चरवाही
श्रृंखला 2
उद्धार पाने के बाद
पाठ तेरह – नये नियम की सेवकाई
प्रे- 1:17 क्योंकि हमारे साथ उसकी गणना हुई और वह इस सेवा में भी सहभागी हुआ।
इफ- 4:11-12-उसने कुछ को प्रेरित नियुक्त करके, और कुछ को भविष्यवक्ता नियुक्त करके, और कुछ को सुसमाचार सुनाने वाला नियुक्त करके, और कुछ को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए और मसीह की देह उन्नति पाए।
नये नियम की सेवकाई का
सार्वभौमिक तौर पर
अद्वितीय रूप से एक होना
पूरे ब्रह्माण्ड में केवल दो सेवकाई हैं। 2 कुरिन्थियों 3 में पुरानी वाचा की सेवकाई को मृत्यु की सेवकाईऔर दोषी ठहराने की सेवकाई कहा गया है (आ- 7, 9)। पुराने वाचा की सेवकाई ने केवल दो चीजें की हैं: इसने लोगों पर दोष लगाया और लोगों को मारा। लेकिन नयी वाचा और नयी वाचा पर आधारित नयी सेवकाई आत्मा और धार्मिकता की सेवकाई है अर्थात न्याय की सेवकाई (आ- 8,9)।
सभी सेवकों के पास
सेवकाई का उनका
अपना भाग होना
नए नियम की एकमात्र सेवकाई में सभी प्रेरितो अर्थात् नयी वाचा के सेवकों के सभी कार्य (सेवकाई) शामिल है। 2 कुरिन्थियों 3 में बहुवचन सेवकों आयत 6 में स्पष्ट रूप से प्रयोग की गयी है, और एकवचन सेवकाई आयत 8 और 9 में प्रयोग की गयी है। फिर, अध्याय 4 की पहली आयत में पौलुस कहता है, इसलिए जब हम पर ऐसी दया हुई कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते। यहां पौलुस ने बहुवचन सर्वनाम हमें का प्रयोग किया है। उसने यह नहीं कहा कि उसे (एकवचन) यह सेवा मिली है_ बल्कि, उसने कहा कि हमें (बहुवचन) यह सेवा मिली है। यहां पर हमें न केवल पौलुस को बल्कि नयी वाचा के सभी सेवकों को शामिल करता है। यह सब इशारा करता है कि एक नयी वाचा की सेवकाई है, जिसमें कई नयी वाचा के सेवक हैं।
2 तीमुथियुस 4:5 में पौलुस ने तीमुथियुस को उसकी सेवकाई पूर्ण रूप से पूरी करने का आदेश दिया। इस आयत में पौलुस ने एक व्यक्ति की सेवकाई से संबंधित तीमुथियस की सेवकाई के बारे में बताया। यह तीमुथियुस की व्यक्तिगत सेवकाई थी, लेकिन यह व्यक्तिगत सेवकाई सामूहिक सेवकाई अर्थात उस सेवकाई यानी कि नये नियम की एकमात्र सेवकाई का हिस्सा थी। 2 कुर- 4:1 में सेवकाई सभी नये नियम के सेवकों की सामूहिक सेवकाई है। इस सामूहिक सेवकाई में पौलुस का अपना हिस्सा था, पतरस का अपना हिस्सा था, और तीमुथियुस का अपना हिस्सा था। सभी सेवकों के पास सेवकाई के अपने हिस्से हैं। जब हम सभी हिस्सों को एक साथ जोड़ते हैं, तो हमारे पास ह सेवकाई है, जो नये नियम की सेवकाई है।
नये नियम की सेवकाई का कार्य मसीह की देह के निर्माण में कलीसिया से संबंधित परमेश्वर के नये नियम के गृह प्रबंध को पूरा करना है (इफ- 3:9-10)। इफिसियों 4ः12 कहता है कि सभी संतों को सेवा के कार्य तक सिद्ध होने की आवश्यकता है। इसका अर्थ यह है कि सैकड़ों यहां तक कि हजारों संत सेवकाई के कार्य के लिए सिद्ध हो सकते हैं। इस आयत में शब्द सेवा का प्रयोग किया गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह परमेश्वर के अनन्त उद्देश्य को पूरा करने के लिए नये नियम की एकमात्र सेवकाई को संदर्भित करती है, जो नयी वाचा में समाहित है। परमेश्वर की नयी वाचा में परमेश्वर का ग”ह प्रबंध शामिल है। इस ग”ह प्रबंध को पूरा करने के लिए अधिक कार्य की जरूरत है, और यह कार्य सेवकाई है। इफिसियों 4:12 में मसीह की देह के निर्माण के लिए वाक्यांश सेवकाई के कार्य के लिए समानाधिकरण में प्रकट होता है। यह स्पष्ट रूप से सूचित करता है कि सेवकाई का कार्य करना मसीह की देह का निर्माण करना है।
विभिन्न सेवकाईयों से
विभाजन आता है
मैं सेवकाई की एकता के इस बिंदु पर बल देने के लिए बोझिल हूँ—-मसीहियों के बीच में सबसे हानिकारक चीज विभाजन और भ्रम है। इसके अलावा, सभी विभाजन और भ्रम एक ही स्रोत से आते हैं, और वह स्रोत विभिन्न सेवकाई हैं।
