चरवाही

श्रृंखला 2

उद्धार पाने के बाद

पाठ तीन – प्रभात जागृति

नीति- 4:18- परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता हैं।

मसीही जागृति

सुबह में होती है

सुबह का समय तेज़ी से गुज़र जाता है। एक घंटा कुछ ही समय में खत्म हो जाता है। इसलिए प्रभु का वचन कहता है, ‘‘समय का पूरा पूरा उपयोग करो’’ (इफ़- 5:16)। वह अवधि जिसका उपयोग करने की जरूरत है, सुबह में छह से सात बजे का समय है। इस समय के दौरान, हर मिनट कीमती होता है। हमें इस समय का पूरा उपयोग चाहिए।

समय का

पूरा उपयोग करना

समय का उपयोग करने के लिए हमें हर उपलब्ध अवसर को हासिल करना चाहिए। यह हमारे चाल-चलन में बुद्धिमान होना है—-हमें समय का उपयोग करना होगा क्योंकि दिन बुरे हैं। इस बुरे युग में (गल-1:4) हर दिन एक बुरा दिन है जो हानिकारक चीजों से भरा हुआ है जो हमारे समय को नष्ट, घायल और खराब करता है। इसलिए हमें समझदारी से चलना चाहिए कि हम सभी उपलब्ध अवसरों को पकड़कर, समय का उपयोग करें। अगर हम हर मौके को नहीं पकड़ते हैं, तो हमारा समय बर्बाद हो जाएगा। कई बुरी चीजें हमें विचलित और निराश करने के लिए आएंगी। हम टेलीफोन कॉल, पत्र या आगंतुकों से विचलित हो सकते हैं। हम प्रभु की उपस्थिति का आनंद ले रहे होंगे और अचानक एक नकारात्मक टेलीफोन काल के माध्यम से हमला किया जा सकता है। क्योंकि दिन बुरे हैं, हमें सावधान रहना चाहिए और हर अवसर का लाभ लेना चाहिए।

प्रभु के नाम को पुकारना और उनके वचन को प्रार्थना-पठन करना

इसलिए, सुबह में हमारा समय सबसे कीमती है। यह हमारे लिए बेहतर है कि हम दूसरी बातों पर जहां तक संभव है, कम समय बिताएं और इसके बजाय इस समय को प्रार्थना अध्ययन में बितायें। समय बचाने के लिए, जब मैं सुबह तैयार होता हूं, तब मैं प्रभु को पुकारना शुरू करता हूँ और उसके वचन को प्रार्थना अध्ययन करता हूँ। यदि आपकी पत्नी अभी तक जागी नहीं है तो आपको चिल्लाना और जोर से नहीं पुकारना चाहिए। आप अंदर से प्रार्थना कर सकते हैं। जब आप कमीज पहन रहे हैं, तब आप उसी वचन को प्रार्थना अध्ययन कर सकते हैं जो आपने कल पढ़ा थाः ‘‘आदि में–परमेश्वर ने–आकाश–और पथ्वी की–सृष्टि।’’ जब आप नहा रहे हैं, तब भी आप प्रार्थना अध्ययन कर सकते हैं। आप एक समय में दो चीज कर सकते हैं। शायद शुरुआत में आप ऐसा करने में सहज महसूस नहीं करते। लेकिन कुछ समय बाद, आप सहज महसूस करेंगे। यदि आप यहां आधा घंटा या पचास मिनट के लिए प्रभु के वचन को प्रार्थना करते हैं और पढ़ते हैं और अंत में पढ़ने के साथ-साथ प्रार्थना को मिश्रित करते हैं तो आपकी आत्मा उत्साहपूर्ण हो जाएगी। ऐसी सुबह के साथ, आपका पूरा अस्तित्व जागृत हो जाएगा।

सूर्य के चलने के

अनुसार जीना

मसीही जागृति दोपहर या सूर्यास्त में नहीं होती है। बल्कि, यह सुबह में होती है। मसीही जीवन सूर्यास्त नहीं है। बल्कि, यह सूर्य का उदय होना है। वास्तव में, हम स्वयं सूर्य हैं। न्यायियों 5:31 कहता है, ‘‘परन्तु उसके प्रेमी लोग प्रताप के साथ उदय होते हुए सूर्य के समान तेजोमय हों।’’ नीतिवचन 4:18 कहता है, ‘‘परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।’’ एक मसीही का जीवन ऐसा होना चाहिए जो सूर्य के चलने का पीछा करता है। जब सूर्य उगता है, तो हमें इसके साथ उठना चाहिए। हम संपूर्ण दिन तक बढ़ते रहते हैं, जो दोपहर है। मसीही जीवन में दोपहर नहीं है। चाहे हम सांसारिक लोगों के बीच में हैं या कलीसिया की सभाओं में, हमें दूसरों के पास चमकता प्रकाश लाना है। इस कारण से, कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने व्यस्त हैं, हमें अपनी आत्मा को अभ्यास करने के लिए कुछ समय बिताना होगा।

