चरवाही
श्रृंखला 2
उद्धार पाने के बाद
पाठ चार – मिश्रित आत्मा
2 तीम- 4:22 प्रभु तेरी आत्मा के साथ रहे। तुम पर अनुग्रह होता रहे।
1 कुर- 6:17-परंतु वह जो प्रभु की संगति में रहता है, उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
1 कुरिन्थियों 6:17 कहता है परंतु वह जो प्रभु की संगति में रहता है, उसके साथ एक आत्मा हो जाता है। क्योंकि मसीह आज जीवनदायक आत्मा है, और हमारे पास एक भीतरी भाग है अर्थात् मानवीय आत्मा, ये दो आत्माएं एक साथ आती हैं और मिश्रित हो जाती हैं और एक आत्मा बन जाती हैं। जो प्रभु से जुड़ा हुआ है, वह एक आत्मा है। अब हमारे पास मिश्रित आत्मा है। यह कहना काफी कठिन है कि ये पवित्र आत्मा है या मानवीय आत्मा क्योंकि ये दो आत्माएं एक के रूप में मिश्रित हो गयी हैं।
इसलिए, रोमियो 8:4 हमें आत्मा के अनुसार चलने के लिए कहता है यह कौन सी आत्मा है? हमें केवल पवित्र आत्मा के अनुसार और केवल मानवीय आत्मा के अनुसार नहीं चलना चाहिए बल्कि मिश्रित आत्मा के द्वारा चलना चाहिए। अब पवित्र आत्मा और मानवीय आत्मा एक के रूप में मिश्रित हो गयी हैं। यहां इस पृथ्वी पर, इस ब्रहमाण्ड में, एक स्थान है जहां मसीह जीवनदायक आत्मा के रूप हमारे साथ एक है। अब हम इस अद्भुत, मिश्रित आत्मा के अनुसार चलते हैं। मसीह हमारी आत्मा में जीवन दायक आत्मा है।
आत्मा का हमारी आत्मा के साथ
गवाही देना
रोमियों 8ः16 कहता है, फ्आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की संतान हैं।य् यह आयत हमें स्पष्ट रूप से बताती है कि परमेश्वर का आत्मा है और हमारी आत्मा है, और ये दो आत्माएं एक हैं। आत्मा स्वयं हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है। दो आत्माएं एक के रूप में एक साथ कार्य करती हैं।
प्रभु के साथ एक आत्मा
बाइबल में महानतम आयतों में से एक, 1 कुरिन्थियों 6:17 कहती है, परंतु वह जो प्रभु की संगति में रहता है, उसके साथ एक आत्मा हो जाता है। इस आयत का तात्पर्य अद्भुत और दूरगामी है। हम विश्वासी, प्रभु के साथ एक आत्मा हैं। कितना अद्भुत! यह सूचित करता है कि हम उसमें हैं और वह हम में है। ये यह भी दर्शाता है कि हम और वह जीवन में एक बनने के लिए, जैविक रूप से मिश्रित, सम्मिश्रित हो चुके हैं। प्रभु के साथ एक आत्मा होने का अर्थ है कि हम और वह एक जीवित अस्तित्व हैं—-यह कहना कि हम प्रभु के साथ एक आत्मा हैं निश्चित रूप से यह अर्थ नहीं रखता कि परमेश्वरत्व में हमारा कोई हिस्सा है। हालांकि, यह निश्चित रूप से मानवता के साथ दिव्यता के मिश्रण को सूचित करता है। गीत 501 के शब्दों में, मानवता के साथ मिश्रित खुदा सब होने को रहता मुझमें। प्रभु के साथ एक आत्मा होने का अर्थ यह है कि हम जैविक रूप से उसके साथ सम्मिश्रित हैं और जीवन में उनके साथ मिश्रित हैं। हमें जल्दी इसके ज्यादा अनुभव की जरूरत है। हमें मसीह में जड़ पकड़े रहने और वह जो भी है सब अपने अंदर सोखने की जरूरत है। तब हम और वह, वह और हम एक आत्मा बनने के लिए जैविक रूप से जीवन में एक साथ सम्मिश्रित होंगे। कितना गहन! कितना अद्भुत्!
