चरवाही

श्रृंखला 2

उद्धार पाने के बाद

पाठ एक – उद्धार का आश्वासन

रो- 8:16-आत्मा स्वयं हमारी आत्मा के साथ मिलकर साक्षी देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं।

आज के मसीहियों के बीच उद्धार के विषय में कई अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। कुछ लोग मानते हैं कि आज यह जानना असंभव है कि हम बच गए हैं, जबकि दूसरे सोचते हैं कि हमारे उद्धार के बाद, हम फिर भी नाश हो सकते हैं। बाइबल हमें दिखाती है कि हमारा उद्धार मनन की बात नहीं है, न ही यह अनिश्चित्ता का मामला है। बल्कि यह कुछ ऐसा है जिसकी आश्वासन के साथ पुष्टि की जा सकती है और जिसे तो हम पूर्ण विश्वास से जानते हैं। इसके अलावा, हमारा उद्धार सुरक्षित है। एक बार हम इसे प्राप्त करते हैं हम अनंतः तक इसे प्राप्त करते हैं। इसे हिलाया या बदला नहीं जा सकता।

परमेश्वर के वचन द्वारा

सबसे पहले, हमारे उद्धार का आश्वासन परमेश्वर के वचन पर आधारित है (1 यूहन्ना 5:13)। बाइबल के द्वारा परमेश्वर हमें अपने छुटकारे के बारे में बताता है और गवाही देता है, जो उसने हमारे लिए अपने पुत्र के माध्यम से पूरा किया है;  बाइबल के द्वारा वह हमें उस उद्धार के बारे में प्रकाशित करता है और गवाही देता है जो उसने, अपने पुत्र में, आत्मा के द्वारा हमारे अंदर गढा़ है। इसलिए, पवित्रशास्त्र में, परमेश्वर के वचन के द्वारा हम जानते हैं कि हमारा उद्धार हुआ है। जब हम विश्वास करते हैं उस क्षण हमारे उद्धार प्राप्त करने के विषय में, पवित्रशास्त्र केवल परमेश्वर का प्रकाशन और वादा नहीं है, लेकिन हमारे लिए उसकी वाचा और लिखित साक्ष्य भी है। वाचा में उसके वचन और लिखित साक्ष्य के द्वारा, हम विश्वास और आश्वासन के साथ यह जान सकते हैं कि एक बार हम प्रभु में विश्वास करते हैं, तो हमें हमारे पापों की क्षमा मिलती है, मुक्त होते हैं, धोए जाते हैं, पवित्र किये जाते हैं, न्यायी ठहरते हैं, और परमेश्वर के साथ मेल मिलाप करते हैं, हम अनन्त जीवन प्राप्त करते हैं, और नाश नहीं होंगे, हम मृत्यु से जीवन में पार करते हैं, और हम उद्धार पाते हैं।

चूंकि हमारे पास बाइबल एक बाहरी सबूत के रूप में है, इसलिए हमें अपनी भावनाओं की जरूरत नहीं है; सरल कथन के अनुसार, हम निश्चित रूप से जान सकते हैं कि हमने अनुग्रह प्राप्त किया है, कि हम बच गए हैं। यह एक सबूत है जो हमारे बाहर है, जिसे हम बाहरी सबूत कह सकते हैं।

हमारी आत्मा के साथ

आत्मा की गवाही के द्वारा

हमारे उद्धार का आश्वासन हमारी आत्मा के साथ आत्मा की गवाही पर आधारित है (रो- 8:16)। हमारे पास बाहरी रूप में केवल परमेश्वर का वचन ही नहीं जो हमारे उद्धार के इस तथ्य की पुष्टि करता है, लेकिन हमारे भीतर आत्मा भी है जो हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है कि हम परमेश्वर की संतान हैं और परमेश्वर हमारा पिता है। प्रभु में विश्वास करने वाले हर कोई परमेश्वर को ‘‘अब्बा, पिता’’ के रूप में संबोधित करने में आनंद लेते हैं। हमारे लिए परमेश्वर को ‘‘अब्बा, पिता’’ पुकारना एक सहज बात है। इसके अलावा, हर बार जब हम उसे ‘‘अब्बा, पिता’’ पुकारते हैं, हम मधुर मीठा और सुखद महसूस करते हैं। यह इसलिए है क्योंकि हम परमेश्वर से उत्पन्न हुई संतान हैं, हमारे पास परमेश्वर का जीवन है और परमेश्वर के पुत्र की आत्मा हमारे अंदर प्रवेश हुई है। शरीर में हमारे पिता के संबंध में उसे ‘‘पिता’’ पुकारना हमारे लिए सहज और मीठा है। इसलिए, क्योंकि हम परमेश्वर को ‘‘अब्बा, पिता’’ पुकारने में आनंद करते हैं और यह हम सहज तरीके से करते हैं, यहां तक कि एक मीठी और सुखद अनुभूति के साथ भी, यह साबित करता है कि हमारे पास परमेश्वर का जीवन है और हम परमेश्वर से उत्पन्न हुई संतान हैं। इसलिए, हमारी आत्मा के साथ आत्मा की आंतरिक गवाही द्वारा हम निश्चित रूप से जान सकते हैं कि हम परमेश्वर की संतान हैं और हम बच गए हैं। यह हमारे भीतर एक सबूत है जिसे हम अंदरूनी सबूत कह सकते है।