प्रभात जागृति के दो पहलू

व्यक्तिगत प्रभात जागृति

निर्ग- 34:2-3 में मूसा को प्रभु का आदेश इंगित करता है कि हम सभी को प्रभु से अकेले में संपर्क करने के लिए समय की जरूरत है। हम सभी को प्रभु के साथ मिलने के लिए एक निजी समय की जरूरत है। प्रभु के साथ, इस अकेले समय में, हमें कोई भी चीज या किसी भी व्यक्ति को नहीं ले जाना चाहिए। जब हम सुबह सुबह प्रभु के पास जाते हैं, हमें उसके पास अकेले जाना चाहिए। हमें अपने पति या पत्नी को भी पीछे छोड़ने की जरूरत है। कुछ भाईयों का ऐसा अभ्यास है कि वे जहां कहीं भी जाते हैं, अपनी पत्नियों को अपने साथ ले जाते हैं। यह अभ्यास अच्छा है। हालांकि, जब पर्वत की चोटी पर प्रभु से मिलने का समय है, तो उस भाई को अपनी पत्नी को पर्वत के नीचे छोड़ देना चाहिए। जब हम प्रभु से इस तरह मिलते हैं, तो हमें हर चीज और हर व्यक्ति को भूल जाना चाहिए। अपनी संपत्ति, अपनी शिक्षा, अपने व्यवसाय और अपने भविष्य को भूल जाओ। प्रभु के पास, किसी चीज और किसी व्यक्ति के बिना, अकेले जाएं।

कई लोग, विशेष रूप से समूहिक रहने की परिस्थितियों में युवा लोगों के पास प्रार्थना का निजी समय नहीं है। उनके पास केवल सामूहिक प्रार्थना है। मैं मानता हूं कि प्रार्थना का कोई निजी समय सामूहिक समय की जगह नहीं ले सकता है—-यदि आप खुद सीधे और निजी तौर पर प्रभु के पास नहीं जाते हैं, तो प्रभु के साथ आपका व्यवहार बहुत व्यवहारिक या विस्तृत नहीं होगा।

सामूहिक प्रभात जागृति

दस मिनट के लिए अपने संपर्कों के साथ प्रभात जागृति करने के लिए टेलीफोन का उपयोग किया जा सकता है। एक व्यक्ति को 6:15 बजे, और दूसरे व्यक्ति को 6:30 बजे और तीसरे व्यक्ति को 6:45  बजे निर्धारित किया जा सकता है। एक घंटे के अंदर, आप सुबह तीन व्यक्तियों से संपर्क कर सकते हैं। आप हर सुबह उन्हीं तीन व्यक्तियों के साथ प्रार्थना अध्ययन कर सकते हैं, उनके साथ सहभागिता कर सकते हैं और एक संक्षिप्त तरीके से उनके साथ मसीह का आनंद ले सकते हैं। तीन महीने के अंदर प्रत्येक व्यक्ति से कम से कम अस्सी बार संपर्क किया जा सकता हैं। तीन महीने के लिए इस तरह के लगातार संपर्क के बाद, इन लोगों को प्रभु के हित के लिए प्राप्त किया जा सकता है।

जागृति

रुपांतरण को लाती है

यह दैनिक जागृति, अपने साथ रुपांतरण को लाती है। रो- 12:2 कहता है, ‘‘अपने मन के नए हो जाने से तुम परिवर्तित हो जाओ।’’ 2 कुर- 3:18 कहता है, ‘‘परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रकट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्व रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं।’’ यह हमें दिखाता है कि रुपांतरण प्रभु को देखने से आता है। हम दर्पण की तरह हैं जो प्रभु को एक खुले चेहरे के साथ देखते हैं। जितना अधिक हम उन्हें देखते हैं, उतना ही हम प्रभु की महिमा को प्रतिबिंबित करते हैं और उतना ही अधिक हम महिमा के एक स्तर से दूसरे स्तर तक प्रभु की छवी में रुपांतरित हो जाते हैं। यह रुपांतरण प्रभु से है जो आत्मा है। केवल जागृति ही नहीं बल्कि एक रुपांतरण भी है। इसलिए, एक जागृति होने के लिए, जो दैनिक रूप से नवीनीकृत की जाती है, एक रुपांतरण का होना है जो दैनिक रूप से ताजा है। यदि हम अपने पूरे जीवन में इस रुपांतरण में रहते हैं, तो जब तक हम परिपक्व नहीं होते तब तक हम परमेश्वर के जीवन में बढ़ते जाएंगे। इस प्रकार की जागृति, नवीनीकरण और रुपांतरण आज हम सभी की आवश्यकता है।

 

Experience of Christ- Fellowship with Him

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1   I come to His presence afresh
Ere the night has passed into morning;
And His face I see as it shines on me-
The Lord within is dawning.

And He speaks to me and reveals to me
All His riches for me today;
And with sweet delight I partake of Him,
My hunger has passed away.

2   As Spirit He speaks thru the Word
Till my heart in echo is singing,
And the fount of life with His grace and pow’r
Within my soul is springing.

3   In tenderness He deals with me,
While I stay with joy in His presence;
And He saturates and supplies my soul
With all His precious essence.