विश्वास के द्वारा
मिश्रित आत्मा को
अनुभव करना
हमारे अस्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण भाग हमारी आत्मा है। कई बार संतों के साथ हमारी सहभागिता और संपर्क हमें यह महसूस कराने में सहायता करता है कि हम अभी भी हमारे शरीर और हमारे प्राण मन, भावना, और इच्छा में हैं। हमें अपने शरीर या अपने प्राण में नहीं बल्कि अपनी आत्मा में रहना सीखना होगा। जब हम किसी से नाराज हैं, तो हम अक्सर अपने शरीर में होते हैं। जब हम एहसास करते हैं कि हमें उसके साथ अच्छा होना चाहिए, तो हम सज्जनों की तरह व्यवहार करते हैं और बहुत विचारपूर्वक तर्क के साथ बात करते हैं। यह प्राण में बात करना, जीना, और व्यवहार करना है। न तो शरीर में जीना ना ही प्राण में जीना परमेश्वर के सम्मुख गिना जाता है। 1 कुरिन्थियों की पुस्तक तीन प्रकार के व्यक्तियों को दर्शाती हैः शारीरिक मनुष्य, प्राणिक मनुष्य, और आत्मिक मनुष्य। 1 कुरिन्थियों 1-3 में पौलुस विभाजन की निंदा करता है क्योंकि विभाजन शरीर में है (1:10, 11; 3:3)। पौलुस आगे हमें बताता है कि हमें प्राण में नहीं चलना चाहिए (2:14)। हमें न ही शारीरिक मनुष्य ना ही प्राणिक मनुष्य होना चाहिए। बल्कि, हमें आत्मिक होना चाहिए जो अपनी आत्मा में चलते हैं (2:11-13, 15)। उचित मसीही होने के लिए, हमें जानना चाहिए कि प्रभु यीशु आज त्रिएक परमेश्वर के देहधारण के रूप में आत्मा है (2 कुर- 3:17) हमारी आत्मा में निवास करता है और एक आत्मा के रूप में हमारी आत्मा के साथ मिश्रित है (1 कुर- 6:17)।
हमें बस विश्वास करना चाहिए कि परमेश्वर ने हमें एक मानवीय आत्मा के साथ रचा है। इसके अलावा, परमेश्वर आत्मा है, और उसने देहधारण किया, मांस और लहू पहना। तब वह मरा, दफनाया गया, और अपने पुनरूत्थान में वह जीवन दायक आत्मा बना। जब हमनें उसमें विश्वास किया, उसने जीवनदायक आत्मा के रूप में हमारी आत्मा में प्रवेश किया। अब आत्मा हमारी आत्मा के साथ कार्य करता है, और दो आत्माएं इस हद तक एक हो गयी हैं कि यह समझना मुश्किल है कि कौन सी कौन है। यदि हम अपनी आत्मा को नहीं जानते, तो हम एक उचित मसीही जीवन नहीं जी सकते। मसीही जीवन पूरी तरह से हमारी मिश्रित आत्मा में एक जीवन है।
पवित्र बाइबल में जो लिखा है
उसके आधार पर हमें
अपने विश्वास का अभ्यास करने की जरूरत
हमें विश्लेषण, स्वयं को समझाने, या दसूरों को समझाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि हमारे पास ये दो आत्माएं हैं। पवित्र बाइबल में जो लिखा है उसके आधार पर हमें अपने विश्वास का अभ्यास करना चाहिए। विवाह के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुए, पौलुस ने कहा, मैं समझता हूँ कि मुझ में भी परमेश्वर का आत्मा है (1 कुर- 7:40)। वह शायद आत्मा को महसूस नहीं कर सकता था, और उसके पास यह साबित करने का कोई तरीका भी नहीं था कि उसके पास आत्मा है, लेकिन उसने सोचा कि उसके पास परमेश्वर का आत्मा था। हमें ऐसी शिक्षा से प्रभावित नहीं होना चिाहए कि हमें पवित्र आत्मा प्राप्त करने से पहले प्रार्थना और बहुत कुछ चीजें करनी चाहिए। हमें सिर्फ वचन को लेना चाहिए और जो वचन कहता है उस पर विश्वास करने का अभ्यास करना चाहिए। हमें यह भूल जाना चाहिए कि हमारे पास आत्मा होने की कोई भावना है या नहीं।
