आत्मा का पालन करना चाहिए। प्रेरितों के कार्य 5 में पतरस ने कहा, पवित्र आत्मा, जिसे परमेश्वर ने उन्हें दिया है जो उसकी आज्ञा मानते हैं (आ- 32)। यह दर्शाता है कि पवित्र आत्मा हमारे लिए आज्ञा मानने के लिए है। आज्ञाकारिता हमारे लिए पवित्र आत्मा का आनंद लेने का तरीका और आवश्यकता है। रोमियों 8:4 कहता है, “शरीर के अनुसार नहीं वरन् आत्मा के अनुसार चलते हैं। यह पवित्र आत्मा से भरने का तरीका और पवित्र आत्मा से भरे होने को बनाये रखने की आवश्यकता है। हमें न केवल इन आयतों को अध्ययन करना चाहिए, बल्कि इन्हें अपने दैनिक जीवन में भी अभ्यास में डालना चाहिए।
आत्मा की भरपूरी-
भराव
267
1 भर मुझे कृपा आत्मा से,
मेरे आत्मा की इच्छा भर
अपनी पवित्र उपस्थिति में,
आ प्रभु और मुझे भर!
भर दे अभी! भर दे अभी!
अपनी आत्मा से भर मुझे!
छीन लो पूरा, कर दो खाली,
अपनी आत्मा से भर मुझे!
2 वह भरता अपनी आत्मा से,
कैसे भरता ना कह सकता
पर मुझे हैं उसकी जरूरत
आ प्रभु और मुझे भर!
3 मैं कमजोर हूॅ पूरा कमजोर
आपके पावन पाँव टेकू
अपनी अनन्त आत्मा के द्वारा,
सामर्थ के साथ भर दे मुझे!
4 साफ करो मुझे दो आशीष
भर दे टूटी आत्मा को!
आप करते हैं हमें सन्तुष्ट,
मधुरता से भरता अभी।