भाइयों से प्रेम रखने के द्वारा

उद्धार का आश्वासन इस तथ्य पर आधारित है कि हम भाइयों से प्रेम करते हैं। पहला यूहन्ना 3:14 कहता है, ‘‘हम जानते हैं कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में आ पहुंचे हैं क्योंकि हम  से प्रेम रखते हैं।’’ चूंकि परमेश्वर प्रेम है (1 यूहन्ना 4:16) और क्योंकि हमारे पास उनका जीवन है, हमारे पास निश्चित रूप से दिव्य प्रेम है। इसके अलावा, चूंकि हम परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं, हम निश्चित रूप से उससे प्रेम करते हैं जो उसके द्वारा उत्पन्न हुए हैं (1 यूहन्ना 5:1) जब उद्धार पाया हुआ एक व्यक्ति, प्रभु में एक भाई को देखता है, तो उसके पास उसके लिए एक स्नेह है और उसे इस तरीके से प्रेम करता है जो उसकी समझ से बाहर है।

इसलिए, प्रभु में भाइयों के प्रति हमारा प्रेम एक सबूत है जिसके द्वारा हम जानते हैं कि हम बच गए हैं। यह जीवन के हमारे अनुभव का एक सबूत है जिसे हम प्रेम का सबूत कह सकते हैं। हमारे विश्वास करने के द्वारा-प्रभु में विश्वास करने के द्वारा-हमारे पास जीवन है और हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं; हमारे प्रेम करने के द्वारा-भाइयों से प्रेम करने से-हम जानते हैं कि हमारे पास जीवन है और हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं।

इसलिए, बाइबल के स्पष्ट शब्दों द्वारा, हमारी आत्मा में अनुभूति के द्वारा और प्रेम के अनुभव द्वारा, हम निश्चित रूप से जान सकते हैं कि हम बच गए हैं।

आनंद के साथ

उद्धार के सोतों से जल भरना

यशायाह 12:3-4 कहता है, ‘‘तुम आनंद पूर्वक उद्धार के सोतों से जल भरोगे। और उस दिन तुम कहोगे, यहोवा की स्तुति हो; उससे प्रार्थना करो (उसका नाम पुकारो)!’’ प्रभु को हमारे उद्धार के रूप में ग्रहण करना उद्धार के सोतों से जल भरना है। हमारे उद्धार के रूप में प्रभु हमारे लिए जल है। नए नियम में, विशेष रूप से यूहन्ना 4 और 7 में, इस पर जोर दिया गया है। यूहन्ना 4:14 में, प्रभु यीशु कहते हैं, ‘‘वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।’’ यूहन्ना 7 में यह सोता जीवन के जल की नदियाँ बन जाता है (आ- 37-39)। यह इगिंत करता है कि प्रभु का हमारा उद्धार होने का मतलब यह है कि वह जीवित जल हैं।

पुराने नियम के समय में भी, यशायाह ने हमें बताया कि आनंद और स्तुति के साथ उसका नाम पुकारने से हम प्रभु को उद्धार के रूप में लेते हैं। उसके नाम को पुकारना गहरी साँस लेने की तरह है। अगर हम पुकारते हैं, ‘‘हे प्रभु यीशु! हे प्रभु यीशु!’’ हम ताज़ा और जागृत होते हैं और हम बहुत जीवित होंगे। उद्धार का आनंद लेने के लिए हमें एहसास करने कि आवश्यकता है कि स्वयं प्रभु हमारे उद्धार, सामर्थ और गीत है और उसके नाम को पुकारने से हम उद्धार के सोतों से आनंद के साथ जल भर सकते हैं।

 

Assurance and Joy of Salvation-

A Firm Foundation

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1   How firm a foundation, ye saints of the Lord,
Is laid for your faith in His excellent word!
What more can He say than to you He hath said,
To you who for refuge to Jesus have fled?”

2   Fear not, I am with thee, O be not dismayed,
For I am thy God, and will still give thee aid;
I’ll strengthen thee, help thee, and cause thee to stand,
Upheld by My righteous, omnipotent hand.”

3   When through the deep waters I call thee to go,
The rivers of sorrow shall not verflow;
For I will be with thee, thy troubles to bless,
And sanctify to thee thy deepest distress.”

4   When through fiery trials thy pathway shall lie,
My grace, all sufficient, shall be thy supply;
The flame shall not hurt thee; I only design
Thy dross to consume, and thy gold to refine.”

5   E’en down to old age all My people shall prove
My sovereign, eternal, unchangeable love;
And then, when grey hairs shall their temples adorn,
Like lambs they shall still in My bosom be borne.”

6   The soul that on Jesus hath leaned for repose,
I will not, I will not desert to his foes;
That soul, though all hell should endeavor to shake,
I’ll never, no, never, no, never forsake!”

(Repeat the last line of each stanza.)