यह जानना आसान है कि
कब हम आत्मा में नहीं हैं
हमारे पास आश्वासन होना चाहिए कि हम अपनी आत्मा में काम कर रहे हैं, बर्ताव कर रहे हैं, और यहां तक कि हमारा अस्तित्व आत्मा में है, लेकिन यह बताना कठिन है कि क्या हम आत्मा में हैं। यह जानना आसान है कि हम कब आत्मा में नहीं हैं। यदि हम गुस्सा करते हैं, तो हम जानते हैं कि हम शरीर में हैं। यदि हम बहुत तार्किक और दार्शनिक हैं, तो हम जानते हैं कि हम प्राण में हैं। जब हम आत्मा में नहीं हैं, तो हम इसे जानते हैं, लेकिन जब हम आत्मा में हैं हम इसे नहीं जानते हैं। इसका हमारे शरीर के अंगों के द्वारा उदाहरण दिया जा सकता है। जब हमारे पेट में कुछ समस्या नहीं है, तो हमें इसके बारे में पता नहीं है, लेकिन जब हमारे पेट में कोई समस्या है, तो हम इसके बारे में जानते हैं। ना जानना एक महान आशीष है। अगर हम निश्चित हैं कि हम अपनी आत्मा में कुछ जानते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि हम आत्मा में नहीं हैं। निश्चित रूप से यह कहना कि हम आत्मा में हैं एक अच्छा चिन्ह नहीं है।
हम इसका विश्लेषण नहीं कर सकते_
हम इस पर केवल विश्वास कर सकते हैं
हमें सीखना होगा कि हम अपनी भावनाओं पर भरोसा न करें। बल्कि, ज्यादा विश्वास करना बेहतर है। पौलुस ने कहा, विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे (इफ- 3:17)। हम भावना के द्वारा नहीं बल्कि विश्वास के द्वारा जानते हैं कि मसीह हमारे हृदय में अपना घर बना रहा है। मसीह में विश्वासी के रूप में, हमें अवश्य ही विश्वास करना चाहिए कि हमारे पास एक मानवीय आत्मा है और कि इसका नया जन्म हुआ है। हमारे पास हमारी आत्मा में जीवन दायक आत्मा के रूप में प्रभु यीशु भी है, और दो आत्माएं एक हैं–हम इसका विश्लेषण नहीं कर सकते; हम इस पर केवल विश्वास कर सकते हैं। हमें बस अपनी आत्मा में जीने के लिए, कार्य करने के लिए, चलने के लिए, चीजों को करने के लिए, और अपने अस्तित्व को आत्मा में रखने के लिए अपना कर्तव्य करना चाहिए।
GOD’S WHOLE RELATIONSHIP WITH MANKIND
Experience of God—In the Spirit
8450
1 God’s whole relationship with mankind is
In spirit utterly;
God must as Spirit be touched in spirit
To experience be.
His Spirit
Mine begets, mine infills,
In mine to worshipped be,
Till as the Word with abundant life He
Flows as rivers from me.
2 The God who’s Spirit made man a spirit
To worship Him thereby,
Enabling man to gain God as life and
God to be man’s supply.
3 God comes as Spirit into man’s spirit,
Regenerating him;
In spirit man can enjoy God’s riches,
Fellowshipping with Him.
As Spirit, God waters, fills, refreshes,
Transforms me and renews,
From spirit to my whole being spreads, till
I am soaked through and through.
5 As Spirit, God joins and mingles with me,
Even transfigures me;
He adds His element constantly, till
Manifested in me.
6 As all God’s riches are in the Spirit
For our experience,
I must each moment breathe Him in spirit
To enjoy all He is.