जब मैं सभी प्यारे संतों से चेतावनी के इन शब्दों को बोलता हूँ, तो मैं उन्हें अपने लिए और भी ज्यादा बोलता हूँ। कई बार मैंने कुछ नया देखा है जिसे प्रभु की अद्यतित सेवकाई के प्रकाश में बहुत ही सावधानी से विचार करना चाहिए। मुझे बहुत ही सावधानी से विचार करना होगा कि प्रत्येक वस्तु आज परमेश्वर की सेवकाई की है या नहीं। प्रत्येक बिंदु को परमेश्वर के बुनियादी गृह प्रबंध के अनुसार मापा जाना चाहिए। हर बिंदु को कैसे मापे, हर वस्तु के बारे में निर्णय कैसे लें, सभी परमेश्वर की बुनियादी व्यवस्था पर निर्भर करता है, जो कि कलीसिया के उत्पादन के लिए मसीह की सेवकाई को पूरा करना है।
यदि हम इस बुनियादी सिद्धांत और परमेश्वर की व्यवस्था से संबंधित एक बुनियादी कारक को रखते हैं, तो हम अच्छी तरह से संरक्षित होंगे। फिर भी, हम में से हर एक को सर्तक रहने की जरूरत है न केवल दूसरों की देखभाल करने के लिए बल्कि अपने आप का ख्याल रखने के लिए ताकि हम शत्रु के द्वारा विभिन्न शिक्षाओं या विचारों को लाने के लिए इस्तेमाल ना हो जो कि पवित्रशास्त्र संबंधी प्रतीत हो सकता है।
नये नियम की सेवकाई का लक्ष्य- मसीह के लिए
एक देह निर्मित करना जो नये यरूशेलम में
परिपूर्ण होती है
परमेश्वर के गृह प्रबंध के लक्ष्य के रूप में नया यरूशलेम उसके नये जन्में हुए विश्वासियों के साथ परिपूर्ण परमेश्वर का विश्वव्यापी समावेश है। परमेश्वर अपनी दिव्य त्रिएकता में एक समावेश है, जो पारस्परिक निवास और एक के रूप में एक साथ कार्य करते हैं (यूहन्ना 14:10-11)। इसके अलावा, मसीह पिता में है, हम मसीह में हैं, और मसीह हमारे अंदर है (आ- 20)। इन तीनों में का निष्कर्ष और संपूर्णता वास्तविकता की आत्मा में है, जो हमारे अंदर वास्तविकता बनने के लिए स्वयं मसीह है (आ- 17)। वास्तविकता का आत्मा न केवल हमारे साथ होने के लिए है बल्कि हमारे भीतर होने के लिए भी आया। हमारा परमेश्वर पुत्र में होना और परमेश्वर पुत्र का हममें होना और पिता में भी होना एक समावेश को प्रकट करता है। यह समावेश पहले मसीह की देह है और फिर नया यरूशेलम है। परमेश्वर का गृह प्रबंध मसीह के लिए एक देह का होना है जो नया यरूशलेम में परिपूर्ण होती है, नये जन्में हुए विश्वासियों के साथ परिपूर्ण परमेश्वर का विस्तृत विश्वव्यापी समावेश।
Service- In the Body
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1 Serve and work within the Bode,
This the Lord doth signify;
For His purpose is the Body,
And with it we must comply.
Serve and work within the Body,
Never independently;
As the members of the Body,
Functioning relatedly.
2 As the members, we’ve been quickened
Not as individuals free;
We must always serve together,
All related mutually.
3 Living stones, we’re built together
And a house for God must be,
As the holy priesthood erving,
In a blessed harmony.
4 Thus we must be built together,
In position minister;
For the basis of our service
Is the body character.
5 In our ministry and service,
From the Body, our supply;
If detached and isolated,
Out of function we will die.
6 ‘Tis by serving in the Body
Riches of the Head we share;
“Tis by functioning as members
Christ’s full measure we will bear.
7 To the Head fast holding ever,
That we may together grow,
From the Head supplies incoming
Thru us to the Body flow.
8 Lord, anew we give our bodies;
May we be transformed to prove
All Thy will, to know Thy Body,
And therein to serve and move.